सागर। बुंदेलखंड अपनी अनूठी परंपराओं के लिए देश दुनिया में अपनी अलग पहचान रखता है, चाहे यहां की बोली, लोक गीत या फिर परंपराओं को दर्शाते मेले हों. सभी में यहां की संस्कृति रची बसी है. देवरी विधानसभा क्षेत्र का श्रीदेवखंडेराव जी मंदिर का भव्य मेला इन्हीं में से एक है, जहां बुंदेलखंड के तमाम रंग एक साथ नजर आते हैं.
स्थानीय लोगों के अनुसार इस मेले की शुरुआत करीब साढ़े चार सौ साल पहले हुई थी, इस मेले में लोग यहां स्थित श्रीदेवखंडेराव जी मंदिर में अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और अपनी मन्नत पूरी करने के लिए श्रद्धालू यहां अंगारों पर नंगे पैर चलते हैं.
अंगारों पर नंगे पैर चलने की परंपरा
दरअसल इस परंपरा के पीछे की कहानी कुछ यूं है कि, साढ़े चार सौ साल पहले यहां के स्थानीय शासक के बेटे की तबीयत अचानक बहुत ख़राब हो गई, इलाके के तमाम वैद्य उसका ईलाज करने में नाकाम रहे, तभी राजा के सपने में देवता श्रीदेवखंडेराव जी आए और उन्होंने राजा से मंदिर के पास नाव के आकार का गड्ढा बनाकर उसमें अंगारे भरकर उस पर नंगे पैर पार करने को कहा और राजा ने ऐसा ही किया, जिससे उनके बेटे की तबीयत ठीक हो गई.
इस घटना के बाद से ही मंदिर प्रांगण में जश्न मनाया गया और तभी से इस मेले की शुरुआत हुई, जहां लोग आज भी अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए यहां दहकते अंगारों पर नंगे पैर चलते हैं. 11 दिनों तक चलने वाले इस मेले में दूर दराज से हज़ारों लोग अपनी मन्नत लेकर मेले का लुत्फ़ उठाने आते हैं.