राजगढ़। पीड़ितों ने बताया कि लगभग एक से डेढ़ माह पूर्व देवलिजागीर गांव के सुरेंद्र सिंह और इंदर सिंह बीच विवाद हुआ, जो मारपीट तक जा पहुंचा. जिसमे इंदर सिंह को सिर, आंख और पेट मे चोटें आई थीं. जिसकी शिकायत लेकर वह कोतवाली थाने पहुंचे. अपने आरोपी पुत्र की शिकायत करने के बजाय उसने प्रेमसिंह पिता हरनाथ, बबलू पिता तंवरलाल और पिंटू पिता जगन्नाथ का नाम एफआईआर में लिखवा दिया. जबकि हम लोग राजगढ़ में ही निवास करते हैं और यहीं मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं.
पुलिस पर दबाव बनाने का आरोप : एक अन्य पिंटू पिता जगन्नाथ कॉलेज का छात्र है,और हमार उक्त विवाद से दूर तक भी कोई नाता नहीं है. पुलिस ने अपराध दर्ज होने के कुछ दिनों पश्चात ही जब हमें गिरफ्तारी देने के लिए फ़ोन किया तो हम परेशान हो गए. पुलिस उस समय न तो हमें एफआईआर की कॉपी देने के लिए तैयार थी और न ही धारा की जानकारी देने के लिए तैयार थी. हम लोगों ने इस मामले की लिखित शिकायत दर्ज कराई है. जिस पर उन्होंने हमे उचित निराकरण के लिए आश्वस्त किया था. लेकिन समय बीता और कोतवाली पुलिस के जांच अधिकारी जांच करने के बजाय हमे दोषी साबित करते हुए गिरफ्तारी के लिए दबाव बनाने लगे.
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जांच के बाद होगी कार्रवाई : आरोप है कि हम लोगों को थाने पर भी बुलाया गया और खाली कागज़ पर हमारी उंगलियों के निशान वा दस्तखत भी कराए, लेकिन हमने न तो किसी से मारपीट की और न ही घटना के समय हम गांव में मौजूद थे. ऐसे में हम जबरन ही अपने ऊपर लगाए गए आरोप क्यों स्वीकारें. हमने 20 नवंबर को दूसरी मर्तबा फिर से भोपाल का रुख किया और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी से मुलाकात की. इस मामले को लेकर राजगढ़ कोतवाली थाना प्रभारी वीर सिंह ठाकुर का कहना है कि जांच के बाद जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी.