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किसान जला रहे हैं खेतों में पराली, प्रशासन के आदेशों की उड़ा रहे धज्जियां

कोरोना वायरस के चलते लागू हुए लॉकडाउन के बावजूद रतलाम के किसान खेतों में नरवाई करने से बाज नहीं आ रहे हैं. वहीं कलेक्टर, एसपी और प्रशासनिक अधिकारियों के घरों के पीछे स्थित खेतों में किसान गेहूं की फसल के अवशेष जलाकर प्रशासन के दिए गए निर्देशों का मजाक बना रहे हैं.

despite of administation instruction farmers of ratlam is burning extracts of wheat crops in the feild
किसान जला रहे गेहू की पराली
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Published : Apr 8, 2020, 11:43 AM IST

रतलाम। प्रशासन के कड़े आदेश के बावजूद किसान अपने खेतों में पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे. ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा रतलाम शहर में ही प्रशासनिक अधिकारियों के घरों के पीछे के खेत में किसान ने पराला जलाकर बड़ी आगजनी की घटना को न्योता दे दिया.

गौरतलब है कि पराली जलाने पर स्थानीय प्रशासन ने रोक लगाई गई हैं. लेकिन जिले के अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में रात के वक्त पराली जलाने का काम किया जा रहा है. वहीं रतलाम शहर में कलेक्टर एसपी और प्रशासनिक अधिकारियों के घरों के पीछे स्थित खेतों में ही किसानों ने गेहूं की फसल अवशेष जलाकर प्रशासन के आदेशों का मखौल उड़ाया है.

दरअसल, गेहूं की फसल की कटाई बाद किसानों द्वारा फसल के अवशेष जलाने की कुप्रथा मालवा क्षेत्र में प्रचलित है. जिससे बड़ी मात्रा में वायु प्रदूषण और खेतों की मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी प्रभावित होती है.

पराली जलाने की वजह से कई बार भीषण अग्निकांड भी हो जाते हैं, जिससे जन और पशु हानि होती है. वहीं वर्तमान में कोरोना संकट के चलते जारी लॉकडाउन के दौरान प्रशासन के आदेशों का पालन किसान नहीं कर रहे और खेतों में अंधाधुंध पराली जलाने का काम कर रहे हैं, जिससे बड़ी दुर्घटना होने की संभावना बनी हुई है.

रतलाम। प्रशासन के कड़े आदेश के बावजूद किसान अपने खेतों में पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे. ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा रतलाम शहर में ही प्रशासनिक अधिकारियों के घरों के पीछे के खेत में किसान ने पराला जलाकर बड़ी आगजनी की घटना को न्योता दे दिया.

गौरतलब है कि पराली जलाने पर स्थानीय प्रशासन ने रोक लगाई गई हैं. लेकिन जिले के अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में रात के वक्त पराली जलाने का काम किया जा रहा है. वहीं रतलाम शहर में कलेक्टर एसपी और प्रशासनिक अधिकारियों के घरों के पीछे स्थित खेतों में ही किसानों ने गेहूं की फसल अवशेष जलाकर प्रशासन के आदेशों का मखौल उड़ाया है.

दरअसल, गेहूं की फसल की कटाई बाद किसानों द्वारा फसल के अवशेष जलाने की कुप्रथा मालवा क्षेत्र में प्रचलित है. जिससे बड़ी मात्रा में वायु प्रदूषण और खेतों की मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी प्रभावित होती है.

पराली जलाने की वजह से कई बार भीषण अग्निकांड भी हो जाते हैं, जिससे जन और पशु हानि होती है. वहीं वर्तमान में कोरोना संकट के चलते जारी लॉकडाउन के दौरान प्रशासन के आदेशों का पालन किसान नहीं कर रहे और खेतों में अंधाधुंध पराली जलाने का काम कर रहे हैं, जिससे बड़ी दुर्घटना होने की संभावना बनी हुई है.

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