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युवाओं ने बनाए इको फ्रेंडली गणेश, पर्यावरण संरक्षण का दिया संदेश

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Published : Sep 1, 2019, 10:45 AM IST

जिले में पर्यावरण संरक्षण के प्रति युवक युवतियां अपने हाथों से मिट्टी के इको फ्रेंडली गणेश की प्रतिमा बना रहे हैं, जिसको लेकर बच्चों में काफी उत्साह है.

मिट्टी के इको फ्रेंडली गणेश

रायसेन। जिले में पर्यावरण संरक्षण के लिए युवक युवतियों द्वारा मिट्टी की गणेश प्रतिमाएं बनाई जा रही है. इतना ही नहीं इन मूर्तियों में तुलसी, गेंदा, मोगरा, गुलाब समेत अन्य फूलों के पौधे के बीज को रखा जा रहा है ताकि लोग विसर्जन करते समय मिट्टी से बनी मूर्तियों को घर पर ही विसर्जित करें.
इको फ्रेंडली गणेश की प्रतिमा पर्यावरण के लिए बेहद जरूरी है ताकि जल प्रदूषित न हो. इससे पर्यावरण को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होगा. मिट्टी से बनी प्रतिमाएं पानी में अच्छी तरह से घुल जाती है.

युवाओं ने बनाए इको फ्रेंडली गणेश
वहीं घरों में स्थापित की जाने वाली मूर्तियां पीओपी और रासायनिक रंगों से बनी हुई होती है. पीओपी की प्रतिमा पर हानिकारक रासायनिक रंग लगाए जाते हैं. इससे नदियां, तालाब और अन्य जल स्रोत भी प्रदूषित होते हैं, जिसके चलते पानी उपयोग में नहीं रह जाता.

रायसेन। जिले में पर्यावरण संरक्षण के लिए युवक युवतियों द्वारा मिट्टी की गणेश प्रतिमाएं बनाई जा रही है. इतना ही नहीं इन मूर्तियों में तुलसी, गेंदा, मोगरा, गुलाब समेत अन्य फूलों के पौधे के बीज को रखा जा रहा है ताकि लोग विसर्जन करते समय मिट्टी से बनी मूर्तियों को घर पर ही विसर्जित करें.
इको फ्रेंडली गणेश की प्रतिमा पर्यावरण के लिए बेहद जरूरी है ताकि जल प्रदूषित न हो. इससे पर्यावरण को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होगा. मिट्टी से बनी प्रतिमाएं पानी में अच्छी तरह से घुल जाती है.

युवाओं ने बनाए इको फ्रेंडली गणेश
वहीं घरों में स्थापित की जाने वाली मूर्तियां पीओपी और रासायनिक रंगों से बनी हुई होती है. पीओपी की प्रतिमा पर हानिकारक रासायनिक रंग लगाए जाते हैं. इससे नदियां, तालाब और अन्य जल स्रोत भी प्रदूषित होते हैं, जिसके चलते पानी उपयोग में नहीं रह जाता.
Intro:रायसेन-जिले में पर्यावरण संरक्षण के प्रति समाज को जागरूक करने के उद्देश्य से बच्चे और युवक युवतियां अपने हाथों में मिट्टी लेकर मिट्टी के इको फ्रेंडली गणेश की प्रतिमाएं बना रहे हैं इन मूर्तियों को गणेश चतुर्थी पर अपने घर में विराजमान करेंगे इतना ही नहीं मिट्टी से गणेश जी की जो प्रतिमा बनाई जा रही है उनमें तुलसी गेंदा मोगरा गुलाब समेत अन्य फूलों के पौधे के बीज को रखा जा रहा है ताकि लोग विसर्जन के दिन मिट्टी से बनी मूर्तियों को घर पर ही गमले में विसर्जित करें।


Body:गणेश चतुर्थी पर जन सामान्य से मिट्टी से बनी इको फ्रेंडली गणेश जी की प्रतिमाओं की स्थापना स्वास्थ्य पर्यावरण के लिए जरूरी है ताकि हमारे जल स्रोत निर्मल बने रहे और इसके लिए सभी लोग मिट्टी से बनी गणेश जी की प्रतिमाओं को ही स्थापित करें इससे पर्यावरण को किसी तरह का नुकसान ना हो मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमाएं स्थापित कर हमें पर्यावरण नदी तालाबों तथा जलीय जंतुओं की रक्षा करनी चाहिए।गीली मिट्टी से गणेश जी की प्रतिमाओं को आकार दे रहे यह बच्चे सुंदर-सुंदर प्रतिमाओं को बनाने में तल्लीनता से लगे हैं इनका कहना है कि मिट्टी से बनी प्रतिमाएं जल स्त्रोतों के पानी में अच्छी तरह से घुल जाती है और इनका किसी तरह का कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता है यह नदी तालाब की तलछट को प्रदूषित भी नहीं करती।

Byte-शीतल राय।

वहीं घरों में स्थापित की जाने वाली मूर्तियां पीओपी और रासायनिक रंगों से बनी होती है जो विसर्जन पार्क पर्यावरण समस्याओं को जन्म देती हैं पीओपी की परत जल स्रोतों की तली में जाकर सीमेंट की तरह जम जाती हैं और पानी को रिसने से रोक देती है पीओपी की प्रतिमा पर हानिकारक रासायनिक रंग लगाए जाते हैं यह जब पानी में घुलते हैं तो इनके विषाक्त प्रभाव से पानी में रहने वाली जलीय जंतु और मछलियों के लिए घातक असर छोड़ते हैं इससे हमारी नदियां तालाब और अन्य जल स्रोत भी प्रदूषित होते हैं और उनका पानी उपयोग के लायक नहीं रह जाता।

Byte-पंकज शर्मा।

Byte-दिनेश अग्रवाल आयोजक।


Conclusion:
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