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हम्माल-तुलावटी का रोजगार खतरे में, SDM को सौंपा ज्ञापन - हम्माल तलावटियों ने सौंपा ज्ञापन

राजगढ़ में कृषि उपज मंडी के हम्माल-तुलावटी के रोजगार पर अब संकट मंडरा रहा है, हम्माल-तुलावटी संघ ने अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा है.

Hammal Tulawatis submitted memorandum
हम्माल तलावटियों ने सौंपा ज्ञापन
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Published : Jul 3, 2020, 7:30 PM IST

राजगढ़। जिले में हम्माल-तुलावटी संघ ने अपनी मांगों को लेकर कृषि मंत्री के फैसले को गलत बताया गया है. संघ ने अपनी मांगों को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम पर एसडीएम को ज्ञापन सौंपा है. इन लोगों ने सीएम से निवेदन किया है कि कृषि मंत्री के फैसले से हम्माल-तुलावटी बेरोजगार हो जाएंगे, जिन्होंने आधे से ज्यादा जीवन मंडी की सेवा में निकाल दिया. अगर इस फैसले को वापस नहीं लिया गया, तो गरीब हम्माल-तुलावटी को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है.

लोगों का कहना है कि सरकार की तरफ से कोई अन्य सहायता प्राप्त नहीं हुई है. ऐसे में बेरोजगारी का तोहफा सरकार द्वारा दिया जा रहा है. इसलिए निवेदन हैं कि लिए गए फैसले पर पुनर्विचार किया जाए.

तुलावटी और हम्मालों के ये हैं आरोप-

  • 1 मई 2020 को प्रदेश सरकार ने मंडी अधिनियम 1972 में संशोधन किया है था, जिसके तहत दो लाख से अधिक हम्माल और तुलावटियों को बेरोजगार होने का खतरा मंडराने लगा है. प्रदेश सरकार की ये नीति हम्माल और तुलावटियों के लिए भारी पड़ रही है. इस समस्या को लेकर आज प्रदेश भर की मंडिया बंद है.
  • ज्ञापन सौंपने वालों का आरोप है कि कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 में संशोधन करते हुए प्रदेश सरकार ने कृषि उपज मंडियों में किसानों की लूट का रास्ता खोल दिया है. वहीं दूसरी ओर कृषि उपज मंडी के कार्यरत हम्माल-तलावटी सहित अन्य मजदूरों को बेरोजगार बनाने का प्रबंध भी सरकार ने कर दिया है.
  • हाल ही में कृषि मंत्री कमल पटेल ने एक बयान देते हुए कहा कि कृषि मंडियों में किसानों से अब तुलाई का पैसा नहीं लिया जाएगा. यह पैसा हम्माल और तुलावटी को मजदूरी भुगतान के रूप में किया जाता रहा है.
  • प्रदेश स्तर की यूनियन हम्माल पल्लेदार तुलावटी एकता फेडरेशन वर्षों से सरकार से मांग करती आ रही है कि हम्मालों और तुलावटियों की मजदूरी का भुगतान मंडी को प्राप्त राजस्व में से किया जाना चाहिए, जिससे किसान, व्यापारी और मजदूर तबके के बीच किसी भी प्रकार के विवाद की स्थिति उत्पन्न न हो सकें, लेकिन सरकार ने बड़ी कंपनियों और व्यापारियों को लाभ पहुंचाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक तोल कांटों पर सारी उपज तोल कर सीधे गोदामों में पहुंचाने जैसी व्यवस्था करके किसानों को लूटने की योजना बना ली है. वहीं दूसरी ओर मंडियों में कार्यरत मजदूर वर्ग के सामने बेरोजगारी का रास्ता खोल दिया है.
  • सरकार के इस निर्णय से प्रदेशभर की करीब 557 कृषि उपज मंडियों में कार्यरत दो लाख से अधिक हम्माल-तुलावटी, हाथ ठेला चालकों की रोजी-रोटी छीनने का खतरा उत्पन्न हो गया है.

ये है मांग

हम्माल और तुलवटियों का कहना है कि सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए. सरकार अगर मांगे पूरी नहीं करती है, तो अपनी रोजी-रोटी के लिए प्रदर्शन करने के लिए मजदूर होना पड़ेगा.

राजगढ़। जिले में हम्माल-तुलावटी संघ ने अपनी मांगों को लेकर कृषि मंत्री के फैसले को गलत बताया गया है. संघ ने अपनी मांगों को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम पर एसडीएम को ज्ञापन सौंपा है. इन लोगों ने सीएम से निवेदन किया है कि कृषि मंत्री के फैसले से हम्माल-तुलावटी बेरोजगार हो जाएंगे, जिन्होंने आधे से ज्यादा जीवन मंडी की सेवा में निकाल दिया. अगर इस फैसले को वापस नहीं लिया गया, तो गरीब हम्माल-तुलावटी को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है.

लोगों का कहना है कि सरकार की तरफ से कोई अन्य सहायता प्राप्त नहीं हुई है. ऐसे में बेरोजगारी का तोहफा सरकार द्वारा दिया जा रहा है. इसलिए निवेदन हैं कि लिए गए फैसले पर पुनर्विचार किया जाए.

तुलावटी और हम्मालों के ये हैं आरोप-

  • 1 मई 2020 को प्रदेश सरकार ने मंडी अधिनियम 1972 में संशोधन किया है था, जिसके तहत दो लाख से अधिक हम्माल और तुलावटियों को बेरोजगार होने का खतरा मंडराने लगा है. प्रदेश सरकार की ये नीति हम्माल और तुलावटियों के लिए भारी पड़ रही है. इस समस्या को लेकर आज प्रदेश भर की मंडिया बंद है.
  • ज्ञापन सौंपने वालों का आरोप है कि कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 में संशोधन करते हुए प्रदेश सरकार ने कृषि उपज मंडियों में किसानों की लूट का रास्ता खोल दिया है. वहीं दूसरी ओर कृषि उपज मंडी के कार्यरत हम्माल-तलावटी सहित अन्य मजदूरों को बेरोजगार बनाने का प्रबंध भी सरकार ने कर दिया है.
  • हाल ही में कृषि मंत्री कमल पटेल ने एक बयान देते हुए कहा कि कृषि मंडियों में किसानों से अब तुलाई का पैसा नहीं लिया जाएगा. यह पैसा हम्माल और तुलावटी को मजदूरी भुगतान के रूप में किया जाता रहा है.
  • प्रदेश स्तर की यूनियन हम्माल पल्लेदार तुलावटी एकता फेडरेशन वर्षों से सरकार से मांग करती आ रही है कि हम्मालों और तुलावटियों की मजदूरी का भुगतान मंडी को प्राप्त राजस्व में से किया जाना चाहिए, जिससे किसान, व्यापारी और मजदूर तबके के बीच किसी भी प्रकार के विवाद की स्थिति उत्पन्न न हो सकें, लेकिन सरकार ने बड़ी कंपनियों और व्यापारियों को लाभ पहुंचाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक तोल कांटों पर सारी उपज तोल कर सीधे गोदामों में पहुंचाने जैसी व्यवस्था करके किसानों को लूटने की योजना बना ली है. वहीं दूसरी ओर मंडियों में कार्यरत मजदूर वर्ग के सामने बेरोजगारी का रास्ता खोल दिया है.
  • सरकार के इस निर्णय से प्रदेशभर की करीब 557 कृषि उपज मंडियों में कार्यरत दो लाख से अधिक हम्माल-तुलावटी, हाथ ठेला चालकों की रोजी-रोटी छीनने का खतरा उत्पन्न हो गया है.

ये है मांग

हम्माल और तुलवटियों का कहना है कि सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए. सरकार अगर मांगे पूरी नहीं करती है, तो अपनी रोजी-रोटी के लिए प्रदर्शन करने के लिए मजदूर होना पड़ेगा.

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