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अनादिकल्पेश्वर के मुखौटे को लेकर कोर्ट में लगाई याचिका खारिज, एसडीएम के आदेश बताया सही

रतलाम जिले के आलोट में अनादिकल्पेश्वर के मुखौटे के लिए लगाई गई याचिका निरस्त हो गई है. कोर्ट ने निगरानी याचिका खारिज कर दी है. जानें पूरा मामला...

Anadikalpeshwar Mahadev
अनादिकल्पेश्वर महादेव
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Published : Jul 29, 2020, 2:45 AM IST

रतलाम। आलोट के अनादि कल्पेश्वर महादेव के प्रतीक मुखौटे को लेकर न्यायालय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश वंदन मेहता के समक्ष पुजारी अनिल रावल निवासी धरोला द्वारा प्रस्तुत निगरानी याचिका निरस्त कर दी है. आलोट नगर में हर साल सावन और भाद्रपद महीने में निकलने वाली प्रसिद्ध शंकर सवारी में महादेव के प्रतीक मुखौटे का उपयोग होता रहा है. जिसे एसडीएम द्वारा कोषालय में सुरक्षा की दृष्टि से अनिल रावल से लेकर जमा करवा दिया था.

इस प्रतीक मुखौटे को अनिल रावल द्वारा अपने निजी पैतृक संपत्ति बताते हुए आलोट एसडीएम के आदेश को चुनौती देते हुए उसे वापस दिलाने की मांग को लेकर एक पुनरीक्षण याचिका प्रस्तुत की थी. अनिल रावल ने इस मुखौटे को अपने पूर्वजों की सम्पति बताकर कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिस पर न्यायाधीश वंदन मेहता की बेंच ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद निगरानी याचिका को खारिज करते हुए निगरानी याचिका को प्रचलन योग्य नहीं माना है.

24 फरवरी को शिवरात्रि पर्व के दौरान सवारी निकालने के बाद भगवान अनादि कल्पेश्वर का प्रतीक मुखौटा वारादार पुजारी द्वारा घर ले जाने की शिकायत यहां के पुजारी द्वारा एसडीएम से की गई थी. जिस पर एसडीएम ने नायब तहसीलदार को इस मामले का संज्ञान लेने को कहा था. जिसके बाद नायब तहसीलदार ने प्रतीक मुखौटे को अनिल रावल से मंगवाकर कौशालय में जमा करवा दिया था.

रतलाम। आलोट के अनादि कल्पेश्वर महादेव के प्रतीक मुखौटे को लेकर न्यायालय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश वंदन मेहता के समक्ष पुजारी अनिल रावल निवासी धरोला द्वारा प्रस्तुत निगरानी याचिका निरस्त कर दी है. आलोट नगर में हर साल सावन और भाद्रपद महीने में निकलने वाली प्रसिद्ध शंकर सवारी में महादेव के प्रतीक मुखौटे का उपयोग होता रहा है. जिसे एसडीएम द्वारा कोषालय में सुरक्षा की दृष्टि से अनिल रावल से लेकर जमा करवा दिया था.

इस प्रतीक मुखौटे को अनिल रावल द्वारा अपने निजी पैतृक संपत्ति बताते हुए आलोट एसडीएम के आदेश को चुनौती देते हुए उसे वापस दिलाने की मांग को लेकर एक पुनरीक्षण याचिका प्रस्तुत की थी. अनिल रावल ने इस मुखौटे को अपने पूर्वजों की सम्पति बताकर कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिस पर न्यायाधीश वंदन मेहता की बेंच ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद निगरानी याचिका को खारिज करते हुए निगरानी याचिका को प्रचलन योग्य नहीं माना है.

24 फरवरी को शिवरात्रि पर्व के दौरान सवारी निकालने के बाद भगवान अनादि कल्पेश्वर का प्रतीक मुखौटा वारादार पुजारी द्वारा घर ले जाने की शिकायत यहां के पुजारी द्वारा एसडीएम से की गई थी. जिस पर एसडीएम ने नायब तहसीलदार को इस मामले का संज्ञान लेने को कहा था. जिसके बाद नायब तहसीलदार ने प्रतीक मुखौटे को अनिल रावल से मंगवाकर कौशालय में जमा करवा दिया था.

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