सागर। तीन अक्षर के भरोसे से ढाई अक्षर के प्रेम की उत्पत्ति होती है, जिसे बस होने भर की देर होती है, फिर इस मोहब्बत को मुकम्मल करने के लिए जमाने से टकरा जाना कोई नई बात नहीं है. जिनका प्यार मुकम्मल हो जाता है, उनकी जिंदगी खुशहाल हो जाती है, लेकिन जिनका इश्क अधूरा रह जाता है, वो जिंदा रहकर भी जिंदा नहीं रहते हैं. साथ नहीं जी पाने की मजबूरी में ऐसे ही एक प्रेमी जोड़े ने साथ मरने की कसमें खाई और ट्रैक पर सामने से आती ट्रेन से टकरा गया, जिसके बाद दोनों के प्राण पखेरू उड़ गये.
ये इश्क नहीं आसां, बस इतना समझ लीजै, ये मौत का ट्रैक है और कटकर जाना है - गिरवर रेलवे स्टेशन
सागर जिले में दस दिन के अंदर दो प्रेमी जोड़ों ने ट्रेन से कटकर जान दे दी. रविवार सुबह जिस प्रेमी जोड़े का शव गिरवर स्टेशन के पास मिला है, वह पिछले चार दिनों से लापता था.
सागर। तीन अक्षर के भरोसे से ढाई अक्षर के प्रेम की उत्पत्ति होती है, जिसे बस होने भर की देर होती है, फिर इस मोहब्बत को मुकम्मल करने के लिए जमाने से टकरा जाना कोई नई बात नहीं है. जिनका प्यार मुकम्मल हो जाता है, उनकी जिंदगी खुशहाल हो जाती है, लेकिन जिनका इश्क अधूरा रह जाता है, वो जिंदा रहकर भी जिंदा नहीं रहते हैं. साथ नहीं जी पाने की मजबूरी में ऐसे ही एक प्रेमी जोड़े ने साथ मरने की कसमें खाई और ट्रैक पर सामने से आती ट्रेन से टकरा गया, जिसके बाद दोनों के प्राण पखेरू उड़ गये.
बाइट-नील कंठ दुबे ए एसआई -जीआरपी सागर एमपी
Conclusion: