सागर। चांद की खूबसूरती सबको आकर्षित करती है. रात के समय जब स्याह आसमान में चमकता दमकता चांद दिखता है तो लोग बरबस ही उसको निहारने लगते हैं. लेकिन एक चांद ऐसा भी होता है कि अगर उसको देख लिया तो आप पर झूठा कलंक लगता है. जी हां भाद्रपद के चतुर्थी के चांद को देखने पर झूठा कलंक लगता है. ऐसा इसलिए हुआ कि भगवान गणेश ने चंद्रमा को उनका मजाक उड़ाने पर श्राप दिया था. भगवान के श्राप के चलते भगवान श्री कृष्ण को भी झूठा कलंक भोगना पड़ा था. आइए जानते हैं कि चतुर्थी का चांद देखने पर झूठा कलंक लगने की कहानी क्या है और अगर धोखे से देख भी लिया तो कैसे बच सकते हैं.
भगवान गणेश ने दिया था चंद्रमा को श्राप
ज्योतिषाचार्य डॉ. पं. श्याम मनोहर चतुर्वेदी बताते हैं कि जब भगवान गणेश जी ब्रह्मा जी के पास से लौट रहे थे, तो उनके विचित्र शरीर को देखकर चंद्रमा ने गणेश जी का उपहास उड़ाया था. इस बात से नाराज होकर गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप दिया कि तुम्हारा क्षय हो जाएगा. गणेश जी के श्राप के कारण चंद्रमा का क्षय होने लगा. इस बात से सभी देवता गण घबरा गए और गणेश जी के पास पहुंचे और उनसे श्राप वापस लेने का निवेदन किया. गणेश जी ने कहा जो बोल दिया वो तो होगा और आपका क्षय भी होगा, लेकिन इतना बताता हूं कि भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को जो भी चंद्रमा को देखेगा. उस पर झूठा कलंक लगेगा. तब से भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी के दिन चांद को नहीं देखा जाता है. भगवान श्री कृष्ण ने चतुर्थी का चांद देख लिया था. इसलिए उनको स्यमंतक मणि का झूठा कलंक लगा था.
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क्यों भोगना पड़ा था विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण को झूठा कलंक
ज्योतिषाचार्य डॉ पंडित श्याम मनोहर चतुर्वेदी बताते हैं कि भगवान सूर्य ने सत्राजीत की भक्ति और उपासना से प्रसन्न होकर स्यमंतक मणि सत्राजीत को दी थी. यह मणि लेकर जब सत्राजित श्री कृष्ण दरबार में पहुंचे तो भगवान कृष्ण ने मणि उग्रसेन को देने की बात कही, लेकिन सत्राजित ने मणि उन्हें ना देकर अपने भाई प्रसेनजीत को दी. प्रसेनजीत एक दिन शिकार के लिए जंगल गए थे. वहां शेर ने उसको मार डाला और गुफा में जाने लगा. वहींं मौजूद जामवंत शेर को मार कर मणि अपने घर ले गए. प्रसेनजीत जब वापस नहीं लौटा तो सत्राजीत ने भगवान कृष्ण पर प्रसेनजीत को मारकर मणि छीनने का आरोप लगाया. अपने ऊपर लगे झूठे कलंक को मिटाने के लिए श्री कष्ण जंगल गए और उन्होंने देखा कि जामवंत की पुत्री जामवंती के पास मणि हैं. उन्होंने जामवंती से मणि वापस मांगी. लेकिन जामवंत नहीं माने और भगवान श्री कृष्ण से युद्ध करने लगे. 21 दिन के भीषण युद्ध के बाद जामवंत भगवान कृष्ण को नहीं हरा पाए और उन्हें आभास हो गया कि यह भगवान के अवतार हैं. तब उन्होंने अपनी पुत्री का विवाह भगवान श्रीकृष्ण से किया और उन्हें मणि वापस दी.
अगर धोखे से देख लिया चंद्रमा तो क्या करें उपाय
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि जो व्यक्ति चंद्रमा का प्रतिदिन दर्शन करता है, उसे चतुर्थी का चंद्रमा देखने का दोष नहीं लगता है. वहीं अगर चतुर्थी के चांद को देखने के पहले द्वितीया (दूज) का चंद्रमा देख लें, तो उसे भी दोष नहीं लगता है. अगर धोखे से देख भी लिया तो स्यमन्तक मणि की कथा सुनने से दोष दूर हो जाता है. Ganesh Chaturthi Moon Story,Ganesh Chaturthi 2022