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सैलाना के अभयारण्य में इस साल नहीं पहुंचा एक भी खरमोर पक्षी, जलवायु परिवर्तन रही वजह - रतलाम।

सैलाना में खरमोर अभयारण्य में इस बार एक भी खरमोर पक्षी नहीं पहुंचा. दुर्लभ खरमोर पक्षी हर वर्ष बारिश के मौसम में प्रजनन के लिए सैलाना और आसपास के क्षेत्र में आते हैं. लेकिन इस वर्ष एक भी खरमोर पक्षी खरमोर अभयारण्य में दिखाई नहीं दिया है

सैलाना के अभयारण्य में इस साल नहीं पहुंचा एक भी खरमोर पक्षी
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Published : Sep 5, 2019, 8:40 PM IST

रतलाम। खरमोर लेसर फ्लोरीकन प्रजाति का पक्षी है, यह उत्तर पश्चिम महाराष्ट्र से लेकर पश्चिमी घाट तक के भारतीय क्षेत्र में पाया जाता है, लेकिन वर्षा ऋतु में मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात के क्षेत्रों में प्रजनन के लिए पहुंचता है.

सैलाना के अभयारण्य में इस साल नहीं पहुंचा एक भी खरमोर पक्षी
रतलाम के सैलाना में खरमोर पक्षी के लिए 1983 में संरक्षित क्षेत्र घोषित कर खरमोर अभयारण्य बनाया गया था, जहां हर वर्ष यह पक्षी प्रजनन के लिए पहुंचते थे. लेकिन घटते घास के मैदानों और जलवायु परिवर्तन के चलते अब इस पक्षी का मोह से भंग हो गया है, पिछले 10 वर्षों में यहां पहुंचने वाले खरमोर पक्षियों की संख्या लगातार घटी रही है . इस वर्ष भी मानसून समाप्त होने आया है, लेकिन एक भी खरमोर पक्षी सैलाना खरमोर खरमोर अभयारण्य में देखने को नहीं मिला है, वहीं वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इन पक्षियों के आने और जाने को लेकर कोई ट्रैकिंग सिस्टम नहीं बना है.

रतलाम। खरमोर लेसर फ्लोरीकन प्रजाति का पक्षी है, यह उत्तर पश्चिम महाराष्ट्र से लेकर पश्चिमी घाट तक के भारतीय क्षेत्र में पाया जाता है, लेकिन वर्षा ऋतु में मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात के क्षेत्रों में प्रजनन के लिए पहुंचता है.

सैलाना के अभयारण्य में इस साल नहीं पहुंचा एक भी खरमोर पक्षी
रतलाम के सैलाना में खरमोर पक्षी के लिए 1983 में संरक्षित क्षेत्र घोषित कर खरमोर अभयारण्य बनाया गया था, जहां हर वर्ष यह पक्षी प्रजनन के लिए पहुंचते थे. लेकिन घटते घास के मैदानों और जलवायु परिवर्तन के चलते अब इस पक्षी का मोह से भंग हो गया है, पिछले 10 वर्षों में यहां पहुंचने वाले खरमोर पक्षियों की संख्या लगातार घटी रही है . इस वर्ष भी मानसून समाप्त होने आया है, लेकिन एक भी खरमोर पक्षी सैलाना खरमोर खरमोर अभयारण्य में देखने को नहीं मिला है, वहीं वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इन पक्षियों के आने और जाने को लेकर कोई ट्रैकिंग सिस्टम नहीं बना है.
Intro:नोट- इस खबर में सैलाना खरमोर अभ्यारण के विजुअल wrap द्वारा mp_rat_03a _kharmor_pakshi_gayab_pkg_7204864 स्लग से भेजे हैं कृपया ऐड करें।


रतलाम के सैलाना स्थित खरमोर अभ्यारण्य में इस बार एक भी खरमोर पक्षी नही पहुँचा है। दुर्लभ प्रजाति के खरमोर पक्षी हर वर्ष बारिश के मौसम में प्रजनन के लिए सैलाना और आसपास के क्षेत्र में आते हैं। लेकिन इस वर्ष एक भी खरमोर पक्षी सैलाना स्थित खरमोर अभ्यारण और आसपास के ग्रामीण इलाकों में दिखाई नहीं दिया है। आमतौर पर बड़ी घास के मैदानों में पाए जाने वाले इस पक्षी की संख्या लगातार घट रही है। विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके ये पक्षी बारिश के मौसम में सैलाना आंबा और शेरपुर में प्रजनन के लिये यहाँ पहुँचते थे लेकिन घास के मैदानों की कमी और जलवायु परिवर्तन का असर इन पक्षियों के प्रवास पर भी पड़ा है और इस वर्ष एक भी खरमोर पक्षी सैलाना नहीं पहुंचा है।


Body:दरअसल खरमोर पक्षी लेसर फ्लोरीकन प्रजाति का पक्षी है यह मुख्यतः उत्तर पश्चिम महाराष्ट्र से लेकर पश्चिमी घाट तक के भारतीय क्षेत्र में पाया जाता है लेकिन वर्षा ऋतु में मध्य प्रदेश राजस्थान और गुजरात के क्षेत्रों में प्रजनन के लिए पहुंचता है। रतलाम जिले के सैलाना में भी खरमोर पक्षी के लिए 1983 में संरक्षित क्षेत्र घोषित कर खरमोर अभ्यारण बनाया गया था। जहां हर वर्ष यह पक्षी प्रजनन के लिए पहुंचता था। लेकिन घटते घास के मैदानों और जलवायु परिवर्तन के चलते अब इस पक्षी का मोह मालवा से भंग हो गया है। पिछले 10 वर्षों में यहां पहुंचने वाले खरमोर पक्षियों की संख्या लगातार घटी है। और इस वर्ष मानसून समाप्त होने आया है लेकिन एक भी खरमोर पक्षी सैलाना खरमोर अभ्यारण मैं देखने को नहीं मिला है।


Conclusion:बहरहाल वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इन पक्षियों के आने और जाने को लेकर कोई ट्रैकिंग सिस्टम नहीं बना है। संभवत इन पक्षियों के यहां तक पहुंचने के मार्ग में परिवर्तन होने से इस वर्ष खरमोर पक्षी यहां नहीं पहुंचे हैं।


बाइट 01 शैलेंद्र कुमार गुप्ता( डीएफओ रतलाम वन मंडल)
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