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रायसेन: बारना बांध का जलस्तर हुआ कम, किसानों की बढ़ी चिंता - kharif crop

रायसेन जिले में स्थित बारना बांध में इस साल अधिक बारिश नहीं होने के कारण जलस्तर कम हो गया है, जिससे किसानों के माथे में चिंता की लकीर दिखाई दे रही हैं. बारना बांध से दो जिलों के किसानों को सिंचाई के लिए पानी दिया जाता था, लेकिन इस साल बारिश नहीं होने से किसानों को पानी मिलना मुश्किल दिखाई दे रहा है.

Barna Dam
बारना बांध
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Published : Aug 21, 2020, 1:39 PM IST

Updated : Aug 21, 2020, 2:15 PM IST

रायसेन। एक ओर देश के कई हिस्सों में अधिक बारिश होने के कारण बाढ़ जैसी हालात बन रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में बारिश का आभाव देखा जा रहा है. जहां सबसे बड़ा बांध बारना अभी तक तीन मीटर खाली है. हालांकि बीते साल से इस साल पानी ज्यादा है. 1972 में बने इस बांध से दो जिलों में सिंचाई होती है. रायसेन और सीहोर में अभी धान की फसल के लिए एक डैम से पानी दिया गया है, लेकिन आने वाले रबी की फसल के लिए दोनों जिलों में पानी की पूर्ति करना मुश्किल हो सकता है.

बारना बांध का जलस्तर हुआ कम

इस साल नहीं हो रही बारिश

रायसेन जिले में बारिश नहीं होने से खरीफ की फसल लगाने वाले हजारों किसानों के माथे में चिंता की लकीरें आना स्वभाविक है. हालांकि बीते साल भी ऐसे ही हालातों से गुजरना पड़ा था, लेकिन अगस्त के आखिर और सितंबर में हुई बारिश से बांध लबालब भर गया था, जिससे कई बार बांध के गेट खोलने पड़े थे. वहीं इस साल बाड़ी क्षेत्र में कम बारिश होने से बारना डैम खाली रह गया है. इस डैम से बाड़ी क्षेत्र ही नहीं, बल्कि बकतरा, खरगोन, उदयपुरा, बरेली सहित कई सैकड़ों गांवों में सिंचाई के लिए पानी मिलता है.

Water level of Barna dam
बारना बांध का गिरा जलस्तर

बारना बांध से दो जिलों में होती है सिंचाई

बारना बांध का पानी रायसेन और सीहोर जिले के गांवों में जाता है, बाड़ी में बना बारना डैम दोनों जिलों के किसानों को वरदान के रूप में माना जाता है. हालांकि इस बार कम वर्षा होने से डैम अपनी क्षमता के अनुसार नहीं भर पाया है. बारना बांध से एक बड़ा क्षेत्र सिंचित होता है.

System of irrigation by dam
बांध से सिंचाई की व्यवस्था

इस साल डैम में सिर्फ 55 फीसदी पानी

रबी फसल के लिए दो जिलों में 75 हजार हेक्टेयर भूमि में बारना बांध से पानी दिया जाता है, बाड़ी ब्लॉक के अंतर्गत 56 हजार 254 हेक्टेयर क्षेत्र से अधिक इलाके को कवर किया जाता है. वहीं सीहोर जिले के बुधनी विकासखंड में 14,640 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की जाती है, लेकिन इस साल डैम सिर्फ 55 फीसदी ही भर पाया है, जिससे सिंचाई के लिए बमुश्किल पानी बांध प्रबंधन दे पाया.

Growing concern of farmers
बांध में केवल 55 फीसदी पानी

बारना बांध में जल संकट की आशंका

बारना बांध से रायसेन जिले के उदयपुरा तहसील तक और सीहोर जिले के बकतरा के साथ मुख्यमंत्री के जैत गांव तक किसानों को पानी जाता है. फिलहाल बारना बांध पर भी जल संकट मंडराते दिखाई दे रहा है. यहां बांध में पानी डेड एण्ड तक पहुंच गया है. अब मुख्य नहरों से पानी देना संभव है, क्योंकि पानी डैम में काफी दूर चला गया है.

Growing concern of farmers
किसानों की बढ़ रही चिंता

बारना बांध का निर्माण

बाड़ी नगर में दो पहाड़ों को बांधकर बारना बांध का निर्माण सन 1975 में कराया गया था. तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र शेट्टी ने बांध का उद्घाटन किया था, बारना बांध का कुल लेवल 348.55 मीटर है. बांध के पिछले हिस्से में जहां पानी का भराव होना चाहिए, उस हिस्से में किसानों द्वारा खेती की जा रही है. वहीं डैम के पिछले हिस्से की सफाई नहीं होने के कारण यहां पानी का भराव कम होता है. गर्मियों में जलस्तर कम हो जाता है. डैम की जमीन पर किसानों द्वारा खेती करना शुरू कर दिया गया था, जहां से किसान पानी ले लेते हैं और डैम की जमीन पर खेती कर खासा मुनाफा कमा रहे हैं.

अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान

बारना बांध से जुड़े अधिकारियों को इस ओर ध्यान देना चाहिए, जिससे लोगों को सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी मिल सके, लेकिन अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं. जिसके कारण रायसेन जिले के सबसे बड़े डैम में पानी का जलस्तर इस साल बारिश कम होने की वजह से 343-13 पर पहुंच गया है, जबकि सिंचाई के लिए डैम का जलस्तर 348-55 फिट रहना चाहिए.

रायसेन। एक ओर देश के कई हिस्सों में अधिक बारिश होने के कारण बाढ़ जैसी हालात बन रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में बारिश का आभाव देखा जा रहा है. जहां सबसे बड़ा बांध बारना अभी तक तीन मीटर खाली है. हालांकि बीते साल से इस साल पानी ज्यादा है. 1972 में बने इस बांध से दो जिलों में सिंचाई होती है. रायसेन और सीहोर में अभी धान की फसल के लिए एक डैम से पानी दिया गया है, लेकिन आने वाले रबी की फसल के लिए दोनों जिलों में पानी की पूर्ति करना मुश्किल हो सकता है.

बारना बांध का जलस्तर हुआ कम

इस साल नहीं हो रही बारिश

रायसेन जिले में बारिश नहीं होने से खरीफ की फसल लगाने वाले हजारों किसानों के माथे में चिंता की लकीरें आना स्वभाविक है. हालांकि बीते साल भी ऐसे ही हालातों से गुजरना पड़ा था, लेकिन अगस्त के आखिर और सितंबर में हुई बारिश से बांध लबालब भर गया था, जिससे कई बार बांध के गेट खोलने पड़े थे. वहीं इस साल बाड़ी क्षेत्र में कम बारिश होने से बारना डैम खाली रह गया है. इस डैम से बाड़ी क्षेत्र ही नहीं, बल्कि बकतरा, खरगोन, उदयपुरा, बरेली सहित कई सैकड़ों गांवों में सिंचाई के लिए पानी मिलता है.

Water level of Barna dam
बारना बांध का गिरा जलस्तर

बारना बांध से दो जिलों में होती है सिंचाई

बारना बांध का पानी रायसेन और सीहोर जिले के गांवों में जाता है, बाड़ी में बना बारना डैम दोनों जिलों के किसानों को वरदान के रूप में माना जाता है. हालांकि इस बार कम वर्षा होने से डैम अपनी क्षमता के अनुसार नहीं भर पाया है. बारना बांध से एक बड़ा क्षेत्र सिंचित होता है.

System of irrigation by dam
बांध से सिंचाई की व्यवस्था

इस साल डैम में सिर्फ 55 फीसदी पानी

रबी फसल के लिए दो जिलों में 75 हजार हेक्टेयर भूमि में बारना बांध से पानी दिया जाता है, बाड़ी ब्लॉक के अंतर्गत 56 हजार 254 हेक्टेयर क्षेत्र से अधिक इलाके को कवर किया जाता है. वहीं सीहोर जिले के बुधनी विकासखंड में 14,640 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की जाती है, लेकिन इस साल डैम सिर्फ 55 फीसदी ही भर पाया है, जिससे सिंचाई के लिए बमुश्किल पानी बांध प्रबंधन दे पाया.

Growing concern of farmers
बांध में केवल 55 फीसदी पानी

बारना बांध में जल संकट की आशंका

बारना बांध से रायसेन जिले के उदयपुरा तहसील तक और सीहोर जिले के बकतरा के साथ मुख्यमंत्री के जैत गांव तक किसानों को पानी जाता है. फिलहाल बारना बांध पर भी जल संकट मंडराते दिखाई दे रहा है. यहां बांध में पानी डेड एण्ड तक पहुंच गया है. अब मुख्य नहरों से पानी देना संभव है, क्योंकि पानी डैम में काफी दूर चला गया है.

Growing concern of farmers
किसानों की बढ़ रही चिंता

बारना बांध का निर्माण

बाड़ी नगर में दो पहाड़ों को बांधकर बारना बांध का निर्माण सन 1975 में कराया गया था. तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र शेट्टी ने बांध का उद्घाटन किया था, बारना बांध का कुल लेवल 348.55 मीटर है. बांध के पिछले हिस्से में जहां पानी का भराव होना चाहिए, उस हिस्से में किसानों द्वारा खेती की जा रही है. वहीं डैम के पिछले हिस्से की सफाई नहीं होने के कारण यहां पानी का भराव कम होता है. गर्मियों में जलस्तर कम हो जाता है. डैम की जमीन पर किसानों द्वारा खेती करना शुरू कर दिया गया था, जहां से किसान पानी ले लेते हैं और डैम की जमीन पर खेती कर खासा मुनाफा कमा रहे हैं.

अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान

बारना बांध से जुड़े अधिकारियों को इस ओर ध्यान देना चाहिए, जिससे लोगों को सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी मिल सके, लेकिन अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं. जिसके कारण रायसेन जिले के सबसे बड़े डैम में पानी का जलस्तर इस साल बारिश कम होने की वजह से 343-13 पर पहुंच गया है, जबकि सिंचाई के लिए डैम का जलस्तर 348-55 फिट रहना चाहिए.

Last Updated : Aug 21, 2020, 2:15 PM IST
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