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प्रशासन ने नहीं की कोई व्यवस्था, पीपल की छांव में छोटे-छोटे बच्चों के साथ क्वारंटाइन हुआ परिवार - त्योंथर तहसील स्थित बरहा गांव

रीवा जिले के त्योंथर तहसील के ग्राम पंचायत बरहा निवासी मंगल सिंह परिवार सहित महाराष्ट्र से लौटे, जिनके पास क्वारंटाइन होने के लिए जगह नहीं थी, तो वो अपने बच्चों के साथ पीपल के पेड़ के नीचे क्वारंटाइन हो गए.

Quarantined family with children under peepal tree
पीपल की छांव में छोटे-छोटे बच्चों के साथ क्वारंटाइन हुआ परिवार
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Published : May 25, 2020, 5:22 PM IST

रीवा। प्रशासनिक दावों की पोल खोलती ये तस्वीर रीवा जिले के त्योंथर तहसील स्थित बरहा गांव की है. जहां प्रशासन बाहर से आ रहे प्रवासी मजदूरों के लिए क्वारंटाइन की व्यवस्था नहीं कर पा रहा है. पंचायतों की अनदेखी से लोग खुले आसमान के नीचे क्वारंटाइन हो रहे हैं. ऐसा ही एक परिवार पीपल के पेड़ के नीचे छोटे-छोटे बच्चों के साथ क्वारंटाइन होकर, दिन भर लू के थपेड़े सहने को मजबूर है.

मामला त्योंथर तहसील के बरहा गांव का है. ग्राम पंचायत बरहा निवासी मंगल सिंह परिवार सहित महाराष्ट्र में मजदूरी करने गए थे, जहां से वो 20 मई को बस के माध्यम से वापस लौटे और अपने घर आ गए. घर में उनके पास अलग कमरा नहीं था, जिसमें वो क्वारंटाइन हो सके. वहीं पंचायत ने भी उनकी कोई व्यवस्था नहीं की. जिसके बाद वो गांव में ही पीपल के पेड़ के नीचे अपने परिवार के साथ क्वारंटाइन हो गए. इनके साथ पत्नी व दो छोटे-छोटे बच्चे हैं. खुले आसमान के नीचे ये परिवार पिछले चार दिनों से पड़ा हुआ है. जहां उनके लिए कोई व्यवस्था प्रशासनिक स्तर पर नहीं की गई है. गांव वालों से राशन मांग कर महिला खुद भोजन बनाती है और अपने परिवार का पेट भरती है. खाना बनाने के लिए प्रतिदिन महिला लकड़ियां भी बीन कर लाती है. वर्तमान में जिले के भीतर अधिकांश पंचायतों में ऐसे नजारे देखने को मिले हैं, जहां लोग घरों में व्यवस्था न होने से खुले आसमान के नीचे क्वारंटाइन हैं. प्रशासन ऐसे परिवारों की व्यवस्था नहीं कर पा रहा है, जिनके पास क्वारंटाइन होने की व्यवस्था नहीं है. सभी पंचायतों के स्कूल, पंचायत भवन सहित अन्य शासकीय बिल्डिंग खाली पड़ी हैं और उनमें ताले लटक रहे हैं, लेकिन उसका लाभ ऐसे लोगों को नहीं मिल पा रहा है. हाल ही में टीकर गोड़हर सहित अन्य गांव से इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं, जहां लोग पेड़ों के नीचे क्वारंटाइन हैं.

लॉकडाउन के दौरान ये कोई पहला ऐसा मामला नहीं है, जहां प्रशासनिक लापरवाही देखने को न मिली हो. पूर्व में ऐसा ही एक मामला गोविंदगड़ के टीकर से सामने आया था, जहां प्रवासी मजदूरों को गांव के खेतों में लगे पेड़ों के नीचे ही क्वारंटाइन होना पड़ा था. साथ ही विगत दिनों रीवा से महज 5 किलोमीटर दूर गोड़हर ग्राम पंचायत में एक 65 वर्षीय वृद्ध को भी खुले आसमान के नीचे ही क्वारंटाइन होना पड़ा था. जिस खबर को मीडिया ने प्रमुखता से प्रकशित भी किया था, इसके बावजूद भी प्रशासन के कानों में जू तक नही रेंगा और आज त्योंथर के बरहा गांव में महाराष्ट्र के पुणे से लौटा एक परिवार अपने छोटे-छोटे बच्चो के साथ 4 दिनों से पीपल की छांव में क्वारंटाइन होकर रह रहा है. अब भीषण गर्मी की वजह से पूरा परिवार खुले मैदान में लू के थपेड़े खाने को मजबूर है.

रीवा। प्रशासनिक दावों की पोल खोलती ये तस्वीर रीवा जिले के त्योंथर तहसील स्थित बरहा गांव की है. जहां प्रशासन बाहर से आ रहे प्रवासी मजदूरों के लिए क्वारंटाइन की व्यवस्था नहीं कर पा रहा है. पंचायतों की अनदेखी से लोग खुले आसमान के नीचे क्वारंटाइन हो रहे हैं. ऐसा ही एक परिवार पीपल के पेड़ के नीचे छोटे-छोटे बच्चों के साथ क्वारंटाइन होकर, दिन भर लू के थपेड़े सहने को मजबूर है.

मामला त्योंथर तहसील के बरहा गांव का है. ग्राम पंचायत बरहा निवासी मंगल सिंह परिवार सहित महाराष्ट्र में मजदूरी करने गए थे, जहां से वो 20 मई को बस के माध्यम से वापस लौटे और अपने घर आ गए. घर में उनके पास अलग कमरा नहीं था, जिसमें वो क्वारंटाइन हो सके. वहीं पंचायत ने भी उनकी कोई व्यवस्था नहीं की. जिसके बाद वो गांव में ही पीपल के पेड़ के नीचे अपने परिवार के साथ क्वारंटाइन हो गए. इनके साथ पत्नी व दो छोटे-छोटे बच्चे हैं. खुले आसमान के नीचे ये परिवार पिछले चार दिनों से पड़ा हुआ है. जहां उनके लिए कोई व्यवस्था प्रशासनिक स्तर पर नहीं की गई है. गांव वालों से राशन मांग कर महिला खुद भोजन बनाती है और अपने परिवार का पेट भरती है. खाना बनाने के लिए प्रतिदिन महिला लकड़ियां भी बीन कर लाती है. वर्तमान में जिले के भीतर अधिकांश पंचायतों में ऐसे नजारे देखने को मिले हैं, जहां लोग घरों में व्यवस्था न होने से खुले आसमान के नीचे क्वारंटाइन हैं. प्रशासन ऐसे परिवारों की व्यवस्था नहीं कर पा रहा है, जिनके पास क्वारंटाइन होने की व्यवस्था नहीं है. सभी पंचायतों के स्कूल, पंचायत भवन सहित अन्य शासकीय बिल्डिंग खाली पड़ी हैं और उनमें ताले लटक रहे हैं, लेकिन उसका लाभ ऐसे लोगों को नहीं मिल पा रहा है. हाल ही में टीकर गोड़हर सहित अन्य गांव से इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं, जहां लोग पेड़ों के नीचे क्वारंटाइन हैं.

लॉकडाउन के दौरान ये कोई पहला ऐसा मामला नहीं है, जहां प्रशासनिक लापरवाही देखने को न मिली हो. पूर्व में ऐसा ही एक मामला गोविंदगड़ के टीकर से सामने आया था, जहां प्रवासी मजदूरों को गांव के खेतों में लगे पेड़ों के नीचे ही क्वारंटाइन होना पड़ा था. साथ ही विगत दिनों रीवा से महज 5 किलोमीटर दूर गोड़हर ग्राम पंचायत में एक 65 वर्षीय वृद्ध को भी खुले आसमान के नीचे ही क्वारंटाइन होना पड़ा था. जिस खबर को मीडिया ने प्रमुखता से प्रकशित भी किया था, इसके बावजूद भी प्रशासन के कानों में जू तक नही रेंगा और आज त्योंथर के बरहा गांव में महाराष्ट्र के पुणे से लौटा एक परिवार अपने छोटे-छोटे बच्चो के साथ 4 दिनों से पीपल की छांव में क्वारंटाइन होकर रह रहा है. अब भीषण गर्मी की वजह से पूरा परिवार खुले मैदान में लू के थपेड़े खाने को मजबूर है.
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