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नोटबंदी के तीन साल पूरे , जानिए रतलाम के लोगों की राय

नोटबंदी के फैसले को तीन साल गुजर गए हैं. आज की दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संबोधन में यह ऐतिहासिक फैसला लिया था. नोटबंदी के फैसले पर तीन साल बाद रतलाम के लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है.

नोटबंदी पर रतलाम के लोगों की राय
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Published : Nov 8, 2019, 8:30 PM IST

रतलाम। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लिए गए नोटबंदी के फैसले के तीन साल पूरे हो गए हैं. रतलाम में ईटीवी भारत ने नोटबंदी के तीन साल होने पर आम नागरिकों, व्यापारियों से बात की. जहां कुछ लोगों ने इस फैसले की सराहना की तो कुछ लोगों ने इस फैसले को एक गलत फैसला बताया.

नोटबंदी पर रतलाम के लोगों की राय

आम और नौकरीपेशा लोगों का कहना है कि नोटबंदी को देश भक्ति से जोड़कर हमे काला धन की वापसी, नकली नोटों से मुक्ति और जीडीपी में बढ़ोतरी होने की उम्मीद दिखाई गई थी. लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद भी छोटे-मोटे व्यापार- व्यवसाय मंदी के दौर से गुजर रहे हैं और बाजार में मुद्रा की कमी भी बनी हुई है.

वहीं पूर्व बैंकर और विशेषज्ञों का कहना है कि जिन चार प्रमुख उद्देश्यों को लेकर नोटबंदी की योजना लागू की गई थी. उनको देखें तो यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा कदम साबित नहीं हुआ है. इससे देश के लोगों को नुकसान उठाना पड़ा है. बहरहाल 8 नवंबर 2014 को देशभर में लागू की गई नोटबंदी को 3 वर्ष बीत चुके हैं. जिसके चलते इस फैसले को सत्ता पक्ष जहां एक अच्छा निर्णय बता रहा है. तो विपक्ष इस पर निशाना साध रहा है. जबकि आम जनता की मिली जुली राय मिल रही है.

रतलाम। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लिए गए नोटबंदी के फैसले के तीन साल पूरे हो गए हैं. रतलाम में ईटीवी भारत ने नोटबंदी के तीन साल होने पर आम नागरिकों, व्यापारियों से बात की. जहां कुछ लोगों ने इस फैसले की सराहना की तो कुछ लोगों ने इस फैसले को एक गलत फैसला बताया.

नोटबंदी पर रतलाम के लोगों की राय

आम और नौकरीपेशा लोगों का कहना है कि नोटबंदी को देश भक्ति से जोड़कर हमे काला धन की वापसी, नकली नोटों से मुक्ति और जीडीपी में बढ़ोतरी होने की उम्मीद दिखाई गई थी. लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद भी छोटे-मोटे व्यापार- व्यवसाय मंदी के दौर से गुजर रहे हैं और बाजार में मुद्रा की कमी भी बनी हुई है.

वहीं पूर्व बैंकर और विशेषज्ञों का कहना है कि जिन चार प्रमुख उद्देश्यों को लेकर नोटबंदी की योजना लागू की गई थी. उनको देखें तो यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा कदम साबित नहीं हुआ है. इससे देश के लोगों को नुकसान उठाना पड़ा है. बहरहाल 8 नवंबर 2014 को देशभर में लागू की गई नोटबंदी को 3 वर्ष बीत चुके हैं. जिसके चलते इस फैसले को सत्ता पक्ष जहां एक अच्छा निर्णय बता रहा है. तो विपक्ष इस पर निशाना साध रहा है. जबकि आम जनता की मिली जुली राय मिल रही है.

Intro:देशभर में मोदी सरकार द्वारा लागू की गई नोटबंदी योजना को आज 3 वर्ष पूरे हो गए हैं। 3 साल बीतने के बाद ईटीवी भारत ने आम लोगों , व्यापारियों और विशेषज्ञों से नोटबंदी के फायदे व नुकसान पर उनके अनुभव जाने। जिसमें अधिकांश लोगों ने नोटबंदी को उम्मीद से कम सफल होना बताया है। आम और नौकरीपेशा लोगों का कहना है कि नोटबंदी को देश भक्ति से जोड़कर हमें काला धन वापसी, नकली नोटों से मुक्ति और जीडीपी में बढ़ोतरी होने की उम्मीद दिखाई गई थी लेकिन 3 साल बीत जाने के बाद भी छोटे-मोटे व्यापार- व्यवसाय मंदी के दौर से गुजर रहे हैं और बाजार में मुद्रा की कमी भी बनी हुई है।


Body:दरअसल 3 साल पहले आज ही के दिन देशभर में नोट बंदी लागू की गई थी जिसके बाद कैश की कमी और नोट बदलवाने के लिए लोगों को बैंकों के बाहर लाइने लगानी पड़ी थी। 3 साल बीतने के बाद रतलाम में भी आम लोग व्यापारियों और विशेषज्ञों ने नोट बंदी को लेकर मिली जुली प्रतिक्रिया व्यक्त की है। लेकिन किसी ने भी नोटबंदी को पूर्ण रूप से सफल होना नहीं बताया है।आम और नौकरीपेशा लोगों का कहना है कि नोटबंदी को देश भक्ति से जोड़कर हमें काला धन वापसी, नकली नोटों से मुक्ति और जीडीपी में बढ़ोतरी होने की उम्मीद दिखाई गई थी लेकिन 3 साल बीत जाने के बाद भी छोटे-मोटे व्यापार- व्यवसाय मंदी के दौर से गुजर रहे हैं और बाजार में मुद्रा की कमी भी बनी हुई है। वही पूर्व बैंकर और विशेषज्ञों का कहना है कि जिन चार प्रमुख उद्देश्यों को लेकर नोटबंदी की योजना लागू की गई थी। उनको देखें तो यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा कदम साबित नहीं हुआ है।


Conclusion:बहरहाल 8 नवंबर 2014 को देशभर में लागू की गई नोटबंदी को 3 वर्ष बीत चुके हैं लेकिन छोटे शहरों और बाजार में मंदी बनी हुई है और बाजार में कैश फ्लो की कमी भी बरकरार है।

बाईट-01_ प्रकाश लोड़ा( आम नागरिक)
बाइट 02- कीर्ति बड़जात्या( मेंबर ,चेंबर ऑफ कॉमर्स रतलाम)
बाइट 03- अर्पण गंगवाल (सर्राफा व्यापारी)
बाइट 04 - पारस सकलेचा (पूर्व बैंकर और विषय विशेषज्ञ)
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