रतलाम। जिले में इन दिनों लगातार एड्स के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. कुल रजिस्टर्ड HIV संक्रमित मरीजों की संख्या 1550 हो गई है. एआरटी सेंटर में हर महीने 20 नए HIV संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं, जो पिछले साल सामने आए 200 मरीजों की संख्या के मुकाबले ज्यादा हैं.
हैरान कर रहे हैं आंकड़े
एआरटी सेंटर के नोडल अधिकारी डॉ. योगेश निखरा की मानें तो नए मरीजों में 20% से अधिक मरीज दोबारा एआरटी सेंटर नहीं पहुंचते हैं और जानकारी के अभाव में HIV का संक्रमण अपने नजदीकियों और अन्य लोगों में फैला रहे हैं. जिला अस्पताल प्रबंधन ऐसे अनरजिस्टर्ड मरीजों की पहचान करने और HIV से संक्रमित लोगों को फिर से एआरटी सेंटर से जोड़ने के लिए स्पर्श अभियान चला रहा है.
जानकारी के अभाव में हो जाती है मरीजों की मौत
इस अभियान के तहत अब तक सिस्टम से नहीं जुड़े मरीजों को जोड़कर उनकी काउंसलिंग और आवश्यक उपचार प्रक्रिया प्रारंभ की जा सकेगी. HIV जांच के लिए सीमित जांच केंद्र होने से जानकारी के अभाव में ही मरीज की मौत हो जाती थी, जिससे वो एआरटी सेंटर के आंकड़ों में दर्ज ही नहीं हो पाता था, लेकिन अब सभी ब्लॉक स्तर पर स्वास्थ्य केंद्रों में की जाने वाली HIV की प्राथमिक जांच की सुविधा से HIV संक्रमित मरीजों की वास्तविक संख्या सामने आने लगी है.
हर महीने आ रहे 20 नए मरीज
एआरटी सेंटर के नोडल अधिकारी ने जिले के आंकड़े जारी किए, जिसमें रतलाम जिले में हर महीने 20 नए HIV संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं, जो पिछले साल की तुलना में बहुत ज्यादा है. रतलाम जिले में वर्ष 2017-18 में जहां कुल 200 नए मरीज सामने आए थे. वहीं चालू वित्तीय वर्ष में अब तक 140 नए मरीज सामने आ चुके हैं. वहीं जिले में कुल पंजीकृत HIV संक्रमित मरीजों की संख्या 1550 पहुंच गई है.
स्पर्श अभियान से की जा रही मरीजों की पहचान
डॉ. योगेश निखरा ने बताया है कि जिले में अब सभी बड़े स्वास्थ्य केंद्रों पर HIV की प्राथमिक जांच अनिवार्य रूप से की जा रही है. इसकी वजह से भी HIV संक्रमित मरीजों की वास्तविक संख्या सामने आने लगी है. वहीं शासन स्पर्श अभियान चलाकर सिस्टम की पहुंच से दूर ऐसे मरीजों की पहचान कर रही है, जो HIV संक्रमित होने के बाद उपचार कराने के लिए एआरटी सेंटर दोबारा नहीं गए हैं.
एआरटी सेंटर के जरिए रोकथाम की कवायद
बहरहाल HIV संक्रमित मरीजों का ये आंकड़ा चिंताजनक जरूर है, लेकिन जिले में HIV संक्रमित मरीजों की वास्तविक संख्या पता चलने और उनकी काउंसलिंग के बाद एआरटी सेंटर के माध्यम से उनका उपचार किए जाने से एड्स जैसी भयानक बीमारी के संक्रमण पर नियंत्रण रखने में मदद मिल सकती है.