रतलाम। फूल और फलों के बागीचे लगाने के शौकीन तो बहुत होते हैं, लेकिन रतलाम के सैलाना के महाराजा ने अपने पैलेस में कांटो का गार्डन यानी कैक्टस का गार्डन लगवाया था. इस गार्डन को देखने दूर-दूर से सैलानी पहुंचते हैं. कैक्टस का ये गार्डन अब सैलाना की पहचान और गौरव बन चुका है. इस गार्डन में करीब 1000 प्रजाति के खूबसूरत कैक्टस के पेड़ और पौधे मौजूद है. जिन्हें देखने सैलानी यहां पहुंचते हैं.
सैलानियों को करता है आकर्षित
1960 में महाराज दिग्विजय सिंह राठौर ने इस नायाब गार्डन का निर्माण करवाया था. जिसमें करीब 3000 प्रजाति के कैक्टस लगाये गये थे. वर्तमान में इस गार्डन में 1000 प्रजाति के कैक्टस मौजूद है. जिसमें 1 फिट के गोलाकार कैक्टस से लेकर 50 फिट ऊंचा कैक्टस का पेड़ भी मौजूद है. अलग-अलग आकृति और बनावट के इन कैक्टस की खूबसूरती देखते ही बनती है. कैक्टस गॉर्डन की ख्याति का ही असर है कि यहां बॉलीवुड की फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है. 90 के दशक में आई धर्मेंद्र और शत्रुघ्न सिन्हा की फिल्म 'जीने नहीं दूंगा' को यही फिल्माया गया था. इस अनोखे कैक्टस गार्डन फिर से सहेजने -संवारने का काम सैलाना राजपरिवार ने शुरू किया है.
ये है पहुंचने का आसान रास्ता
अपनी विशेषता और अनोखेपन से कैक्टस गार्डन सैलानियों को अपनी और आकर्षित कर ही लेता है. सैलाना के इस कैक्टस गॉर्डन तक पहुंचने के लिये नजदीकी रेलवे स्टेशन रतलाम है. जहां से सैलाना की दूरी 25 किमी है. इसके साथ ही मप्र-राजस्थान को जोड़ने वाला रतलाम- बांसवाड़ा मार्ग भी सैलाना से होकर गुजरता है. जिससे निजी वाहनों से भी यहां पहुंचा जा सकता है.