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पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं बच्चे, स्कूल में नहीं है पेयजल का कोई इंतजाम

राजगढ़ जिले के गांव टांडीकला में स्थित शासकीय माध्यमिक विद्यालय में बच्चों के लिए पानी का कोई इंतजाम नहीं है. ये समस्या तकरीबन दो साल से चल रही है, लेकिन प्रशासन अभी तक इस समस्या का समाधान नहीं कर पाया है.

शासकीय स्कूल में बच्चे प्यासे रहने को मजबूर
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Published : Jun 29, 2019, 2:18 PM IST

राजगढ़। 'सब पढ़ें, सब बढ़ें' का नारा देने वाली सरकार स्कूलों में मूलभूत सुविधा भी मुहैया नहीं करा पाई है. यहां पीने का पानी तक मुहैया कराने में सरकार नाकाम साबित हो रही है. मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के गांव टांडीकला में स्थित शासकीय माध्यमिक विद्यालय में बच्चों के लिए पानी की व्यवस्था नहीं है. यहां तक कि पीने के लिए बच्चे एक बोतल पानी अपने साथ घर से लेकर आ रहे हैं. बोतल का पानी खत्म हो जाने के बाद बच्चे प्यासे रहते हैं.

बच्चे घर से लाते हैं पानी
आलम ये है कि स्कूल में पानी की कोई सुविधा ही नहीं है और ऐसा एक दो-दिन नहीं बल्कि पूरे साल रहता है. ऐसे में छात्रों और अध्यापकों को इस गर्मी में पीने के पानी के लिए या तो घर से बोतल में पानी लाना पड़ता है, नहीं तो आसपास बने घरों पर निर्भर रहना पड़ता है.

हैरानी की बात ये है कि ये समस्या तकरीबन दो साल से है, लेकिन प्रशासन अभी तक इस समस्या का समाधान नहीं कर पाया है. हालांकि अध्यापकों द्वारा प्रशासन को लिखित में कई बार आवेदन दिया जा चुका है, लेकिन प्रशासन झूठे आश्वासन देता आ रहा है.

शासकीय स्कूल में बच्चे प्यासे रहने को मजबूर

वहीं शिक्षिका पुष्पा शाक्य ने बताया कि स्कूल में बिजली और पानी की बहुत समस्या है. बिजली की समस्या तो पास में डीपी लग जाने के बाद खत्म हो जाएगी, लेकिन पानी की समस्या काफी बड़ी समस्या है.
⦁ बच्चे घर से एक बोतल पीने का पानी लेकर आते हैं स्कूल.
⦁ बोतल खाली होने पर बच्चे प्यासे रहते हैं.
⦁ स्कूल के आसपास कुएं, हैंडपंप सब सूख चुके हैं.
⦁ तकरीबन दो साल से लगातार चल रही है पानी की समस्या.
⦁ पिछले डेढ़ साल से लगातार शिकायत देने के बावजूद समस्या का निराकरण नहीं हुआ.
⦁ अधिकारी सिर्फ देते हैं समस्या के निराकरण का आश्वासन.

वहीं छात्रा हेमा ने बताया कि घर से एक बोतल पानी लेकर आते हैं, लेकिन खत्म हो जाने पर पानी नसीब नहीं होता है. जब इस बारे में डीपीसी विक्रम सिंह राठौर से बात की गई, तो उन्होंने गोलमोल जवाब दिया.

उन्होंने पीएचई विभाग पर पल्ला झाड़ते हुए कहा कि पीएचई विभाग को इस बारे में सूची दी जा चुकी है और 618 स्कूलों का चयन किया जा चुका है, जिनमें से 188 स्कूल में हैंडपंप लगाए जा चुके हैं. वहीं इस स्कूल का नाम भी पीएचई लिस्ट में हैंडपम्प लगाने के लिए दर्ज है.

इस मामले पर एडीएम भूपेंद्र कुमार गोयल ने कहा कि डीपीसी को आदेश दे दिया है, वह स्कूल में निरीक्षण करेंगे और वहां पर पास में स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र से पानी की उपलब्धता करवाएंगे.

राजगढ़। 'सब पढ़ें, सब बढ़ें' का नारा देने वाली सरकार स्कूलों में मूलभूत सुविधा भी मुहैया नहीं करा पाई है. यहां पीने का पानी तक मुहैया कराने में सरकार नाकाम साबित हो रही है. मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के गांव टांडीकला में स्थित शासकीय माध्यमिक विद्यालय में बच्चों के लिए पानी की व्यवस्था नहीं है. यहां तक कि पीने के लिए बच्चे एक बोतल पानी अपने साथ घर से लेकर आ रहे हैं. बोतल का पानी खत्म हो जाने के बाद बच्चे प्यासे रहते हैं.

बच्चे घर से लाते हैं पानी
आलम ये है कि स्कूल में पानी की कोई सुविधा ही नहीं है और ऐसा एक दो-दिन नहीं बल्कि पूरे साल रहता है. ऐसे में छात्रों और अध्यापकों को इस गर्मी में पीने के पानी के लिए या तो घर से बोतल में पानी लाना पड़ता है, नहीं तो आसपास बने घरों पर निर्भर रहना पड़ता है.

हैरानी की बात ये है कि ये समस्या तकरीबन दो साल से है, लेकिन प्रशासन अभी तक इस समस्या का समाधान नहीं कर पाया है. हालांकि अध्यापकों द्वारा प्रशासन को लिखित में कई बार आवेदन दिया जा चुका है, लेकिन प्रशासन झूठे आश्वासन देता आ रहा है.

शासकीय स्कूल में बच्चे प्यासे रहने को मजबूर

वहीं शिक्षिका पुष्पा शाक्य ने बताया कि स्कूल में बिजली और पानी की बहुत समस्या है. बिजली की समस्या तो पास में डीपी लग जाने के बाद खत्म हो जाएगी, लेकिन पानी की समस्या काफी बड़ी समस्या है.
⦁ बच्चे घर से एक बोतल पीने का पानी लेकर आते हैं स्कूल.
⦁ बोतल खाली होने पर बच्चे प्यासे रहते हैं.
⦁ स्कूल के आसपास कुएं, हैंडपंप सब सूख चुके हैं.
⦁ तकरीबन दो साल से लगातार चल रही है पानी की समस्या.
⦁ पिछले डेढ़ साल से लगातार शिकायत देने के बावजूद समस्या का निराकरण नहीं हुआ.
⦁ अधिकारी सिर्फ देते हैं समस्या के निराकरण का आश्वासन.

वहीं छात्रा हेमा ने बताया कि घर से एक बोतल पानी लेकर आते हैं, लेकिन खत्म हो जाने पर पानी नसीब नहीं होता है. जब इस बारे में डीपीसी विक्रम सिंह राठौर से बात की गई, तो उन्होंने गोलमोल जवाब दिया.

उन्होंने पीएचई विभाग पर पल्ला झाड़ते हुए कहा कि पीएचई विभाग को इस बारे में सूची दी जा चुकी है और 618 स्कूलों का चयन किया जा चुका है, जिनमें से 188 स्कूल में हैंडपंप लगाए जा चुके हैं. वहीं इस स्कूल का नाम भी पीएचई लिस्ट में हैंडपम्प लगाने के लिए दर्ज है.

इस मामले पर एडीएम भूपेंद्र कुमार गोयल ने कहा कि डीपीसी को आदेश दे दिया है, वह स्कूल में निरीक्षण करेंगे और वहां पर पास में स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र से पानी की उपलब्धता करवाएंगे.

Intro:टांडी कला गांव के स्कूल के बच्चे तरस रहे हैं पानी को, पूरे साल नहीं होता है उनको पीने का पानी उपलब्ध या किसी भी प्रकार के काम के लिए पानी, टांडी कला के शासकीय माध्यमिक विद्यालय के बच्चों को नहीं नसीब हो रहा है पानी, पिछले 2 सालों से नहीं है पीने को पानी, वहीं टीचर लगातार डेढ़ साल से वरिष्ठ अधिकारियों को दे रहे हैं लिखित में सूचना


Body:मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के अंतर्गत आने वाले ग्राम टांडीकला में स्थित शासकीय माध्यमिक विद्यालय में बच्चों को पीने के लिए पानी और किसी भी कार्य हेतु पानी उपलब्ध नहीं है, वही पीने का पानी बच्चे सुबह स्कूल आते वक्त एक बोतल में भरकर लाते हैं वही जब वह पानी खत्म हो जाता है तो वह पीने को पानी के लिए भी तरस जाते हैं, वही स्कूल में किसी भी प्रकार के उपयोग के लिए पानी उपलब्ध नहीं है


वही जहां मानसून तो शुरू हो गया है परंतु इस स्कूल के बच्चे पूरे साल पानी के लिए तरसते हैं जहां गांव में तो सिर्फ गर्मीयों के ही दिनों में लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है परंतु इस स्कूल के बच्चे पानी के लिए लगातार परेशान हो रहे हैं वही बार बार प्रशासन को लिखित में आवेदन देने के बावजूद यहां पर पानी की समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है।

वही स्कूल में पदस्थ शिक्षिका पुष्पा शाक्य ने बताया कि स्कूल में बिजली और पानी की बहुत समस्या है बिजली की समस्या तो पास में डीपी लग जाने के बाद खत्म हो जाएगी ,परंतु पानी की समस्या काफी बड़ी समस्या है यहां पर बच्चे डेढ़ -दो किलोमीटर दूर से आते हैं और सिर्फ एक बोतल पानी लाते हैं जो पूरे स्कूल के समय के लिए पर्याप्त नहीं होता है वहीं उन्होंने कहा कि आसपास 3 कुवे थे जो तकरीबन सूख चुके हैं वहीं पास में जो हेडपंप था वह बिल्कुल टूट चुका है ,वहीं गांव वालों की मदद से थोड़ा बहुत पानी स्कूल में मिल जाता है परंतु या समस्या लगातार बनी हुई है वहीं उन्होंने बताया कि हमने हमारे वरिष्ठ जनों को इस बारे में सूचित किया था परंतु पिछले डेढ़ साल से लगातार शिकायत देने के बावजूद हमारी समस्या का निराकरण नहीं हो पाया है वहीं उन्होंने बताया कि वरिष्ठ जनों से सिर्फ आश्वासन के रूप में इतना ही मिला है कि आपकी समस्या का निराकरण करवाते हैं वही यहां से नजदीकी हेडपंप डेढ़ किलोमीटर दूर है जिस पर बच्चों को भेजना नामुमकिन है क्योंकि कभी भी कोई भी हादसा हो सकता है वहीं उनके साथ स्कूल छोड़कर हम भी नहीं जा सकते हैं।

वहीं स्कूल की विद्यार्थी हेमा ने बताया कि हम पानी के लिए तरस जाते हैं हम को पीने का पानी भी नसीब नहीं होता है जब हमारी बोतल खाली हो जाती है।


Conclusion:वहीं जब इस बारे में डीपीसी विक्रम सिंह राठौर से पूछा गया तो उन्होंने गोलमोल जवाब दिया वहीं प्राथमिक शाला के साथ ही माध्यमिक शाला को जोड़कर उन्होंने कहा कि प्राथमिक शाला में पानी की व्यवस्था की गई थी जिससे वहां पर पानी है,
वही आपको बता दें कि प्राथमिक शाला और माध्यमिक शाला में लगभग 1 किलोमीटर की दूरी है जो डीपीसी को पता ही नहीं है,

वहीं उन्होंने पीएचई विभाग पर यहां पल्ला झाड़ते हुए कहा कि पीएचई विभाग को इस बारे में समस्त उचित सूची दी जा चुकी है और 618 स्कूलों का चयन किया जा चुका है जिनमें से 188 स्कूल में हैंडपंप लगाए जा चुके हैं वहीं इस स्कूल का नाम भी पीएचई लिस्ट में हैंडपम्प लगाने के लिए दर्ज है।

एडीएम भूपेंद्र कुमार गोयल ने कहा कि मैंने डीपीसी को आदेश दे दिया है वह कल सुबह ही जाकर स्कूल में निरीक्षण करेंगे और वहां पर पास में स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र से पानी की उपलब्धता करवाएंगे और बच्चे किसी भी तरह पाने के लिए परेशान ना हो ऐसी व्यवस्था की जाएगी।

विसुअल

खाली बोतल के साथ बच्चों के
स्कूल के

बाइट

शिक्षिका पुष्पा शाक्य
हेमा स्कूल विद्यार्थी
डीपीसी विक्रम सिंह राठौड़
एडीएम भूपेंद्र कुमार गोयल




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