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दलित वोट बैंक के लिए BJP का 100 करोड़ का दांव, सागर में बनेगा संत रविदास का भव्य मंदिर

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Published : Apr 13, 2023, 1:35 PM IST

विधानसभा चुनाव 2023 को देखते हुए शिवराज सरकार ने दलित वोट हासिल करने के लिए 100 करोड़ का बड़ा दांव खेला है. दरअसल, 8 फरवरी को सीएम शिवराज सिंह ने घोषणा की थी कि सागर में 100 करोड़ की लागत से संत शिरोमणि रविदास का मंदिर बनाया जाएगा. मंदिर के लिए जगह का भी चयन कर लिया गया है और जल्द ही भूमिपूजन की तैयारी चल रही है. अनुसूचित जाति के वोटों को बीजेपी अपने पक्ष में लाना चाहती है. वहीं, कांग्रेस ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि इन लोगों ने कभी धर्म के नाम पर बांटा तो कभी बिरादरी के नाम पर.

BJP bet of 100 crores for Dalit vote
दलित वोट के लिए BJP का 100 करोड़ का दांव
दलित वोट के लिए BJP का 100 करोड़ का दांव

सागर। मध्यप्रदेश में दलित वोट बैंक का झुकाव कांग्रेस तरफ रहता है. 2018 के विधानसभा चुनाव में खासकर दलित बाहुल्य वाले इलाके ग्वालियर-चंबल में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था. इसकी बड़ी वजह 2018 के अप्रैल में एससी-एसटी आरक्षण को लेकर हुए बवाल में पुलिस द्वारा दलित वर्ग के लोगों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करना था. इसका खामियाजा भाजपा को विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ा था और सरकार नहीं बन पाई थी. अब भाजपा दलित वोट बैंक को लेकर फूंककर कदम रख रही है और बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर रही है. इसी कड़ी में सागर में संत रविदास का विशाल मंदिर शहर से लगे बड़तूमा गांव में बनाया जा रहा है. इस मंदिर की लागत 100 करोड़ रुपए होगी. मंदिर की जमीन का चयन कर लिया गया है और चर्चा है कि मई माह में मुख्यमंत्री मंदिर का भूमिपूजन कर सकते हैं.

मध्य प्रदेश में दलित वोट बैंक का समीकरण : दरअसल, मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड, ग्वालियर-चंबल, बघेलखंड में दलित जाति का बाहुल्य है. हालांकि दलितों में अलग-अलग जातियों के अलग-अलग संत हैं. लेकिन अहिरवार और जाटव समाज संत शिरोमणि रविदास को अपना आराध्य मानती है. जहां तक मध्य प्रदेश के कुल दलित मतदाताओं की बात करें तो करीब 15 फ़ीसदी दलित वोट बैंक मध्यप्रदेश में राजनीतिक लिहाज से निर्णायक स्थिति में हैं. मध्यपदेश में 35 सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. दलित वोट बैंक बाहुल्य वाले इलाके में यह करीब 40% होता है और तमाम सीटों पर 25 से 30% असरकारक होता है.

सागर में संत रविदास का भव्य मंदिर क्यों : अनुसूचित जाति के मतदाताओं में अहिरवार और जाटव समाज का मतदाता संत शिरोमणि रविदास को अपना आराध्य मानता है. अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा बुंदेलखंड और ग्वालियर चंबल अंचल में है. बुंदेलखंड में जहां अहिरवार समाज के मतदाताओं की संख्या ज्यादा है तो वहीं ग्वालियर चंबल इलाके में जाटव समाज के मतदाता ज्यादा हैं. इन इलाकों के अलावा बघेलखंड और उज्जैन संभाग में भी अनुसूचित जाति के मतदाताओं की अधिकता है. दरअसल, सागर-कानपुर मार्ग पर कर्रापुर में संत शिरोमणि रविदास का एक आश्रम है, जहां दूर-दूर से उनके अनुयायी दर्शन करने आते हैं. इसी बात को ध्यान रखकर सागर में ही संत रविदास का मंदिर बनाने का ऐलान किया गया है. वैसे भी सागर मध्य प्रदेश के बीचोंबीच बसा हुआ है.

अगले माह होगा भूमिपूजन : सागर नगर निगम के अध्यक्ष भाजपा नेता वृंदावन अहिरवार इसे वोट बैंक की राजनीति नहीं मानते हैं. उनका कहना है कि देश के इतिहास में किसी भी संत का सरकारी खर्च पर कुंभ नहीं हुआ है, जो संत शिरोमणि रविदास महाराज का हुआ. पिछले 8 सालों में मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह सरकार ने लगातार कुंभ आयोजित किए और सागर में लगातार चौथा महाकुंभ आयोजित हुआ था. कुंभ की सबसे बड़ी बात यह थी कि मुख्यमंत्री ने 100 करोड़ की लागत से संत रविदास का भव्य और दिव्य मंदिर बनाने की घोषणा की है. घोषणा के अनुरूप अगले महीने किसी भी तारीख को मंदिर का भूमिपूजन भी होगा.

पहले धर्म के नाम पर बांटा, अब जाति पर : मध्य प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री सुरेंद्र चौधरी का कहना है कि भाजपा का अपना चरित्र है. वह सामाजिक विकास के नाम पर लोगों को बांटने का काम करती है. कभी संत रविदास, कभी संत कबीर दास, कभी महर्षि वाल्मीकि के नाम पर संत और महापुरुषों को बांटने का काम किया जाता है. बीजेपी ने पहले हिंदू-मुस्लिम को बांटा. फिर महापुरुषों को बांटा. अब बिरादरी के नाम पर बांटने का काम किया जा रहा है. जो बेरोजगारी, गरीबी, भुखमरी, कुपोषण, अन्याय और अत्याचार वर्ग विशेष के साथ हो रहा है, उन मुद्दों से भटकाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह यह सब कर रहे हैं. इससे पहले उन्होंने उज्जैन में संत रविदास के नाम पर घोषणा की थी, जो आज तक पूरी नहीं हुई है.

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दलित समाज के साथ भाजपा ने किया धोखा : चुनावी साल में दलित वोट बैंक की राजनीति का कांग्रेस के पास क्या काट है? इस सवाल पर सुरेंद्र चौधरी कहते हैं कि हम लोगों के पास सीधेतौर पर बीजेपी के 18 साल की सरकार के उन वादों को लेकर जाएंगे. जो समाज के बच्चों के भविष्य बनाने के लिए शिवराज सिंह ने किए थे कि हम अच्छे दिन लाएंगे. आज 1 लाख 12 हजार बैकलॉग के पद खाली हैं. पढ़ा-लिखा नौजवान बेरोजगार घूम रहा है, उसे रोजगार नहीं मिल रहा है. अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम के माध्यम से नौजवान बेरोजगार को लोन की योजनाएं शुरू की गई थी, जो सभी बंद पड़ी है. संत रविदास के नाम पर बनाई गई योजना भी बंद है. किस आधार पर संत रविदास का नाम लेकर जनता और समाज के बीच जाना चाह रहे हैं, यह जनता खूब अच्छे से जानती है. आप धार्मिक भावनाएं भड़का कर संतों और महापुरुषों के नाम पर समाज के लिए भटकाने का काम कर रहे हैं, यह बहुत दिनों तक नहीं चलेगा.

दलित वोट के लिए BJP का 100 करोड़ का दांव

सागर। मध्यप्रदेश में दलित वोट बैंक का झुकाव कांग्रेस तरफ रहता है. 2018 के विधानसभा चुनाव में खासकर दलित बाहुल्य वाले इलाके ग्वालियर-चंबल में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था. इसकी बड़ी वजह 2018 के अप्रैल में एससी-एसटी आरक्षण को लेकर हुए बवाल में पुलिस द्वारा दलित वर्ग के लोगों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करना था. इसका खामियाजा भाजपा को विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ा था और सरकार नहीं बन पाई थी. अब भाजपा दलित वोट बैंक को लेकर फूंककर कदम रख रही है और बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर रही है. इसी कड़ी में सागर में संत रविदास का विशाल मंदिर शहर से लगे बड़तूमा गांव में बनाया जा रहा है. इस मंदिर की लागत 100 करोड़ रुपए होगी. मंदिर की जमीन का चयन कर लिया गया है और चर्चा है कि मई माह में मुख्यमंत्री मंदिर का भूमिपूजन कर सकते हैं.

मध्य प्रदेश में दलित वोट बैंक का समीकरण : दरअसल, मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड, ग्वालियर-चंबल, बघेलखंड में दलित जाति का बाहुल्य है. हालांकि दलितों में अलग-अलग जातियों के अलग-अलग संत हैं. लेकिन अहिरवार और जाटव समाज संत शिरोमणि रविदास को अपना आराध्य मानती है. जहां तक मध्य प्रदेश के कुल दलित मतदाताओं की बात करें तो करीब 15 फ़ीसदी दलित वोट बैंक मध्यप्रदेश में राजनीतिक लिहाज से निर्णायक स्थिति में हैं. मध्यपदेश में 35 सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. दलित वोट बैंक बाहुल्य वाले इलाके में यह करीब 40% होता है और तमाम सीटों पर 25 से 30% असरकारक होता है.

सागर में संत रविदास का भव्य मंदिर क्यों : अनुसूचित जाति के मतदाताओं में अहिरवार और जाटव समाज का मतदाता संत शिरोमणि रविदास को अपना आराध्य मानता है. अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा बुंदेलखंड और ग्वालियर चंबल अंचल में है. बुंदेलखंड में जहां अहिरवार समाज के मतदाताओं की संख्या ज्यादा है तो वहीं ग्वालियर चंबल इलाके में जाटव समाज के मतदाता ज्यादा हैं. इन इलाकों के अलावा बघेलखंड और उज्जैन संभाग में भी अनुसूचित जाति के मतदाताओं की अधिकता है. दरअसल, सागर-कानपुर मार्ग पर कर्रापुर में संत शिरोमणि रविदास का एक आश्रम है, जहां दूर-दूर से उनके अनुयायी दर्शन करने आते हैं. इसी बात को ध्यान रखकर सागर में ही संत रविदास का मंदिर बनाने का ऐलान किया गया है. वैसे भी सागर मध्य प्रदेश के बीचोंबीच बसा हुआ है.

अगले माह होगा भूमिपूजन : सागर नगर निगम के अध्यक्ष भाजपा नेता वृंदावन अहिरवार इसे वोट बैंक की राजनीति नहीं मानते हैं. उनका कहना है कि देश के इतिहास में किसी भी संत का सरकारी खर्च पर कुंभ नहीं हुआ है, जो संत शिरोमणि रविदास महाराज का हुआ. पिछले 8 सालों में मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह सरकार ने लगातार कुंभ आयोजित किए और सागर में लगातार चौथा महाकुंभ आयोजित हुआ था. कुंभ की सबसे बड़ी बात यह थी कि मुख्यमंत्री ने 100 करोड़ की लागत से संत रविदास का भव्य और दिव्य मंदिर बनाने की घोषणा की है. घोषणा के अनुरूप अगले महीने किसी भी तारीख को मंदिर का भूमिपूजन भी होगा.

पहले धर्म के नाम पर बांटा, अब जाति पर : मध्य प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री सुरेंद्र चौधरी का कहना है कि भाजपा का अपना चरित्र है. वह सामाजिक विकास के नाम पर लोगों को बांटने का काम करती है. कभी संत रविदास, कभी संत कबीर दास, कभी महर्षि वाल्मीकि के नाम पर संत और महापुरुषों को बांटने का काम किया जाता है. बीजेपी ने पहले हिंदू-मुस्लिम को बांटा. फिर महापुरुषों को बांटा. अब बिरादरी के नाम पर बांटने का काम किया जा रहा है. जो बेरोजगारी, गरीबी, भुखमरी, कुपोषण, अन्याय और अत्याचार वर्ग विशेष के साथ हो रहा है, उन मुद्दों से भटकाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह यह सब कर रहे हैं. इससे पहले उन्होंने उज्जैन में संत रविदास के नाम पर घोषणा की थी, जो आज तक पूरी नहीं हुई है.

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