सागर। आमतौर पर कद्दावर मंत्रियों के परिजन पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव से दूर रहते हैं और अपने समर्थकों को मौका देते हैं, लेकिन मौजूदा पंचायत चुनाव में हालात ये बन गए हैं कि एक ही राजनीतिक दल के लोग एक- दूसरे के आमने- सामने आ गए हैं. नामांकन दाखिल होने की आखिरी तारीख के बाद यह हालात स्पष्ट हो गए हैं.
मंत्री गोविंद सिंह राजपूत व भूपेंद्र सिंह के परिजन मैदान में : दरअसल, सागर जिला पंचायत के वार्ड 4 से मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के भाई हीरा सिंह राजपूत ने नामांकन दाखिल किया है. अपनी जीत सुनिश्चित मान रहे हीरा सिंह को बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि उनके नामांकन दाखिल करते हैं नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह के भतीजे अशोक सिंह बामोरा भी उसी वार्ड से फॉर्म भर देंगे. यहां तक तो ठीक था. इसी वार्ड से फॉर्म भरने वाले अशोक सिंह बामोरा के साले राजकुमार धनोरा ने भी फार्म भर दिया है. हालांकि यह चुनाव राजनीतिक दल के आधार पर नहीं हो रहा है, लेकिन पार्टी में मचे घमासान से पार्टी की जमकर किरकिरी हो रही है. फिलहाल दोनों नेता इस मसले पर बात करने तैयार नहीं है लेकिन सूत्रों से मिल रही खबर की मानें तो दोनों अपना नामांकन वापस लेने के लिए तैयार नहीं हैं.
मंत्री भूपेंद्र सिंह के भतीजे पर धोखे का आरोप : शिवराज सरकार के मंत्रियों के परिजनों के आमने-सामने आ जाने से सीधे तौर पर पार्टी को भले कोई सफाई नहीं देनी पड़ रही हो, लेकिन विषम परिस्थिति को लेकर भाजपा में आपसी खींचतान की स्थिति बन गई है. नामांकन दर्ज करने वाले दोनों नेता इन हालातों को लेकर मीडिया से बात करने को तैयार नहीं हैं. लेकिन सूत्रों की मानें तो पहले तय हुआ था कि जिला पंचायत के वार्ड 4 से राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के भाई हीरा सिंह राजपूत नामांकन दाखिल करेंगे.
पहले सहमति बनने का दावा, अब आमने-सामने : चर्चा है कि भूपेंद्र सिंह के भतीजे अशोक सिंह बामोरा की सहमति भी बन गई थी. लेकिन नामांकन दाखिल करने की आखिरी दिन हीरा सिंह राजपूत के नामांकन दाखिल करते ही अशोक सिंह बामोरा ने भी नामांकन दाखिल कर दिया और अपने साले राजकुमार सिंह धनोरा का भी नामांकन दाखिल करा दिया. चर्चा तो यहां तक है कि अगर तय सहमति के आधार पर भूपेंद्र सिंह के भतीजे और उनके साले अपना नामांकन वापस लेते हैं तो भी गोविंद सिंह राजपूत के भाई को घेरने के लिए कई उम्मीदवार नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह के भतीजे द्वारा उतारे गए हैं.
मान मनोव्वल का दौर, पीछे हटने कोई तैयार नहीं : ऐसी विकट स्थिति बनने के बाद दोनों मंत्री अपने परिजनों को आपसी सहमति बनाने के लिए कह रहे हैं. लेकिन सूत्रों की मानें तो दोनों पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. हीरा सिंह राजपूत का कहना है कि अशोक सिंह बामोरा ने पहले ही उनको नामांकन दाखिल करने के लिए कहा था, लेकिन अब बामोरा पीछे नहीं हटना चाह रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ अपने साले का नामांकन दाखिल कराकर उन्होंने संकेत दे दिया है कि वह आसानी से पीछे नहीं हटेंगे. दूसरी तरफ हीरा सिंह भी पीछे हटने तैयार नहीं हैं. उनका कहना है कि आपसी रजामंदी के आधार पर ही मैंने फार्म भरा था, फिर ऐसा क्यों किया गया। पूर्व विधायक भी लड़ेंगे जिला पंचायत सदस्य का चुनाव : मंत्रियों के परिजन की टकराहट का तो हल खोजने में भाजपा जुटी है. दूसरी तरफ बंडा से बीजेपी से विधायक रहे हरवंश सिंह राठौर ने नामांकन दाखिल करके सबको चौंका दिया है. हरवंश सिंह राठौर ने सागर जिला पंचायत के वार्ड 25 से नामांकन दाखिल किया है. यह इलाका हरवंश सिंह राठौर के विधानसभा क्षेत्र में ही आता है और उनकी जीत सुनिश्चित मानी जा रही है. लेकिन भाजपा के लिए चिंता का विषय ये है कि जब जिला अध्यक्ष का चुनाव होगा, तब पार्टी में ही घमासान की स्थिति बनेगी.
जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में बनेगी घमासान की स्थिति : मंत्रियों के परिजनों और पूर्व विधायक द्वारा नामांकन दाखिल किए जाने के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि सागर जिला पंचायत का चुनाव काफी हाईप्रोफाइल होगा और दोनों मंत्रियों में से कौन ताकतवर है, यह देखने को मिलेगा। फिलहाल तो 10 जून तक नाम वापसी का समय हैं और दोनों मंत्री इस तक राहत को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अभी तक की स्थिति में कोई निर्णय नहीं हो पाया है।
नड्डा के फरमान का माना जा रहा है असर : पिछले दिनों प्रदेश की यात्रा पर आए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने साफ कर दिया था कि नेता पुत्र और परिजनों को अब टिकट में तरजीह नहीं दी जाएगी. पार्टी के कार्यकर्ताओं को ज्यादा महत्व दिया जाएगा. ऐसी गाइडलाइन के चलते नेता पुत्रों और परिजनों को सिर्फ पंचायत चुनाव ही एक सहारा बचा है. जहां वह अपनी भविष्य की राजनीति संवार सकते हैं. परिजनों को अंदाजा हो गया है कि भविष्य में पार्टी सिंबल के आधार पर होने वाले चुनाव में उनका पत्ता कट सकता है. इसलिए जिला पंचायत और जनपद पंचायत चुनावों में जोर आजमाइश कर रहे हैं. (BJP guideline on familism create problem) (Two strong ministers face to face in Sagar)