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मजबूर हो गए मजदूर, हाथ ठेले पर जिंदगी, चार दिनों से कर रहे पैदल सफर

लॉकडाउन में मजदूर मजबूर हो गए हैं. रायसेन जिले के औबेदुल्लागंज से एक परिवार पिछले चार दिनों से पैदल चलकर अपने गांव जा रहा है. परिवार के बड़े पैदल चल रहे हैं तो बच्चों को हाथ ठेले पर बैठाकर ले जा रहे हैं, ताकि किसी तरह घर पहुंचा जा सके.

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हाथठेले पर जिंदगी
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Published : May 2, 2020, 4:34 PM IST

रायसेन। लॉकडाउन से सबसे ज्यादा परेशानियां मजदूरों को हो रही है. कोई अपने घर के लिए पैदल निकला है तो कोई साइकिल, कुछ ऐसा ही नजारा जिले के बरेली में भी देखने को मिला. जहां एक परिवार हाथ ठेले पर अपना सामान लेकर ओबेदुल्लागंज से पैदल चलकर अपने गांव के लिए निकला है. यह परिवार पिछले चार दिन से लगातार चल रहा है.

हाथठेले पर जिंदगी

मनोज लोधी 10 साल से ओबेदुल्लागंज में सब्जी का कारोबार करते थे. लेकिन लॉकडाउन के चलते पिछले कई दिनों से फ्री बैठे थे. जिससे उनके सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया. ऐसे में वे अपने घर पैदल ही चल निकले. हाथ ठैले पर बच्चों को बिठाकर और पूरा सामान रख ये लोग पिछले चार दिनों से लगातार चल रहे हैं. ताकि अपने घर पहुंच सके.

raisen news
हाथठेले पर बैठे बच्चे

युवक ने बताया कि वे अपने गांव भाड़ोन के लिए अपने तीन बच्चों संग निकले है. हाथ ठेले पर बैठे तीनो बच्चो के मुह पर मास्क लगा हुआ था, बच्चो को नहीं पता आखिर हम कहा जा रहे है लेकिन उनके मजबूर माता पिता अपने किराए के घरों में ताले डालकर गांव की ओर निकले है. ताकि किसी तरह घर पहुंचा जा सके.

इन लोगों का कहना है कि उनका सब्जी का धंधा बंद हो गया ऐसे में रोजी रोटी का संकट आन पड़ा. ऐसे में अब गांव ही उनका एक मात्र सहारा बचा है. चार दिन के सफर में किसी ने गांव मे राशन दे दिया तो खाना बनाकर खा लिया नहीं मिला तो बच्चों को बिस्किट खिलाकर ही चलना पड़ रहा है. लेकिन मंजिल फिलहाल गांव ही बनी हुई है.

रायसेन। लॉकडाउन से सबसे ज्यादा परेशानियां मजदूरों को हो रही है. कोई अपने घर के लिए पैदल निकला है तो कोई साइकिल, कुछ ऐसा ही नजारा जिले के बरेली में भी देखने को मिला. जहां एक परिवार हाथ ठेले पर अपना सामान लेकर ओबेदुल्लागंज से पैदल चलकर अपने गांव के लिए निकला है. यह परिवार पिछले चार दिन से लगातार चल रहा है.

हाथठेले पर जिंदगी

मनोज लोधी 10 साल से ओबेदुल्लागंज में सब्जी का कारोबार करते थे. लेकिन लॉकडाउन के चलते पिछले कई दिनों से फ्री बैठे थे. जिससे उनके सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया. ऐसे में वे अपने घर पैदल ही चल निकले. हाथ ठैले पर बच्चों को बिठाकर और पूरा सामान रख ये लोग पिछले चार दिनों से लगातार चल रहे हैं. ताकि अपने घर पहुंच सके.

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हाथठेले पर बैठे बच्चे

युवक ने बताया कि वे अपने गांव भाड़ोन के लिए अपने तीन बच्चों संग निकले है. हाथ ठेले पर बैठे तीनो बच्चो के मुह पर मास्क लगा हुआ था, बच्चो को नहीं पता आखिर हम कहा जा रहे है लेकिन उनके मजबूर माता पिता अपने किराए के घरों में ताले डालकर गांव की ओर निकले है. ताकि किसी तरह घर पहुंचा जा सके.

इन लोगों का कहना है कि उनका सब्जी का धंधा बंद हो गया ऐसे में रोजी रोटी का संकट आन पड़ा. ऐसे में अब गांव ही उनका एक मात्र सहारा बचा है. चार दिन के सफर में किसी ने गांव मे राशन दे दिया तो खाना बनाकर खा लिया नहीं मिला तो बच्चों को बिस्किट खिलाकर ही चलना पड़ रहा है. लेकिन मंजिल फिलहाल गांव ही बनी हुई है.

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