रीवा। एक बेबस पिता अपनी बेटी के इलाज के लिए सरकार व प्रशासन से बीते 10 साल से मदद मांगते -मांगते थक गया है. सरकारी मदद की आस अब नहीं है. इसलिए लाचार पिता अब बेटी के इलाज के लिए भीख मांगने को मजबूर है. इसके लिए बेबस पिता ने पैदल यात्रा शुरू की है. वह बेटी के साथ सीधी जिले से चलकर समूचे विंध्य का सफर कर भोपाल तक जाएंगे और रास्ते में लोगों से भीख मांगकर बेटी के इलाज के लिए पैसे जुटाएंगे. सीधी जिले से भोपाल तक की पैदल यात्रा पर निकले लाचार पिता पंकज तिवारी सीधी जिले के कमर्जी थाना क्षेत्र के निवासी हैं.
इलाज के लिए चाहिए 60 लाख : पंकज तिवारी की एक ही संतान है. उनकी 9 वर्षीय बेटी आराध्या को जन्म से ही थैलीसीमिया नामक गंभीर बीमारी ने जकड़ रखा है. इकलौती बेटी को जीवित रखने के लिए हर सप्ताह उसे खून चढ़वाना पड़ता है. आराध्या का बोनमैरो ट्रांसप्लांट होना है. उसके लिए जर्मनी में एक डोनर मिला है. जिसकी फीस ही 15 लाख रुपए के आसपास है. इसके अलावा क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लूर तमिलनाडु द्वारा ऑपरेशन का इस्टीमेट भी 45 लाख का दिया गया है. उन्हें इलाज के लिए लगभग 60 लाख से भी ज्यादा रुपए की आवश्यकता है. लेकिन बेटी के इलाज के लिए इतने बड़ी रकम खर्च कर पाने में वह पूरी तरह से असमर्थ है.
न सरकार ने सुनी और न प्रशासन ने : पंकज ने बेटी के इलाज के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रदेश के कई बड़े नेताओं के साथ ही गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से मुलाकात की लेकिन अब तक उन्हें न तो केंद्र सरकार और न ही मध्यप्रदेश की सरकार से किसी भी प्रकार की मदद मिली है. मजबूर होकर बेबस पिता भीख मांगने पैदल ही निकल पड़ा. बीते 25 जून को पंकज तिवारी ने 9 साल की बीमार बेटी आराध्या तिवारी के साथ भीख मांगो पैदल यात्रा सीधी जिले से शुरू की. रीवा में उन्होंने अपनी यात्रा के बारे में लोगों को जानकारी दी.
ये खबरें भी पढ़ें... |
यात्रा में बीमार बेटी भी : इसके बाद गुरुवार देर शाम वह भोपाल के लिऐ रवाना हो गए. पैदल यात्रा के माध्यम से वह पूरे रास्ते लोगो से बेटी के इलाज के लिए सहयोग राशि एकत्रित करेंगे. पंकज तिवारी ने बताया कि विंध्य के कई इलाकों में भ्रमण के बाद वह रीवा पहुंचे हैं. इसके बाद वह भोपाल स्थित मुख्यमंत्री निवास तक जाएंगे. पंकज तिवारी के साथ यात्रा में बीमार बेटी आराध्या के अलावा विंध्य क्षेत्र के कुछ साथी भी शामिल हैं.