सागर। महाशिवरात्रि के पर्व पर श्रद्धालु भगवान शिव की आराधना में व्यस्त हैं. देश में भगवान शिव के कई अति प्राचीन मंदिर हैं, जिनका अपना इतिहास और वैभव है. इसी कड़ी में सागर-रहली मार्ग पर स्थित पटनेश्वर धाम की भी अपनी कहानी और अपना इतिहास है. यहां के इतिहास और भक्तों की कहानी इस मंदिर को अपने आप में अनूठा बनाती हैं. करीब 400 साल पुराने इस मंदिर का निर्माण सागर के तत्कालीन राजा की पत्नी लक्ष्मी बाई खेर ने कराया था.
रानी लक्ष्मीबाई खेर ने कराया था पटनेश्वर मंदिर का निर्माण
सागर-रहली मार्ग पर ढाना के नजदीक पटना गांव में बने ऐतिहासिक शिव मंदिर को पटनेश्वर धाम कहा जाता है. इस मंदिर का निर्माण 1631 ईसवी में तत्कालीन मराठा रानी लक्ष्मीबाई खेर ने कराया था. लक्ष्मीबाई खेर सागर के राजा की रानी थी. वह काफी धार्मिक थी. उन्होंने सागर और आसपास के इलाकों में कई मंदिरों का निर्माण कराया था. लक्ष्मीबाई खेर अक्सर रेहली जाया करती थी और जाते समय उनका पड़ाव पटना गांव में पढ़ता था, यहां पर उन्होंने शिव मंदिर का निर्माण कराया था. गांव का नाम पटना होने के कारण मंदिर पटनेश्वर धाम कहलाने लगा.
400 साल पुराना शिव मंदिर: अद्भूत है इससे जुड़ी कहानी
बुंदेलखंड में 400 साल पुराना शिव मंदिर स्थापित है, जो श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है. इससे जुड़ी कहानी भी अद्भूत है. पढ़िए पूरी खबर..
सागर। महाशिवरात्रि के पर्व पर श्रद्धालु भगवान शिव की आराधना में व्यस्त हैं. देश में भगवान शिव के कई अति प्राचीन मंदिर हैं, जिनका अपना इतिहास और वैभव है. इसी कड़ी में सागर-रहली मार्ग पर स्थित पटनेश्वर धाम की भी अपनी कहानी और अपना इतिहास है. यहां के इतिहास और भक्तों की कहानी इस मंदिर को अपने आप में अनूठा बनाती हैं. करीब 400 साल पुराने इस मंदिर का निर्माण सागर के तत्कालीन राजा की पत्नी लक्ष्मी बाई खेर ने कराया था.
रानी लक्ष्मीबाई खेर ने कराया था पटनेश्वर मंदिर का निर्माण
सागर-रहली मार्ग पर ढाना के नजदीक पटना गांव में बने ऐतिहासिक शिव मंदिर को पटनेश्वर धाम कहा जाता है. इस मंदिर का निर्माण 1631 ईसवी में तत्कालीन मराठा रानी लक्ष्मीबाई खेर ने कराया था. लक्ष्मीबाई खेर सागर के राजा की रानी थी. वह काफी धार्मिक थी. उन्होंने सागर और आसपास के इलाकों में कई मंदिरों का निर्माण कराया था. लक्ष्मीबाई खेर अक्सर रेहली जाया करती थी और जाते समय उनका पड़ाव पटना गांव में पढ़ता था, यहां पर उन्होंने शिव मंदिर का निर्माण कराया था. गांव का नाम पटना होने के कारण मंदिर पटनेश्वर धाम कहलाने लगा.