रायसेन। सिलवानी नगर के वार्ड- 11 में स्थित प्राचीन ऐतिहासिक बावड़ी देखरेख के अभाव में कूड़ादान बनती जा रही है. प्राचीन धरोहरों का संरक्षण नहीं होने से धीरे-धीरे पुरानी बावड़ी नष्ट होने की कगार पर पहुंच गई है, जबकि दशकों पहले इसी बावड़ी से लोगों की प्यास बुझती थी. स्थानीय लोगों का कहना है कि प्राचीन जलस्रोत बदहाली और प्रशासन की अनदेखी के चलते धीरे-धीरे उजड़ रहे हैं.
सिलवानी नगर की बावड़ी के कुओं में आज भी पानी भरा हुआ है, लेकिन गंदगी और कूड़े के कारण इस पानी का उपयोग नहीं किया जाता है. अगर नगर पंचायत इस ओर ध्यान दें तो प्राचीन जल स्रोतों से पानी की उपलब्धता हो सकती है. प्राचीन काल से जल स्रोत के रूप में लोगों की प्यास बुझाने वाली बावड़ी अपनी दुर्दशा और बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं.
अनदेखी से उजड़ी बावड़ी की सुंदरता
बताया जाता है कि बावड़ी का निर्माण किसी राजा द्वारा कराया गया था. यह प्राचीन ऐतिहासिक धारोहर आज देखरेख के अभाव में नष्ट होने की कगार पर है. इन जल स्रोत का जिम्मा नगर पंचायत का होता है, लेकिन नगर पंचायत इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है. जिससे नगर के लोग गंदगी युक्त पानी पीने को मजबूर हैं.
नगरी पिला सकती है पूरे सिलवानी को पानी
नगर की प्राचीन बावड़ी में एक कुआं है, जिसमें आज भी इतनी गर्मी में जल स्तर के गिरने के बाद भी उसमें ऊपर तक पानी भरा हुआ रहता है. अब इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस बावड़ी में कितना पानी होगा.