सागर। बच्चे कहने को तो देश का भविष्य होते है, लेकिन सरकार की योजनाओं का लाभ बच्चों तक कितना पहुंचता है, आप इसका जीवंत उदाहरण मध्यप्रदेश और सागर जिले की आंगनबाड़ियों में देख सकते हैं. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और केंद्र सरकार के निर्देश पर आईसीडीएस (समन्वित बाल विकास योजना) के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों में पूरक पोषण आहार के रूप में अंडे और दूध बांटे जाने का प्रावधान है. देश के कई राज्यों ने यह व्यवस्था शुरू भी कर दी गई हैं. लेकिन मध्यप्रदेश में इस व्यवस्था को अभी तक शुरू नहीं किया जा सका है. मध्यप्रदेश में पूरक पोषण आहार के रूप में सिर्फ अति कुपोषित बच्चों के लिए दूध दिया जा रहा है, और अंडे का कोई प्रावधान नहीं किया गया है.
- दो श्रेणी में बांटी गई पोषण आहार व्यवस्था
मध्यप्रदेश में संचालित आंगनबाड़ियों में दो श्रेणियों में बच्चों को बांटकर पोषण आहार की व्यवस्था की गई है. एक श्रेणी में 6 माह से 3 साल तक के बच्चों को रखा गया है और दूसरी श्रेणी में 3 साल से 6 साल तक के बच्चों को रखा गया है. इन दोनों श्रेणियों के लिए अलग-अलग पोषण आहार की व्यवस्था की गई है. सरकार ने बच्चों की आय के आधार पर पोषण के मापदंड तैयार किए है.
6 माह से 3 साल तक के बच्चों को 'टेक होम राशन' | 3 साल से 6 साल तक के बच्चों को ताजा पका हुआ भोजन |
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आंगनबाड़ियों में फिलहाल नहीं बंटेगा अंडा, इस वजह से फंस गया पेंच !
- अंडे को लेकर अभी तक नहीं हुआ है फैसला
महिला एवं बाल विकास के सागर के जिला परियोजना अधिकारी भरत सिंह राजपूत बताते हैं कि आईसीडीएस के तहत बच्चों को पूरक पोषण आहार के रूप में अंडा देने की व्यवस्था है. लेकिन इस व्यवस्था के तहत राज्य सरकार को निर्णय लेना है. राज्य सरकार ने पूरक पोषण आहार के रूप में अंडा दिए जाने पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया है और ना ही हमें कोई निर्देश प्राप्त हुए हैं. इसलिए बच्चों को अंडा नहीं दिया जाता है.
- अति कुपोषित बच्चों को मिलता है दूध
मध्य प्रदेश की आंगनबाड़ियों में सिर्फ अति कुपोषित बच्चों को पूरक पोषण आहार के रूप में दूध देने की व्यवस्था है. अति कुपोषित बच्चों को प्रतिदिन 10 ग्राम के हिसाब से पानी मिलाकर आंगनबाड़ी के माध्यम से दूध दिया जाता है. इसके अलावा अन्य श्रेणी के बच्चों को दूध देने का प्रावधान नहीं है.