रायसेन। एसडीएम कार्यालय रायसेन के अधीन नजूल महकमे के शहरी क्षेत्र के हजारों नजूल पट्टों, पट्टों के नवीनीकरण के हजारों प्रकरण सालों से तहसील कार्यालय में फाइलों में बंधे धूल खा रहे हैं लेकिन इन प्रकरणों का समय सीमा में निराकरण नहीं हो पा रहा है. यहां के दफ्तर में भराशाही का आलम है. बताया यह जा रहा है कि राजस्व निरीक्षक ने बाकायदा दलाल बना रखे हैं. एक प्रकरण के निपटारे को लेकर 25 से 30 हजार रुपये भेंट पूजा लिए बगैर किसी का काम होना संभव नहीं होता. जो भी आवेदक यह राशि दलालों के जरिए देने में सक्षम नहीं होता, उसका काम आसान नहीं होता. कई आवेदक उक्त प्रकरणों को लेकर पिछले 4 से 5 सालों से परेशान हैं.
शिकायत के बाद राजस्व विभाग के अधिकारियों में मची हड़कंप
बुधवार को एक आवेदक ने इन प्रकरणों को लेकर प्रदेश के राजस्व मंत्री, अपर आयुक्त राजस्व अधिकारी सहित कलेक्टर रायसेन उमाशंकर भार्गव से बात की जिसके बाद हड़कंप का माहौल बना रहा. जबकि शासन-प्रशासन के नियमों के मुताबिक चाहे भूखण्डों के नजूल पट्टों के नामांतरण का मामला हो या फिर रिन्युवल के प्रकरण हों. उनके निपटारे में कम से कम 5 से 6 महीनों की समय सीमा तय की गई लेकिन फिर भी निर्धारित समयावधि बीत जाने के बावजूद आखिर इन हजारों प्रकरणों का निपटारा क्यों नहीं हो सका है. शिकायत हो जाने के बाद राजस्व विभाग रायसेन के अधिकारियों में हड़कंप मचा रहा.
35 फाइलें मूल रिकार्ड न मिलने से वापस लौटीं
पट्टा रिन्यूवल, नामांतरण और नये नजूल पट्टों की लगभग 35 फाइलें तहसील कार्यालय वापस आई हैं. इससे आवेदकों को निराशा का सामना करना पड़ा है. जबकि आवेदकों का इस मामले में साफ कहना है कि सभी का रिकार्ड नजूल विभाग के रिकार्ड रूम में जमा है तो वहां का राजस्व विभाग का अमला आखिर बहाने क्यों बना रहा है. इस रिकॉर्ड को जमीन खा गई या आसमान निगल गया. राजस्व नजूल रिकार्ड को सहेजकर रखना इन्हीं की जिम्मेदारी बनती है.