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कोरोना संकट: गुजरात में फंसे 12 मजदूर पहुंचे जावरा

कोरोना संकट के चलते गुजरात के अलग-अलग हिस्सों में फंसे 12 मजदूरों को वापस उनके गांव लाया गया. हालांकि इससे पहले उनका स्वास्थ्य विभाग द्वारा परीक्षण भी कराया गया.

trapped laboures reached Javra
फंसे 12 मजदूर पहुंचे जावरा
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Published : May 6, 2020, 12:48 PM IST

रतलाम। जावरा के पास स्थित नोलखा गांव के करीब 150 से अधिक मजदूर गुजरात के अलग-अलग हिस्सों में मजदूरी के लिए गए थे, जो लॉकडाउन के चलते गुजरात में ही पिछले 40 दिनों से फंसे हैं. लंबे समय से काम बंद होने की वजह से मजदूरों को खाने-पीने की समस्या से जूझना पड़ रहा है, जिन्हें जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि रितेश जैन द्वारा मदद पहुंचाई गई.

मजदूरों के खातों में शासन की ओर 1 हजार रुपए की मदद की गई. इसी बीच 4 मई यानि सोमवार को सुबह गुजरात के मौरबी में एक टाईल्स फैक्ट्री में काम करने वाले करीब 12 मजदूर अपने घर के लिए रवाना हुए, जो बुधवार सुबह जावरा पहुंचे.

जावरा पहुंचे मजदूरों में शामिल भोलाराम ने बताया कि पिछले 4 माह से नोलखा के करीब 150 से अधिक मजदूर मजदूरी कार्य के लिए गुजरात गए थे. लॉकडाउन होने के बाद फैक्ट्री मालिक ने कोई मदद नहीं की. भूखे-मरने की नौबत आने पर उन लोगों ने जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि रितेश जैन से चर्चा की तो उन्होंने प्रदेश सरकार से मदद करवाई.

उन्होंने बताया कि सुबह मौरबी से पैदल अपने घर के लिए निकले थे. करीब 30 किलोमीटर पैदल चलने के बाद एक ऑटो मिला, जिससे वे करीब 20 किलोमीटर का सफर तय कर पहुंचे. गुजरात से आते समय बस का सहारा लिया गया, जिसमें 400 रुपए प्रति सवारी किराया लिया गया. वहां से मध्य प्रदेश बार्डर तक पहुंचे, जहां से बस का किराया नहीं लेते हुए जावरा पहुंचाया गया. जावरा पहुंचते ही सभी मजदूरों की स्वास्थ विभाग द्वारा स्क्रीनिंग की गई और उन्हें अपने घर नोलखा पहुंचाया गया.

रतलाम। जावरा के पास स्थित नोलखा गांव के करीब 150 से अधिक मजदूर गुजरात के अलग-अलग हिस्सों में मजदूरी के लिए गए थे, जो लॉकडाउन के चलते गुजरात में ही पिछले 40 दिनों से फंसे हैं. लंबे समय से काम बंद होने की वजह से मजदूरों को खाने-पीने की समस्या से जूझना पड़ रहा है, जिन्हें जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि रितेश जैन द्वारा मदद पहुंचाई गई.

मजदूरों के खातों में शासन की ओर 1 हजार रुपए की मदद की गई. इसी बीच 4 मई यानि सोमवार को सुबह गुजरात के मौरबी में एक टाईल्स फैक्ट्री में काम करने वाले करीब 12 मजदूर अपने घर के लिए रवाना हुए, जो बुधवार सुबह जावरा पहुंचे.

जावरा पहुंचे मजदूरों में शामिल भोलाराम ने बताया कि पिछले 4 माह से नोलखा के करीब 150 से अधिक मजदूर मजदूरी कार्य के लिए गुजरात गए थे. लॉकडाउन होने के बाद फैक्ट्री मालिक ने कोई मदद नहीं की. भूखे-मरने की नौबत आने पर उन लोगों ने जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि रितेश जैन से चर्चा की तो उन्होंने प्रदेश सरकार से मदद करवाई.

उन्होंने बताया कि सुबह मौरबी से पैदल अपने घर के लिए निकले थे. करीब 30 किलोमीटर पैदल चलने के बाद एक ऑटो मिला, जिससे वे करीब 20 किलोमीटर का सफर तय कर पहुंचे. गुजरात से आते समय बस का सहारा लिया गया, जिसमें 400 रुपए प्रति सवारी किराया लिया गया. वहां से मध्य प्रदेश बार्डर तक पहुंचे, जहां से बस का किराया नहीं लेते हुए जावरा पहुंचाया गया. जावरा पहुंचते ही सभी मजदूरों की स्वास्थ विभाग द्वारा स्क्रीनिंग की गई और उन्हें अपने घर नोलखा पहुंचाया गया.

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