रतलाम। मालवा का सोना कहे जाने वाले 'सोयाबीन' की फसल की बुवाई को लेकर मालवा क्षेत्र के किसान परेशान हैं. सोयाबीन का प्रमाणित बीज नहीं मिलने से किसान सहकारी सोसाइटियों और कृषि विभाग से संबंधित बीज केंद्रों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं. लेकिन सोयाबीन का बीज उपलब्ध नहीं होने से इस साल सोयाबीन की बुवाई का काम अधर में पड़ गया है. पूरे देश में सोयाबीन की फसल उत्पादन के लिए नंबर वन मध्य प्रदेश में इस साल किसान एक-एक बीज के लिए मोहताज हैं. हालांकि प्राइवेट बीज ऊंचे दामों पर मिल रहे हैं लेकिन उनकी कोई प्रमाणिकता नहीं है, फिर भी कुछ किसान ऐसे बीज खरीद रहे हैं लेकिन लॉकडाउन के दौरान हुए घाटे से कई किसान ऐसे हैं, जो महंगे बीज नहीं खरीद पार रहे हैं, जिसका असर सीधे सोयाबीन की फसल और मध्य प्रदेश के खिताब पर पड़ेगा.
पिछले साल हुई अतिवृष्टि ने चौपट की फसल
बीते साल हुई अतिवृष्टि ने सोयाबीन की फसल पर खासी छाप छोड़ी. फसल कटाई के दौरान हुई ज्यादा बारिश के चलते सोयाबीन की फसल खराब हो गई थी, जिस वजह से किसानों के पास बुवाई करने योग्य बीज उपलब्ध नहीं हैं. जानकारी के मुताबिक जिस मात्रा में उत्पादान समीतियों के पास बीजों को आना था, वो नहीं आया है. पिछले साल खेतों में फलियों में ही आधे से ज्यादा बीज सड़ गए थे, जिस वजह से पर्याप्त मात्रा में बीज उत्पादन नहीं हो सका.
सोयाबीन का प्रमुख उत्पादक मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश सोयाबीन का प्रमुख उत्पादक प्रदेश है. जहां के मालवा क्षेत्र में सोयाबीन की फसल की बुवाई बड़े क्षेत्रफल में की जाती है. लेकिन इस साल यहां के किसानों को सोयाबीन के बीज की कमी का सामना करना पड़ रहा है. किसानों के पास सोयाबीन की बुवाई के लिए बीज ही उपलब्ध नहीं है. वहीं किसानों को प्रमाणित बीज उपलब्ध करवाने वाली सहकारी सोसायटियों और कृषि विभाग के बीज केंद्रों पर भी अब तक सोयाबीन का बीज उपलब्ध नहीं हो पाया है.
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प्री-मानसून देख शुरू कर दी थी तैयारी, सहकारी सोसायटियों ने खड़े किए हाथ
किसानों ने इस साल समय से पहले बारिश होने के कारण अपने खेतों में सोयाबीन की फसल की तैयारी शुरू कर दी थी. लेकिन बीज नहीं मिलने से वे परेशान हैं. किसानों ने बताया कि उन्हें पहले पर्याप्त मात्रा में बीज उपलब्ध करवाने का आश्वासन दिया गया था लेकिन अब बुवाई का समय आते ही सहकारी सोसायटियों ने हाथ खड़े कर दिए हैं. इस साल सोयाबीन की फसल शायद ही उगाएं.
1 लाख 45 हजार किसान परेशान
कृषि विभाग के अधिकारी जी एस मोहनिया ने बताया कि पिछले साल अतिवृष्टि की वजह से बीज की कमी बनी हुई है. हालांकि खरगोन और दूसरे जिलों से 64 हजार क्विंटल बीज की व्यवस्था प्राइवेट बीज कंपनियों के माध्यम से की गई है. जिले में प्राइवेट बीज कंपनियों से बात की जा रही है. लेकिन प्रशासन के लिए जिले के करीब एक लाख 45 हजार किसानों के लिए पर्याप्त बीज की व्यवस्था करना अब नामुमकिन सा साबित हो रहा है.
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25 से 30 फीसदी तक कम हो सकता है उत्पादन
जानकारी के मुताबिक बीजों की कमी के चलते इस साल 25 से 30 फीसदी तक प्रदेश में सोयाबीन की फसल पर कमी हो सकती है. वहीं किसान सोयाबीन को छोड़ मक्का और कपास पर जोर दे सकते हैं, जिससे इनके उत्पादन में इजाफा हो सकता है. साथ ही इस साल प्रदेश में इनकी पैदावार में खासा फर्क देखने को मिल सकता है.
बहरहाल, प्री मानसून की अच्छी बारिश के बाद किसान अपने खेतों की तैयारियों में जुटे हुए हैं. वहीं कुछ किसानों ने अपने पास उपलब्ध बीज की ही बुवाई शुरू कर दी है, जिसके बाद सोयाबीन के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध मालवा में इस साल सोयाबीन का रकबा घटने की आशंका जताई जा रही है.