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कमलनाथ सरकार को कहीं रुला न दे प्याज, उचित मूल्य नहीं मिलने से किसानों में भारी आक्रोश

इस बार के लोकसभा चुनाव में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पानी, बिजली और रोजगार जैसे परंपरागत मुद्दों के अलावा प्याज का मुद्दा भी अहम है. मध्यप्रदेश की करें तो यहां प्याज का उचित दाम नहीं मिलने से किसानों में कमलनाथ सरकार के खिलाफ बेहद आक्रोश है. किसानों का आरोप है कि सागर कृषि उपज मंडी में प्याज की कीमत महज 2 से 3 रुपये मिलने पर उनकी लागत तक नहीं निकल रही.

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Published : Apr 10, 2019, 3:41 PM IST

सागर। लोकतंत्र का महापर्व यानि लोकसभा चुनाव मध्यप्रदेश में 29 अप्रैल से शुरू होने वाला है. तमाम राजनीतिक दल अपनी सियासी कश्ती को पार लगाने के लिये जनता का मसीहा बनकर मतदाताओं को लुभाने के प्रयास में जुटे हैं. इस बार के लोकसभा चुनाव में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पानी, बिजली और रोजगार जैसे परंपरागत मुद्दों के अलावा प्याज का मुद्दा भी अहम है. हां प्याज एक ऐसा चुनावी मुद्दा है, जो तत्कालीन सरकारों की जड़ें हिला चुका है. यही वजह है कि प्याज का मुद्दा सरकार के आंसू तक निकालने का माद्दा रखता है. बात अगर मध्यप्रदेश की करें तो यहां प्याज का उचित दाम नहीं मिलने से किसानों में कमलनाथ सरकार के खिलाफ बेहद आक्रोश है. किसानों का आरोप है कि सागर कृषि उपज मंडी में प्याज की कीमत महज 2 से 3 रुपये कीमत मिलने पर उनकी लागत तक नहीं निकल रही.

प्याज के गिरते दाम से नाराज किसान
सागर जिले में प्याज उगाने वाले किसानों का आरोप है कि कांग्रेस सरकार ने समर्थन मूल्य पर खरीदी करने का वादा किया था. लेकिन हालात शिवराज सरकार से भी बदतर हो चुके हैं. किसानों का कहना है कि उनकी कोई नहीं सुनता. समर्थन मूल्य की मांग कर रहे किसानों को 15 साल बाद मध्यप्रदेश की सत्ता में लौटी कांग्रेस सरकार से कई गिले-शिकवे हैं.सागर में प्याज की बंपर पैदावार हुई है, लेकिन उचित मूल्य नहीं मिलने किसान हताश-निराश हैं. ऐसे में कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में सीटें बढ़ाने का जो सपना संजोया है, उस पर किसानों की नाराजगी भारी पड़ सकती है.

सागर। लोकतंत्र का महापर्व यानि लोकसभा चुनाव मध्यप्रदेश में 29 अप्रैल से शुरू होने वाला है. तमाम राजनीतिक दल अपनी सियासी कश्ती को पार लगाने के लिये जनता का मसीहा बनकर मतदाताओं को लुभाने के प्रयास में जुटे हैं. इस बार के लोकसभा चुनाव में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पानी, बिजली और रोजगार जैसे परंपरागत मुद्दों के अलावा प्याज का मुद्दा भी अहम है. हां प्याज एक ऐसा चुनावी मुद्दा है, जो तत्कालीन सरकारों की जड़ें हिला चुका है. यही वजह है कि प्याज का मुद्दा सरकार के आंसू तक निकालने का माद्दा रखता है. बात अगर मध्यप्रदेश की करें तो यहां प्याज का उचित दाम नहीं मिलने से किसानों में कमलनाथ सरकार के खिलाफ बेहद आक्रोश है. किसानों का आरोप है कि सागर कृषि उपज मंडी में प्याज की कीमत महज 2 से 3 रुपये कीमत मिलने पर उनकी लागत तक नहीं निकल रही.

प्याज के गिरते दाम से नाराज किसान
सागर जिले में प्याज उगाने वाले किसानों का आरोप है कि कांग्रेस सरकार ने समर्थन मूल्य पर खरीदी करने का वादा किया था. लेकिन हालात शिवराज सरकार से भी बदतर हो चुके हैं. किसानों का कहना है कि उनकी कोई नहीं सुनता. समर्थन मूल्य की मांग कर रहे किसानों को 15 साल बाद मध्यप्रदेश की सत्ता में लौटी कांग्रेस सरकार से कई गिले-शिकवे हैं.सागर में प्याज की बंपर पैदावार हुई है, लेकिन उचित मूल्य नहीं मिलने किसान हताश-निराश हैं. ऐसे में कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में सीटें बढ़ाने का जो सपना संजोया है, उस पर किसानों की नाराजगी भारी पड़ सकती है.
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