राजगढ़। आगामी गेहूं कटाई के सीजन से पहले ही कलेक्टर ने एक आदेश पारित किया है. जिसमें पराली जलाने पर पांबदी लगाई गई है.कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने दंड प्रक्रिया नियमावली 1973 की धारा 144 लागू कर दी है, ताकि इस आदेश का पालन सख्ती से कराया जा सके. जारी आदेशों के मुताबिक खेतों से फसल कटाई के बाद शेष बचे अवशेषों, पराली को जलाने पर पूर्णत: प्रतिबंध रहेगा. यदि कोई इन आदेशों की अवहेलना करता है तो जरूरी कार्रवाई की जा सकती है.इसके अलावा इस आदेश में कई बातों का जिक्र किया है.
आदेश के मुख्य बिंदु
- फसल कटाई उपरांत पराली में आग लगाया जाना प्रतिबंधित है.
- जिले में बाहर से जितने भी कंबाइन हार्वेस्टर आएंगे, अगर उनमें स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम या स्ट्रॉ रीपर नहीं लगा है, उनको जिले में कार्य करने से प्रतिबंधित किया जाता है.
- कंबाइन हार्वेस्टर से फसल कटाई का कार्य करते समय प्रत्येक हार्वेस्टर संचालक को संबंधित ग्राम पंचायत में मशीन का रजिस्ट्रेशन नंबर चालक का नाम व मोबाइल नंबर दर्ज करवाना अनिवार्य होगा.
पराली जलाने से होता है नुकसान
जिला प्रशासन का मानना है कि जिले में गेहूं की फसल मुख्य फसल है. जिसकी कटाई मुख्य रूप से हार्वेस्टर के द्वारा की जाती है. हार्वेस्टर से कटाई के बाद फसलों की नरवाई/ पराली में आग लगाने की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हुई है. आग लगाने से भूमि की उर्वरा शक्ति में ही कमी होती है. साथ ही पर्यावरण प्रदूषण भी होता है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के द्वारा नरवाई में आग लगाने की घटनाओं की सेटेलाइट मैपिंग की जाती है. इसमें मध्यप्रदेश की स्थिति बेहद चिंताजनक है.
पंजाब के बाद एमपी दूसरे नंबर पर
साल 2019-20 में मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में पराली जलाने की 43,198 घटनाएं दर्ज की गईं ,जो पंजाब राज्य के बाद सर्वाधिक हैं. लिहाजा हार्वेस्टर से कटाई के समय स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम या स्ट्रॉ रीपर का उपयोग अनिवार्य है. लिहाजा ये आदेश प्रसारित किया गया है.