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48 सालों से सड़क के लिए जूझ रहे ग्रामीण, कई सरकारें आईं और गईं, नहीं बदले हालात

जिले के जीरापुर तहसील का काशी खेड़ी पूर्व गांव मुख्य मार्ग से जोड़ने के लिए संघर्ष कर रहा है. 1972 के बाद से 48 साल पहले स्थापित किए गए इस गांव में सड़क का निर्माण नहीं हो पाया है.

Kashi Khedi East Villagers have been struggling for the road
सड़क की दरकार
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Published : Jul 19, 2020, 3:24 PM IST

Updated : Jul 23, 2020, 10:16 AM IST

राजगढ़। जिले के जीरापुर तहसील का काशी खेड़ी पूर्व गांव मुख्य मार्ग से जोड़ने के लिए संघर्ष कर रहा है. 1972 के बाद से 48 साल पहले स्थापित किए गए इस गांव में सड़क का निर्माण नहीं हो पाया है. जबकि ग्रामीण लगातार अपने गांव के रास्ते के लिए प्रशासनिक और राजनीतिक तौर पर तमाम कोशिश कर चुके हैं, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात जैसा ही है.

ग्रामीणों को सड़क की दरकार

1972 में छापी डेम के बाद किया स्थापित

1972 में छापी नदी पर छापी डैम का निर्माण किया गया था, उस दौरान काशी खेड़ी गांव का आधा हिस्सा डूब क्षेत्र में आने के कारण कुछ लोगों को नदी के उस पार गांव से लगभग 2 किलोमीटर दूर विस्थापित किया गया था, गांव को विस्थापित करने के बाद उन लोगों के रहने वाले स्थान को काशी खेड़ी (पूर्व) नाम दिया गया था और उनका गांव का राजस्व काशी खेड़ी के साथ ही रखा गया था. आज इस गांव में 600 लोग निवास करते हैं.

राजस्व के कारण हो रहे परेशान

काशी खेड़ी से करके काशी खेड़ी (पूर्व) का निर्माण किया गया था, लेकिन इस गांव का राजस्व आज भी पूर्व की तरह ही बना हुआ है. आज भी इस गांव की गिनती उसी गांव की परिधि में मानी जाती है जिसके वजह से ना सिर्फ गांव के लोगों को आम सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा और सरकार की अनेक योजनाओं से यह गांव वंचित है. यहां तक की सरकार की सबसे मुख्य योजना प्रधानमंत्री सड़क योजनाओं से भी गांव को लाभ नहीं मिला है.

Kashi Khedi East Villagers have been struggling for the road
सालों से नहीं नसीब हुई सड़क

गांव नदी के दूसरे छोर पर स्थापित है और गांव को मुख्य गांव से जोड़ने वाली 2 किमी की सड़क आज तक निर्माण नहीं की गई है. जिससे बरसात के मौसम में ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, और आज भी कच्चा रास्ता होने के वजह से ग्रामीणों को कीचड़ से सने रास्ते से निकल कर आना पड़ता है. यहां तक की बच्चों का स्कूल जाना बरसात के मौसम में बंद हो जाता है.

विधायक भी नहीं करवा पाए निर्माण

काशी खेड़ी गांव के व्यक्ति का दबदबा पूरी खिलचीपुर विधानसभा सहित राजगढ़ जिले में माना जाता है, 25 सालों तक ना सिर्फ कांग्रेस बल्कि भाजपा के भी विधायक इसके मुख्य गांव से चुनकर मध्यप्रदेश की विधानसभा में पहुंचे हैं, लेकिन राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान रखने वाला मुख्य गांव आज तक इस गांव को सड़क से नहीं जोड़ पाया है. और इस गांव के लोग आज भी सड़क तक के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं.

काशी खेड़ी गांव के पूर्व विधायक हजारीलाल दांगी और प्रभु दयाल चौबे विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे, और खिलचीपुर विधानसभा का उन्होंने 25 सालों तक प्रतिनिधित्व किया है पर वह अभी तक अपने गांव के इस हिस्से को सड़क का लाभ नहीं दिलवा पाए है. वहीं कुछ माह पूर्व क्षेत्र के विधायक प्रियव्रत सिंह खिंची कांग्रेस सरकार में ऊर्जा मंत्री भी रहे, लेकिन वे भी इस गांव को आज तक मुख्य गांव से नहीं जुड़वा पाए.

बरसात में भारी परेशानी

बरसात के मौसम में गांव के लोगों को शहर तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है, पानी गिरने के बाद इस गांव में कच्चे रास्ते पर जहां काली मिट्टी होने रास्ते कीचड़ में तब्दील हो जाते है साथ ही दुर्घटनाएं भी उस दौरान ज्यादा होती है. ऐसे में अस्पतालस और स्कूल तक पहुंचने में ग्रामीणों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है.

राजगढ़। जिले के जीरापुर तहसील का काशी खेड़ी पूर्व गांव मुख्य मार्ग से जोड़ने के लिए संघर्ष कर रहा है. 1972 के बाद से 48 साल पहले स्थापित किए गए इस गांव में सड़क का निर्माण नहीं हो पाया है. जबकि ग्रामीण लगातार अपने गांव के रास्ते के लिए प्रशासनिक और राजनीतिक तौर पर तमाम कोशिश कर चुके हैं, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात जैसा ही है.

ग्रामीणों को सड़क की दरकार

1972 में छापी डेम के बाद किया स्थापित

1972 में छापी नदी पर छापी डैम का निर्माण किया गया था, उस दौरान काशी खेड़ी गांव का आधा हिस्सा डूब क्षेत्र में आने के कारण कुछ लोगों को नदी के उस पार गांव से लगभग 2 किलोमीटर दूर विस्थापित किया गया था, गांव को विस्थापित करने के बाद उन लोगों के रहने वाले स्थान को काशी खेड़ी (पूर्व) नाम दिया गया था और उनका गांव का राजस्व काशी खेड़ी के साथ ही रखा गया था. आज इस गांव में 600 लोग निवास करते हैं.

राजस्व के कारण हो रहे परेशान

काशी खेड़ी से करके काशी खेड़ी (पूर्व) का निर्माण किया गया था, लेकिन इस गांव का राजस्व आज भी पूर्व की तरह ही बना हुआ है. आज भी इस गांव की गिनती उसी गांव की परिधि में मानी जाती है जिसके वजह से ना सिर्फ गांव के लोगों को आम सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा और सरकार की अनेक योजनाओं से यह गांव वंचित है. यहां तक की सरकार की सबसे मुख्य योजना प्रधानमंत्री सड़क योजनाओं से भी गांव को लाभ नहीं मिला है.

Kashi Khedi East Villagers have been struggling for the road
सालों से नहीं नसीब हुई सड़क

गांव नदी के दूसरे छोर पर स्थापित है और गांव को मुख्य गांव से जोड़ने वाली 2 किमी की सड़क आज तक निर्माण नहीं की गई है. जिससे बरसात के मौसम में ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, और आज भी कच्चा रास्ता होने के वजह से ग्रामीणों को कीचड़ से सने रास्ते से निकल कर आना पड़ता है. यहां तक की बच्चों का स्कूल जाना बरसात के मौसम में बंद हो जाता है.

विधायक भी नहीं करवा पाए निर्माण

काशी खेड़ी गांव के व्यक्ति का दबदबा पूरी खिलचीपुर विधानसभा सहित राजगढ़ जिले में माना जाता है, 25 सालों तक ना सिर्फ कांग्रेस बल्कि भाजपा के भी विधायक इसके मुख्य गांव से चुनकर मध्यप्रदेश की विधानसभा में पहुंचे हैं, लेकिन राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान रखने वाला मुख्य गांव आज तक इस गांव को सड़क से नहीं जोड़ पाया है. और इस गांव के लोग आज भी सड़क तक के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं.

काशी खेड़ी गांव के पूर्व विधायक हजारीलाल दांगी और प्रभु दयाल चौबे विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे, और खिलचीपुर विधानसभा का उन्होंने 25 सालों तक प्रतिनिधित्व किया है पर वह अभी तक अपने गांव के इस हिस्से को सड़क का लाभ नहीं दिलवा पाए है. वहीं कुछ माह पूर्व क्षेत्र के विधायक प्रियव्रत सिंह खिंची कांग्रेस सरकार में ऊर्जा मंत्री भी रहे, लेकिन वे भी इस गांव को आज तक मुख्य गांव से नहीं जुड़वा पाए.

बरसात में भारी परेशानी

बरसात के मौसम में गांव के लोगों को शहर तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है, पानी गिरने के बाद इस गांव में कच्चे रास्ते पर जहां काली मिट्टी होने रास्ते कीचड़ में तब्दील हो जाते है साथ ही दुर्घटनाएं भी उस दौरान ज्यादा होती है. ऐसे में अस्पतालस और स्कूल तक पहुंचने में ग्रामीणों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है.

Last Updated : Jul 23, 2020, 10:16 AM IST
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