रायसेन। सांची विधानसभा क्षेत्र में आने वाले नारखेड़ा और सरार टोला गांव में पक्की सड़क न होने से ग्रामीण आजादी के बाद भी विकास से कोसो दूर हैं. पंचायत स्तर पर हुए भारी भ्रष्टाचार के चलते आज भी यह गांव विकास की मुख्य राह से कटा हुआ है.
किसी भी देश के विकास में सड़कों की मुख्य भूमिका होती हैं, जिसके अभाव में तेजी से विकास की उपलब्धियों को पाना असंभव होता है. सांची जनपद में आने वाले नरखेड़ा और सरार टोला गांव में लगभग दो किलोमीटर लंबी सड़क पर आजादी के बाद से आज तक डामर की परत नहीं चढ़ी हैं, जिससे ग्रामीणों में खासी नाराजगी है. ग्रामीणों का आरोप है कि वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर प्रभुराम चौधरी द्वारा पूरे क्षेत्र में सड़कों का जाल बिछाया जा रहा हैं. सड़क बनाने के लिए कई बार गुहार लगाई गई, लेकिन जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों ने ग्रामवासियों की आवाज को अनसुना कर दिया हैं.
हाल यह है कि दो साल पहले नारखेड़ा और सरार टोला गांव को जोड़ने के लिए नदी पर बनाया गया पुल भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया हैं. सड़क पर डामरीकरण नहीं होने से गांव सहित आसपास के लोगों को आवागमन में असुविधा महसूस हो रही हैं. जिम्मेदार अधिकारी ओर राजनेता इस पर बोलने से बच रहे हैं.
ग्रामीणों का कहना है कि नेता वोट मांगने आते हैं. उनके द्वारा कहा जाता है कि वोट दीजिए, हम रोड बनवा देंगे, पर अभी तक हमारे गांव में रोड न होने से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं. बीमार होने की स्थिति में मरीजों को शहर स्थित अस्पतालों तक नहीं पहुंच पाते हैं.
हमें कोई सुविधा नहीं दी जा रही है
सरार खेड़ा की रहने वाली छात्रा संध्या मीणा ने बताया कि गांव में पक्की सड़क न होने से वह बचपन से ही पैदल स्कूल जा रही हैं. रास्ते के पास एक बहुत बड़ा नाला हैं, जिसमें पानी भर जाने से परेशानी होती है. गांव में अगर कोई महिला गर्भवती होती है, तो उसके इलाज कराने में समस्या आती हैं.
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रोड डलवाते ही नहीं
ग्रामीणों ने विधायक और स्वास्थ्य मंत्री पर आरोप लगाते हुए कहा कि 15 साल पहले ग्रेवल रोड डाली गई थी, जिस पर आज तक कोई सुधार नहीं हुआ. स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम और पूर्व विधायक शेजवार को भी सड़क बनाने के लिए कहा गया, पर डल जायेगा, डल जायेगा बोल कर चले जाते है, फिर कोई लौटता ही नहीं. पिछ्ले वर्ष बारिश के दौरान पिता बीमार हो गए थे. नदी में पानी भर जाने से उन्हें तीन दिन तक घर में ही रखना पड़ा था, जिसके बाद उन्हें चारपाई पर लेटा कर इलाज के लिए ले जाया गया.
इस संबंध में जब जिला पंचायत अधिकारी पीसी शर्मा से बात की गई, तो उन्होंने ग्रामीणों की समस्या और दो साल पहले बने पुल के क्षतिग्रस्त होने पर इंजीनियर को जांच कर कार्रवाई करने की बात कही.