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केंद्र और राज्य सरकार के बीच अटका 'आहार', बच्चों को नहीं मिल रहा 'अंडा' - आंगनबाड़ी में नहीं मिल रहा अंडा

आंगनबाड़ी के बच्चों को केंद्र सरकार ने पोषण आहार में अंडा देने का प्रावधान तो रखा है, लेकिन राज्य सरकार इस आहार व्यवस्था को लागू नहीं कर रही है. इस पोषण आहार व्यवस्था के लागू नहीं होने से आंगनबाड़ी में आने वाले कुपोषण के शिकार बच्चों को अंडा नहीं मिल रहा है. हालांकि राज्य सरकार अति कुपोषित बच्चों को पोषण आहार के रुप में दूध उपलब्ध करवा रही है.

Diet stuck between central and state government
केंद्र और राज्य सरकार के बीच अटका आहार
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Published : Mar 10, 2021, 5:46 PM IST

Updated : Mar 10, 2021, 7:22 PM IST

सागर। बच्चे कहने को तो देश का भविष्य होते है, लेकिन सरकार की योजनाओं का लाभ बच्चों तक कितना पहुंचता है, आप इसका जीवंत उदाहरण मध्यप्रदेश और सागर जिले की आंगनबाड़ियों में देख सकते हैं. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और केंद्र सरकार के निर्देश पर आईसीडीएस (समन्वित बाल विकास योजना) के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों में पूरक पोषण आहार के रूप में अंडे और दूध बांटे जाने का प्रावधान है. देश के कई राज्यों ने यह व्यवस्था शुरू भी कर दी गई हैं. लेकिन मध्यप्रदेश में इस व्यवस्था को अभी तक शुरू नहीं किया जा सका है. मध्यप्रदेश में पूरक पोषण आहार के रूप में सिर्फ अति कुपोषित बच्चों के लिए दूध दिया जा रहा है, और अंडे का कोई प्रावधान नहीं किया गया है.

केंद्र और राज्य सरकार के बीच अटका 'आहार'
  • दो श्रेणी में बांटी गई पोषण आहार व्यवस्था

मध्यप्रदेश में संचालित आंगनबाड़ियों में दो श्रेणियों में बच्चों को बांटकर पोषण आहार की व्यवस्था की गई है. एक श्रेणी में 6 माह से 3 साल तक के बच्चों को रखा गया है और दूसरी श्रेणी में 3 साल से 6 साल तक के बच्चों को रखा गया है. इन दोनों श्रेणियों के लिए अलग-अलग पोषण आहार की व्यवस्था की गई है. सरकार ने बच्चों की आय के आधार पर पोषण के मापदंड तैयार किए है.

6 माह से 3 साल तक के बच्चों को 'टेक होम राशन'3 साल से 6 साल तक के बच्चों को ताजा पका हुआ भोजन
  • आंगनबाड़ी में प्रवेश लेने वाले 6 माह से 3 साल तक के बच्चों को 'टेक होम राशन' की व्यवस्था की गई है. मध्यप्रदेश सरकार के संस्थान एमपी एग्रो के माध्यम से यह टेक होम राशन तैयार किया जाता है. जो बच्चों को पैकटों में दिया जाता है. यह राशन ready-to-eat होता है. एक पैकेट का प्रयोग सिर्फ 3 माह के लिए किया जा सकता है. 3 माह की अवधि बीत जाने के बाद इन पैकेट को वापस कर दिया जाता है.
  • आंगनबाड़ी में पहुंचने वाले 3 साल से 6 साल तक के बच्चों को पका हुआ भोजन और नाश्ता दिया जाता है. इसके लिए शासन द्वारा एक मेनू तैयार किया गया है. हर दिन के लिए एक अलग मैनू है. इस मेनू के आधार पर स्व-सहायता समूह के जरिए ताजा पका हुआ नाश्ता और भोजन तैयार किया जाता है. स्व-सहायता समूह आंगनबाड़ी केंद्र में भोजन भेजते हैं और यही भोजन 3 से 6 साल तक के बच्चों को दिया जाता है.

आंगनबाड़ियों में फिलहाल नहीं बंटेगा अंडा, इस वजह से फंस गया पेंच !

  • अंडे को लेकर अभी तक नहीं हुआ है फैसला

महिला एवं बाल विकास के सागर के जिला परियोजना अधिकारी भरत सिंह राजपूत बताते हैं कि आईसीडीएस के तहत बच्चों को पूरक पोषण आहार के रूप में अंडा देने की व्यवस्था है. लेकिन इस व्यवस्था के तहत राज्य सरकार को निर्णय लेना है. राज्य सरकार ने पूरक पोषण आहार के रूप में अंडा दिए जाने पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया है और ना ही हमें कोई निर्देश प्राप्त हुए हैं. इसलिए बच्चों को अंडा नहीं दिया जाता है.

  • अति कुपोषित बच्चों को मिलता है दूध

मध्य प्रदेश की आंगनबाड़ियों में सिर्फ अति कुपोषित बच्चों को पूरक पोषण आहार के रूप में दूध देने की व्यवस्था है. अति कुपोषित बच्चों को प्रतिदिन 10 ग्राम के हिसाब से पानी मिलाकर आंगनबाड़ी के माध्यम से दूध दिया जाता है. इसके अलावा अन्य श्रेणी के बच्चों को दूध देने का प्रावधान नहीं है.

सागर। बच्चे कहने को तो देश का भविष्य होते है, लेकिन सरकार की योजनाओं का लाभ बच्चों तक कितना पहुंचता है, आप इसका जीवंत उदाहरण मध्यप्रदेश और सागर जिले की आंगनबाड़ियों में देख सकते हैं. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और केंद्र सरकार के निर्देश पर आईसीडीएस (समन्वित बाल विकास योजना) के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों में पूरक पोषण आहार के रूप में अंडे और दूध बांटे जाने का प्रावधान है. देश के कई राज्यों ने यह व्यवस्था शुरू भी कर दी गई हैं. लेकिन मध्यप्रदेश में इस व्यवस्था को अभी तक शुरू नहीं किया जा सका है. मध्यप्रदेश में पूरक पोषण आहार के रूप में सिर्फ अति कुपोषित बच्चों के लिए दूध दिया जा रहा है, और अंडे का कोई प्रावधान नहीं किया गया है.

केंद्र और राज्य सरकार के बीच अटका 'आहार'
  • दो श्रेणी में बांटी गई पोषण आहार व्यवस्था

मध्यप्रदेश में संचालित आंगनबाड़ियों में दो श्रेणियों में बच्चों को बांटकर पोषण आहार की व्यवस्था की गई है. एक श्रेणी में 6 माह से 3 साल तक के बच्चों को रखा गया है और दूसरी श्रेणी में 3 साल से 6 साल तक के बच्चों को रखा गया है. इन दोनों श्रेणियों के लिए अलग-अलग पोषण आहार की व्यवस्था की गई है. सरकार ने बच्चों की आय के आधार पर पोषण के मापदंड तैयार किए है.

6 माह से 3 साल तक के बच्चों को 'टेक होम राशन'3 साल से 6 साल तक के बच्चों को ताजा पका हुआ भोजन
  • आंगनबाड़ी में प्रवेश लेने वाले 6 माह से 3 साल तक के बच्चों को 'टेक होम राशन' की व्यवस्था की गई है. मध्यप्रदेश सरकार के संस्थान एमपी एग्रो के माध्यम से यह टेक होम राशन तैयार किया जाता है. जो बच्चों को पैकटों में दिया जाता है. यह राशन ready-to-eat होता है. एक पैकेट का प्रयोग सिर्फ 3 माह के लिए किया जा सकता है. 3 माह की अवधि बीत जाने के बाद इन पैकेट को वापस कर दिया जाता है.
  • आंगनबाड़ी में पहुंचने वाले 3 साल से 6 साल तक के बच्चों को पका हुआ भोजन और नाश्ता दिया जाता है. इसके लिए शासन द्वारा एक मेनू तैयार किया गया है. हर दिन के लिए एक अलग मैनू है. इस मेनू के आधार पर स्व-सहायता समूह के जरिए ताजा पका हुआ नाश्ता और भोजन तैयार किया जाता है. स्व-सहायता समूह आंगनबाड़ी केंद्र में भोजन भेजते हैं और यही भोजन 3 से 6 साल तक के बच्चों को दिया जाता है.

आंगनबाड़ियों में फिलहाल नहीं बंटेगा अंडा, इस वजह से फंस गया पेंच !

  • अंडे को लेकर अभी तक नहीं हुआ है फैसला

महिला एवं बाल विकास के सागर के जिला परियोजना अधिकारी भरत सिंह राजपूत बताते हैं कि आईसीडीएस के तहत बच्चों को पूरक पोषण आहार के रूप में अंडा देने की व्यवस्था है. लेकिन इस व्यवस्था के तहत राज्य सरकार को निर्णय लेना है. राज्य सरकार ने पूरक पोषण आहार के रूप में अंडा दिए जाने पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया है और ना ही हमें कोई निर्देश प्राप्त हुए हैं. इसलिए बच्चों को अंडा नहीं दिया जाता है.

  • अति कुपोषित बच्चों को मिलता है दूध

मध्य प्रदेश की आंगनबाड़ियों में सिर्फ अति कुपोषित बच्चों को पूरक पोषण आहार के रूप में दूध देने की व्यवस्था है. अति कुपोषित बच्चों को प्रतिदिन 10 ग्राम के हिसाब से पानी मिलाकर आंगनबाड़ी के माध्यम से दूध दिया जाता है. इसके अलावा अन्य श्रेणी के बच्चों को दूध देने का प्रावधान नहीं है.

Last Updated : Mar 10, 2021, 7:22 PM IST
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