सागर। इको पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जिला प्रशासन ने सामाजिक वानिकी योजना के तहत यूनिवर्सिटी से लगे जंगल में सिटी फॉरेस्ट की स्थापना 2017 में की थी. सिटी फॉरेस्ट में पर्यटक को आकर्षित करने के लिए तरह-तरह की सुविधाओं की भी व्यवस्था की गई थी, जिसमें खानपान और एडवेंचर स्पोर्ट्स के अलावा नाइट कैंप जैसी गतिविधियां शामिल थी, लेकिन सिटी फॉरेस्ट अपनी स्थापना के तीसरे साल में ही दम तोड़ चुका है.
एडवेंचर और इंटरटेनमेंट के लिए जो व्यवस्था की गई थी, वो रखरखाव के अभाव में दम तोड़ रही हैं. कुछ असर कोरोना महामारी का भी देखने को मिला है, जिसके कारण पर्यटकों की संख्या में काफी कमी आई है.
सागर विश्वविद्यालय की सुरम्य वादियों से लगा है सिटी फॉरेस्ट
यूनिवर्सिटी एक पहाड़ पर सुरम्य वादियों में स्थित है. यूनिवर्सिटी परिसर से लगे पथरिया जाट गांव में सामाजिक वानिकी के तहत सिटी फॉरेस्ट की स्थापना 2017 में की गई थी. इसका उद्देश्य इको पर्यटन को बढ़ावा देना और नागरिकों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रेरित करना था.
मनोरंजन और खेल कूद की गतिविधियां
सिटी फॉरेस्ट में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए एडवेंचर स्पोर्ट्स के अलावा खानपान की व्यवस्था की गई है. इसके अलावा मनोरंजन की गतिविधियां भी पर्यटकों की मांग के आधार पर की गई है. यहां एडवेंचर स्पोर्ट्स से जुड़े कई एक्टिविटीज संचालित होती हैं, तो जंगल में नाइट कैंप करने की भी व्यवस्था की गई है.
समिति करती है सिटी फॉरेस्ट का संचालन
सामाजिक वानिकी के तहत स्थापित किए गए सिटी फॉरेस्ट के संचालन के लिए एक समिति गठित की गई है, जिसके सदस्य सिटी फॉरेस्ट के रखरखाव के साथ वहां चलने वाली गतिविधियों को संचालित करते हैं.
9 माह बंद रहा सिटी फॉरेस्ट
शहर में जब सिटी फॉरेस्ट की स्थापना की गई थी, तो शहरवासियों के लिए आकर्षण का केंद्र था, लेकिन कोरोना काल के दौरान सिटी फॉरेस्ट पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया था. बंद रहने की स्थिति में मौजूद संसाधनों के रखरखाव के अभाव में सिटी फॉरेस्ट बदहाल हो गया.
वन विभाग के लिए बजट का इंतजार
वन विभाग की तरफ से सिटी फॉरेस्ट में तैनात किए गए शुभम चौबे बताते हैं कि वन विभाग के अलावा समिति के लोग रखरखाव का काम कर रहे हैं. बाकी जब बजट आएगा, तो उसके हिसाब से हम लोग सिटी फॉरेस्ट का रखरखाव करेंगे. यहां पर जितनी एक्टिविटीज शुरू की गई थी, वह अभी चालू है.
पानी की समस्या से जूझ रहा सिटी फॉरेस्ट
सिटी फॉरेस्ट का संचालन करने वाली समिति के प्रभारी अजय बताते हैं कि सबसे बड़ी परेशानी यहां पानी की है. पानी के कारण यहां हरा-भरा गार्डन नहीं दिख रहा है. अगर पानी मिल जाएगा, तो हरियाली आ जाएगी. इसके अलावा यहां काम करने वालों के भुगतान में दिक्कत आ रही है.
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत रखरखाव के प्रयास
विधायक शैलेंद्र जैन का कहना है कि बेसिक चीजें और रखरखाव के लिए वन विभाग के पास बजट नहीं हैं. ऐसी स्थिति में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत रखरखाव के लिए नगरीय प्रशासन मंत्री ने आश्वासन दिया है.