सागर। कोविड (covid) के दौर में अपनी जान जोखिम में डालकर महामारी से लड़ने में, सरकार की मदद कर रहे फ्रंटलाइन वॉरियर्स (Frontline warriors) के लिए अप्रैल 2020 में मध्यप्रदेश की राज्य सरकार ने 'मुख्यमंत्री कोविड-19 योद्धा कल्याण योजना' (Chief Minister covid-19 Warrior Welfare Scheme) का ऐलान किया था. इसमें सरकार के तमाम फ्रंटलाइन वॉरियर्स को शामिल किया गया था. लेकिन अरसा बीत जाने के बाद भी कोरोना के दौर में शहीद हुए कई फ्रंटलाइन वॉरियर्स को ना तो सरकारी मदद मिली है और ना अनुकंपा नियुक्ति. सागर जिले में पिछले साल तीन पुलिसकर्मियों को कोरोना के चलते अपनी जान गंवानी पड़ी थी. इन पुलिसकर्मियों को कोरोना योद्धा का दर्जा भी योजना के अनुसार मिला था.
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ठंडे बस्ते में प्रस्ताव
गृह विभाग ने भी इन्हें कोरोना योद्धा का दर्जा दिया था. लेकिन एक अरसा बीत जाने के बाद भी इन पुलिसकर्मियों के परिवार को ना तो योजना का लाभ मिला है और ना ही अभी तक अनुकंपा नियुक्ति (Compassionate appointment) सरकार की ओर से दी गई है. इन शहीद परिवारों के परिजन काफी परेशानियों का सामना कर रहे हैं, उन्हें सरकारी मदद का इंतजार है. लेकिन सरकार को भेजे गए तमाम प्रस्ताव फिलहाल ठंडे बस्ते में नजर आ रहे हैं.
सिर्फ 'दर्जा' लेकिन मदद नहीं
अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना महामारी (Corona epidemic) से लड़ने का काम कर रहे, सागर जिले के तीन पुलिसकर्मी, खुद कोरोना पॉजिटिव हो गए थे और इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया था. मध्य प्रदेश सरकार की 'मुख्यमंत्री कोविड-19 योद्धा कल्याण योजना' का पात्र मानते हुए नए कोविड-19 का दर्जा भी दिया गया था. लेकिन इन शहीद पुलिसकर्मियों के परिवारों को ना तो अभी तक अनुकंपा नियुक्ति मिली है और ना ही योजना के तहत मिलने वाली 50 लाख की राशि मिली है. यह परिवार काफी मुश्किलों में अपना जीवन यापन कर रहे हैं.
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इंतजार में 'अनुकंपा नियुक्ति'
तीन बेटियों के भविष्य के लिए सरकारी मदद और अनुकंपा नियुक्ति का आरक्षक शिवराम देवरिया की पत्नी इंतजार कर रही हैं. कोरोना योद्धा शहीद आरक्षक के शिवराम देवरिया अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं. उनकी तीन बेटियां हैं, जिनकी अभी स्कूली शिक्षा चल रही है. गृह विभाग के नियम अनुसार मिलने वाली अनुकंपा नियुक्ति और अनुकंपा नियुक्ति तक शहीद की पत्नी को मिलने वाला पूरा वेतन भी शुरू नहीं हो पाया है. सरकार की घोषणा के मुताबिक 50 लाख की मदद का आश्वासन तो मिल रहा है, लेकिन मदद कब मिलेगी, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है. आरक्षक शिवराम देवरिया की पत्नी अपनी बेटियों की परवरिश को लेकर चिंतित रहती हैं और घर में सिर्फ बेटियां होने के कारण सरकारी मदद के लिए भागदौड़ भी नहीं कर पा रही हैं.
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पुलिस मुख्यालय और सरकार को भेजा प्रस्ताव
इस मामले में सागर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विक्रम सिंह का कहना है कि तीन पुलिसकर्मी कोरोना पॉजिटिव होकर कोरोना के कारण शहीद हो गए थे. उनके परिवार को मिलने वाली अनुकंपा नियुक्ति का प्रस्ताव पुलिस मुख्यालय भेजा गया है. 'मुख्यमंत्री कोविड-19 योद्धा कल्याण योजना' का प्रस्ताव भी सरकार को भेजा गया है. ताकि शहीद के परिवारों को सरकार की ओर से मिलने वाला लाभ सीधे मिले सके.
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सागर जिले में शहीद होने वाले पुलिसकर्मी
पिछले साल कोरोना महामारी के दौरान सागर जिले के तीन पुलिसकर्मी कोरोना पॉजिटिव के बाद शहीद हो गए थे. इन पुलिसकर्मियों की शहादत को सम्मान तो भरपूर दिया गया, लेकिन अपने पीछे छोड़ गए परिवारों के लिए आज तक कोई मदद नहीं मिली है.
1. आरक्षक- शिवराम देवलिया
आरक्षक के शिवराम देवरिया की 27 अगस्त 2020 को 24 साल की सेवा के बाद कोरोना काल में कोविड पॉजिटिव हो जाने के कारण मौत हो गई थी.
2 - प्रधान आरक्षक रामेंद्र मिश्रा
सागर के कई थानों में सेवाएं देने वाले प्रधान आरक्षक रामेंद्र मिश्रा की 29 अक्टूबर 2020 में कोरोना पॉजिटिव होने के कारण मृत्यु हो गई थी. पुलिस विभाग में करीब 32 साल तक सेवा देने वाले प्रधान आरक्षक रामेंद्र मिश्रा का परिवार अनुकंपा नियुक्ति और शासन की मदद का इंतजार कर रहा है.
3 - सहायक उपनिरीक्षक पद पर तैनात भरत पांडे की नौकरी के कुछ ही दिन बाकी थे. लेकिन कोरोना पॉजिटिव हो जाने के कारण 28 नवंबर 2020 को 36 साल की सेवा के बाद मौत हो गई थी. लेकिन आज तक उनके परिवार को ना तो अनुकंपा नियुक्ति मिली है और ना ही सरकार की घोषणा के अनुसार आर्थिक मदद मिली है.