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सांची बौद्ध विश्वविद्यालय में महात्मा गांधी पर विशेष व्याख्यान का आयोजन

रायसेन जिले के सांची बौद्ध विश्वविद्यालय में महात्मा गांधी की 150वीं वर्षगांठ पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया. इस मौके पर साहित्यकार गोविंद मिश्र ने गांधीजी के व्यक्तित्व के कई अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला.

सांची बौद्ध विश्वविद्यालय में महात्मा गांधी पर विशेष व्याख्यान
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Published : Sep 27, 2019, 10:52 AM IST

Updated : Sep 27, 2019, 3:12 PM IST

रायसेन। सांची बौद्ध विश्वविद्यालय में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं वर्षगांठ पर सांची बौद्ध के भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के बारला अकादमिक परिसर में विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया. इस मौके पर गांधीवादी विचारक और साहित्यकार गोविंद मिश्र ने गांधी जी के व्यक्तित्व के कई अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला.

सांची बौद्ध विश्वविद्यालय में महात्मा गांधी पर विशेष व्याख्यान का आयोजन

गोविंद मिश्र ने ''भारत के चिरंतन मूल्य और महात्मा गांधी'' विषय पर बोलते हुए गांधी जी के व्यक्तित्व के आलोचनात्मक पहलुओं पर बात की. उन्होंने कहा कि गांधी जी स्वयं के सबसे बड़े आलोचक थे, वे कभी भी अपने को बड़ा विचारक नहीं मानते थे. उनके इन गुणों के कारण उनके विरोधियों के लिए भी गांधीजी अपरिहार्य थे. यही वजह है कि पूरा विश्व उन्हें आज भी प्रासंगिक मान रहा है.

उन्होंने कहा कि बीते 23 सितंबर को न्यूयॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र ''क्लाइमेट एक्शन समिट'' और अमेरिकी कांग्रेस में जब 16 साल की लड़की ग्रेटा थनबर्ग ने जलवायु परिवर्तन पर ललकारा और दुनिया के लोगों से पूछा कि उन्हें क्या अधिकार है कि वे पर्यावरण को क्षति पहुंचाकर उसकी उम्र के बच्चों के भविष्य को खतरे में डाले, तब उन्हें गांधी जी याद आए. गांधी जी ने 1905 में लिखी अपनी पुस्तक ''हिंद स्वराज'' में गांधी जी ने प्रकृति, ग्राम, शहरीकरण का विरोध, पश्चिमीकरण का विरोध इत्यादि पर ज़ोर दिया था. जिसकी अहमियत आज हमें समझ आ रही है, जब हमारे शहर रहने लायक नहीं बचे हैं.

सांची विश्वविद्यालय में आयोजित इस व्याख्यान में अंग्रेजी विभाग के प्रो. ओपी बुधोलिया ने महत्मा गांधी के सहिष्णुता के सिद्धांत का ज़िक्र किया. वहीं व्याख्यान और परिचर्चा के बाद गोविंद मिश्र ने छात्र-छात्राओं से भेंट की और अपना कहानी संग्रह ''प्रतिनिधि कहानियां'' उन्हें भेंट की.

रायसेन। सांची बौद्ध विश्वविद्यालय में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं वर्षगांठ पर सांची बौद्ध के भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के बारला अकादमिक परिसर में विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया. इस मौके पर गांधीवादी विचारक और साहित्यकार गोविंद मिश्र ने गांधी जी के व्यक्तित्व के कई अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला.

सांची बौद्ध विश्वविद्यालय में महात्मा गांधी पर विशेष व्याख्यान का आयोजन

गोविंद मिश्र ने ''भारत के चिरंतन मूल्य और महात्मा गांधी'' विषय पर बोलते हुए गांधी जी के व्यक्तित्व के आलोचनात्मक पहलुओं पर बात की. उन्होंने कहा कि गांधी जी स्वयं के सबसे बड़े आलोचक थे, वे कभी भी अपने को बड़ा विचारक नहीं मानते थे. उनके इन गुणों के कारण उनके विरोधियों के लिए भी गांधीजी अपरिहार्य थे. यही वजह है कि पूरा विश्व उन्हें आज भी प्रासंगिक मान रहा है.

उन्होंने कहा कि बीते 23 सितंबर को न्यूयॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र ''क्लाइमेट एक्शन समिट'' और अमेरिकी कांग्रेस में जब 16 साल की लड़की ग्रेटा थनबर्ग ने जलवायु परिवर्तन पर ललकारा और दुनिया के लोगों से पूछा कि उन्हें क्या अधिकार है कि वे पर्यावरण को क्षति पहुंचाकर उसकी उम्र के बच्चों के भविष्य को खतरे में डाले, तब उन्हें गांधी जी याद आए. गांधी जी ने 1905 में लिखी अपनी पुस्तक ''हिंद स्वराज'' में गांधी जी ने प्रकृति, ग्राम, शहरीकरण का विरोध, पश्चिमीकरण का विरोध इत्यादि पर ज़ोर दिया था. जिसकी अहमियत आज हमें समझ आ रही है, जब हमारे शहर रहने लायक नहीं बचे हैं.

सांची विश्वविद्यालय में आयोजित इस व्याख्यान में अंग्रेजी विभाग के प्रो. ओपी बुधोलिया ने महत्मा गांधी के सहिष्णुता के सिद्धांत का ज़िक्र किया. वहीं व्याख्यान और परिचर्चा के बाद गोविंद मिश्र ने छात्र-छात्राओं से भेंट की और अपना कहानी संग्रह ''प्रतिनिधि कहानियां'' उन्हें भेंट की.

Intro:राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं वर्षगांठ के मौके पर सांची बौद्ध- भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में एक विशिष्ट व्याख्यान आयोजित किया गया। गांधीवादी विचारक और साहित्यकार श्री गोविंद मिश्र ने बारला अकादमिक परिसर में दिए गए व्याख्यान में गांधी जी के व्यक्तित्व के कई अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला। “भारत के चिरंतन मूल्य और महात्मा गांधी” विषय पर बोलते हुए श्री गोविंद मिश्र ने गांधी जी के व्यक्तित्व के आलोच्नात्मक पहलुओं पर भी बात की। उन्होंने कहा कि गांधी जी स्वयं के सबसे बड़े आलोचक थे और वे कभी भी अपने को बड़ा विचारक नहीं मानते थे। उनके इस गुण के कारण उनके विरोधियों के लिए भी गांधी जी अपरिहार्य थे। यही वजह है कि पूरा विश्व उन्हें आज भी प्रासंगिक मान रहा है।Body:उन्होंने कहा कि 23 सितंबर को न्यूयॉर्क में चल रही संयुक्त राष्ट्र “क्लाइमेट एक्शन समिट” और अमेरिकी कॉन्ग्रेस में जब 16 साल की स्वीडन मूल की लड़की ग्रेटा थनबर्ग ने जलवायु परिवर्तन पर ललकारा औऱ दुनिया के लोगों से पूछा कि उन्हें क्या अधिकार है कि वे पर्यावरण को क्षति पहुंचाकर उसकी उम्र के बच्चों के भविष्य को खतरे में डाल रहे हैं, तब उन्हें गांधी जी याद आए।

         श्री गोविंद मिश्र ने बताया कि 1905 में लिखी अपनी पुस्तक “हिंद स्वराज” में गांधी जी ने प्रकृति, ग्राम, शहरीकरण का विरोध, पश्चिमीकरण का विरोध इत्यादि पर ज़ोर दिया था। जिसकी अहमियत आज हमें समझ आ रही है जब हमारे शहर रहने लायक नहीं बचे हैं, अत्यधिक गर्मी-बाढ़ हमें नुकसान पहुंचा रही है और पूरे विश्व में प्राकृतिक असंतुलन पैदा हो गया है।

छात्रों को संबोधित करते हुए श्री गोविंद मिश्र ने कहा कि अगर आप पूरी ईमानदारी से अपना स्वयं का साक्षात्कार करते रहेंगे जिस तरह गांधी जी करते थे तो आप सफल होंगे। उन्होंने कहा कि गांधी जी अपने प्रति पूरी तरह ईमानदार थे।

         श्री गोविंद मिश्र ने कहा कि गांधी जी अपनी आत्मकथा में पूरी ईमानदारी से ये स्वीकारते हैं कि पिछले तीस साल के अपने जीवन में(1918 से 1948 तक) वे स्वानुभूति के लिए प्रयास करते रहे, ईश्वर से साक्षात्कार के लिए आतुर रहे और मोक्ष क्या है तलाश करते रहे।Conclusion:सांची विश्वविद्यालय में आयोजित किए गए इस विशेष व्याख्यान में अंग्रेज़ी विभाग के प्रो. ओ.पी बुधोलिया ने महत्मा गांधी के सहिष्णुता के सिद्धांत का ज़िक्र किया।

         अपने विशिष्ट व्याख्यान और परिचर्चा के बाद श्री गोविंद मिश्र ने छात्र-छात्राओं से भेंट की और अपना कहानी संग्रह “प्रतिनिधि कहानियां” उन्हें भेंट की।

स्पीच वरिष्ठ साहित्यकार गोविंद मिश्र
बाईट 1 शिव प्रसाद मिश्र, एमए, योग
बाईट 2 सिमरन यादव, एमफिल, इंग्लिश
बाईट 3 विनय तिवारी, पीएचडी, भारतीय दर्शन
बाईट 4 ज़ाहिद शेख, एमए, इंग्लिश
बाईट 5 निधि रघुवंशी, एमफिल, इंग्लिश
Last Updated : Sep 27, 2019, 3:12 PM IST
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