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श्रावण से जो थी उम्मीदें वो भी टूटी, फूल की खेती करने वाले किसानों की मेहनत पर फिरा पानी

बहुतायत तौर पर फूलों की खेती करने वाले किसान इस साल श्रावण माह में भी कमाई नहीं होने के कारण काफी परेशान हैं. काफी नुकसान होने के कारण अब किसान फूल की खेती को छोड़ने का मन बना चुके हैं.

loss to flower farmers
गुलाब किसान परेशान
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Published : Jul 21, 2020, 12:52 PM IST

रतलाम। देशभर में व्यापक रूप में फैली कोरोना महामारी और उसकी रोकथाम के लिए किया गया लॉकडाउन एक कहर बनकर फूल व्यापारियों और किसानों पर टूटा है. एक ओर जहां बीते तीन महीनों में फूलों की खेती करने वाले किसानों के फूल खेतों में ही मुरझा गए, वहीं हर साल श्रावण माह में डिमांड में रहने वाले गुलाब की इस साल मांग बहुत कम रही. पूरी गर्मी रहे लॉकडाउन के दौरान किसानों को श्रावण माह से बहुत उम्मीद थी, लेकिन इस महीने में भी गुलाब की मांग नहीं होने की वजह से फूलों की खेती करने वाले किसान परेशान हैं. साथ ही इन हालातों को देख अब फूल की खेती को छोड़ने का मन बना चुके हैं.

rose
खेतों पर सूख रहे गुलाब

लॉकडाउन खुलने के बाद श्रावण माह में गुलाब के फूलों की खेती करने वाले किसानों को अच्छे दाम मिलने की उम्मीद थी, लेकिन श्रावण मास में भी फूलों की मांग नहीं होने से गुलाब उत्पादक किसान अब इसकी खेती छोड़ने का मन बना चुके हैं. बता दें, जिले के तीतरी, मथुरी, करमदी कुआझागर और कुशलगढ़ गांवों में बहुतायत तौर पर फूलों की खेती की जाती है. गुलाब की खेती के लिए मशहूर इस क्षेत्र के किसान पिछले तीन महीनों से आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. कभी श्रावण के महीने में 70 से 80 रुपए प्रति किलो बिकने वाला गुलाब का फूल, अब महज पांच से छह रुपए प्रति किलो बिक रहा है, जिससे किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है.

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मुरझा रहे गुलाब

ये भी पढ़ें- संकट से गुजर रहे गुलाब किसान, दीपावली तक रौनक लौटने की कर रहे उम्मीद

लॉकडाउन के दौरान लाखों की फसल बर्बाद कर चुके किसानों को श्रावण माह में फूलों की मांग बढ़ने और अच्छे दाम मिलने की उम्मीद थी. इनमें खासकर गुलाब उत्पादक शामिल थे, लेकिन किसानों की यह उम्मीद अब टूट चुकी है. साल भर मेहनत करने के बाद अब किसानों को गुलाब के फूलों का दाम इतना कम मिल रहा है कि, वे अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं.

गुलाब किसान परेशान

रेड रोज की डिमांड बंद

डेकोरेशन, सजावट और मंदिरों में शृंगार में काम आने वाले रेड रोज की मांग तो इन दिनों न के बराबर हो गई है. किसान गुलाब की खेती में लागत भी वसूल नहीं कर पा रहे हैं. गुलाब उत्पादक किसानों का कहना है कि, उन्हें न तो सरकार और न ही उद्यानिकी विभाग से कोई मदद मिल पा रही है. ऐसे में गुलाब उत्पादक किसानों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है.

रतलाम। देशभर में व्यापक रूप में फैली कोरोना महामारी और उसकी रोकथाम के लिए किया गया लॉकडाउन एक कहर बनकर फूल व्यापारियों और किसानों पर टूटा है. एक ओर जहां बीते तीन महीनों में फूलों की खेती करने वाले किसानों के फूल खेतों में ही मुरझा गए, वहीं हर साल श्रावण माह में डिमांड में रहने वाले गुलाब की इस साल मांग बहुत कम रही. पूरी गर्मी रहे लॉकडाउन के दौरान किसानों को श्रावण माह से बहुत उम्मीद थी, लेकिन इस महीने में भी गुलाब की मांग नहीं होने की वजह से फूलों की खेती करने वाले किसान परेशान हैं. साथ ही इन हालातों को देख अब फूल की खेती को छोड़ने का मन बना चुके हैं.

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खेतों पर सूख रहे गुलाब

लॉकडाउन खुलने के बाद श्रावण माह में गुलाब के फूलों की खेती करने वाले किसानों को अच्छे दाम मिलने की उम्मीद थी, लेकिन श्रावण मास में भी फूलों की मांग नहीं होने से गुलाब उत्पादक किसान अब इसकी खेती छोड़ने का मन बना चुके हैं. बता दें, जिले के तीतरी, मथुरी, करमदी कुआझागर और कुशलगढ़ गांवों में बहुतायत तौर पर फूलों की खेती की जाती है. गुलाब की खेती के लिए मशहूर इस क्षेत्र के किसान पिछले तीन महीनों से आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. कभी श्रावण के महीने में 70 से 80 रुपए प्रति किलो बिकने वाला गुलाब का फूल, अब महज पांच से छह रुपए प्रति किलो बिक रहा है, जिससे किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है.

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मुरझा रहे गुलाब

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लॉकडाउन के दौरान लाखों की फसल बर्बाद कर चुके किसानों को श्रावण माह में फूलों की मांग बढ़ने और अच्छे दाम मिलने की उम्मीद थी. इनमें खासकर गुलाब उत्पादक शामिल थे, लेकिन किसानों की यह उम्मीद अब टूट चुकी है. साल भर मेहनत करने के बाद अब किसानों को गुलाब के फूलों का दाम इतना कम मिल रहा है कि, वे अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं.

गुलाब किसान परेशान

रेड रोज की डिमांड बंद

डेकोरेशन, सजावट और मंदिरों में शृंगार में काम आने वाले रेड रोज की मांग तो इन दिनों न के बराबर हो गई है. किसान गुलाब की खेती में लागत भी वसूल नहीं कर पा रहे हैं. गुलाब उत्पादक किसानों का कहना है कि, उन्हें न तो सरकार और न ही उद्यानिकी विभाग से कोई मदद मिल पा रही है. ऐसे में गुलाब उत्पादक किसानों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है.

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