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गंदगी-गोबर के बीच संवर रहा देश का भविष्य, शिक्षा के मंदिर में जानवर पढ़ रहे 'अ' से अनार - अनुपस्थित,

एक तरफ प्रदेश सरकार शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए पैसे पानी की तरह बहा रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी शिक्षा की स्थिति दयनीय है. पढ़िए ये खास रिपोर्ट

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Published : Jul 4, 2019, 12:01 AM IST

Updated : Jul 5, 2019, 5:24 PM IST

रायसेन। अजब एमपी की गजब शिक्षा व्यवस्था की ये तस्वीरें इस बात की तस्दीक कर रही हैं कि शिक्षा का गुड़-गोबर नहीं हुआ है, बल्कि गोबर में ही शिक्षा व्यवस्था रेंग रही है क्योंकि यहां एक नहीं बल्कि कई योजनाओं की हवा निकल रही है. चौतरफा फैली गंदगी, बंद पड़े क्लासरूम, बदहाल शौचालय, गिने चुने बच्चे, स्कूल से गायब शिक्षक और बची खुची कसर इलाके के आवारा पशु पूरी कर देते हैं. जो गुरूजी और बच्चों की गैर मौजूदगी में उनकी मौजूदगी का एहसास कराते हैं.

बदहाल स्कूल

रायसेन जिले के भीलों का टोला गांव स्थित सरकारी स्कूल सिस्टम की बेरुखी की दास्तां बयां कर रही है. जो प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की नाकामी उजागर करने के लिये काफी है. यहां गोबर-गंदगी के बीच देश का भविष्य संवारा जा रहा है. पहली तस्वीर सूबे के स्कूली शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी के निर्वाचन क्षेत्र सांची से मजह 20 किलोमीटर दूर ब्यावरा की है. जहां तीन कक्षाओं के लिए पदस्थ गुरूजी रोजाना गायब रहते हैं.

सांची में जिस शख्स ने स्कूल खोला, उसे गुरूजी ने 1500 रुपये मेहनताने पर रख दिया. स्कूल खोलने वाले शंकर जाटव ने बताया कि टीचर मीटिंग में गए हैं, जबकि सरकार का ऐसा कोई नियम नहीं है कि मीटिंग में जाने के लिये स्कूल खुला ही छोड़ा जाये.

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ब्यावरा के सरकारी स्कूल जैसी हालत आदिवासी बाहुल्य गांव की भी है. जहां प्राइमरी स्कूल में पदस्थ शिक्षक अक्सर गायब रहते हैं. वहां मौजूद शिक्षिका ने बताया कि दूसरे टीचर मीटिंग में गए हैं, जबकि स्कूल में 25 से अधिक बच्चे पढ़ते हैं. लेकिन स्कूल के शैचालय की छत गायब है और उसमें ताला भी लटक रहा है.इन सरकारी स्कूलों की दुर्दशा और शिक्षकों की लापरवाही पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें कुछ जानकारी नहीं है, जिला शिक्षा अधिकारी ने जांच के बाद कार्रवाई की बात कही है.एक तरफ प्रदेश सरकार शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए पैसे पानी की तरह बहा रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी शिक्षा की स्थिति दयनीय है. अब सवाल है कि शिक्षा व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ तो कैसे बढ़ेगा इंडिया क्योंकि पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया?

रायसेन। अजब एमपी की गजब शिक्षा व्यवस्था की ये तस्वीरें इस बात की तस्दीक कर रही हैं कि शिक्षा का गुड़-गोबर नहीं हुआ है, बल्कि गोबर में ही शिक्षा व्यवस्था रेंग रही है क्योंकि यहां एक नहीं बल्कि कई योजनाओं की हवा निकल रही है. चौतरफा फैली गंदगी, बंद पड़े क्लासरूम, बदहाल शौचालय, गिने चुने बच्चे, स्कूल से गायब शिक्षक और बची खुची कसर इलाके के आवारा पशु पूरी कर देते हैं. जो गुरूजी और बच्चों की गैर मौजूदगी में उनकी मौजूदगी का एहसास कराते हैं.

बदहाल स्कूल

रायसेन जिले के भीलों का टोला गांव स्थित सरकारी स्कूल सिस्टम की बेरुखी की दास्तां बयां कर रही है. जो प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की नाकामी उजागर करने के लिये काफी है. यहां गोबर-गंदगी के बीच देश का भविष्य संवारा जा रहा है. पहली तस्वीर सूबे के स्कूली शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी के निर्वाचन क्षेत्र सांची से मजह 20 किलोमीटर दूर ब्यावरा की है. जहां तीन कक्षाओं के लिए पदस्थ गुरूजी रोजाना गायब रहते हैं.

सांची में जिस शख्स ने स्कूल खोला, उसे गुरूजी ने 1500 रुपये मेहनताने पर रख दिया. स्कूल खोलने वाले शंकर जाटव ने बताया कि टीचर मीटिंग में गए हैं, जबकि सरकार का ऐसा कोई नियम नहीं है कि मीटिंग में जाने के लिये स्कूल खुला ही छोड़ा जाये.

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ब्यावरा के सरकारी स्कूल जैसी हालत आदिवासी बाहुल्य गांव की भी है. जहां प्राइमरी स्कूल में पदस्थ शिक्षक अक्सर गायब रहते हैं. वहां मौजूद शिक्षिका ने बताया कि दूसरे टीचर मीटिंग में गए हैं, जबकि स्कूल में 25 से अधिक बच्चे पढ़ते हैं. लेकिन स्कूल के शैचालय की छत गायब है और उसमें ताला भी लटक रहा है.इन सरकारी स्कूलों की दुर्दशा और शिक्षकों की लापरवाही पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें कुछ जानकारी नहीं है, जिला शिक्षा अधिकारी ने जांच के बाद कार्रवाई की बात कही है.एक तरफ प्रदेश सरकार शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए पैसे पानी की तरह बहा रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी शिक्षा की स्थिति दयनीय है. अब सवाल है कि शिक्षा व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ तो कैसे बढ़ेगा इंडिया क्योंकि पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया?
Intro:एंकर- एक और जहां सरकार ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में शिक्षा की बेहतरी को लेकर प्रयास कर रही है।साथ ही स्कूली बच्चों के लिये साईकल,मध्यान भोजन, कापी किताब से लेकर स्कूली ड्रेस तक बांट रही है,और करोड़ो रुपए खर्च कर बच्चो के स्कूल पहुचने और पढ़ने के प्रति गंभीर है।वही रायसेन जिले के ग्रामीण क्षेत्रो में स्कूलों में न तो पर्याप्त सुविधाएं है और न ही शिक्षकों में पढ़ाने के प्रति रुचि देखने को मिल रही है।साँची विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत आने बाले रायसेन जिला मुख्यालय के ग्रामीण क्षेत्रो के दो स्कूलों में मीडिया ने जा कर जमीनी हकीकत देखी।एक स्कूल में बच्चे है तो शिक्षक स्कूल नही पहुंचे। दूसरे स्कूल में दो में से एक शिक्षक थे लेकिन बच्चे स्कूल में नही थे। साँची विधानसभा क्षेत्र प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री डॉ प्रभूराम चोधरी का निर्वाचन क्षेत्र है भी है।

Vo1- सबसे पहले मीडिया की टीम पहुँची जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर ग्राम व्यावरा में।आप तस्वीरों में देख सकते है कि स्कूल में चारो तरफ गाय भैंस का गोबर बिखरा पड़ा था और सर्व स्कूल में गंदगी का अंबार लगा हुआ था और बच्चे गाय भैंस के गोबर के बीच मे बैठकर अपनी पढ़ाई कर रहे है।और बच्चे स्कूल के सामने खेल रहे थे।इस गांव में दो स्कूल है प्राथमिक और माध्यमिक।माद्यमिक स्कूल में कक्षा 6 से 8 तक तीन क्लास में मात्र एक शिक्षक पदस्थ है।जो आज स्कूल ही नही आये।प्रायमरी सेक्शन में 5 क्लास में 4 शिक्षक पदस्थ है लेकिन स्कूल में एक भी शिक्षक नही था। आश्चर्य जनक तो यह है कि जिस युवक शंकर जाटव ने स्कूल के ताले खोले थे उसे एक शिक्षक ने 1500 प्रतिमाह के मेहनताने पर रखा है। जो उन शिक्षक की एवज में स्कूल आता है।यहां सभी शिक्षक भोपाल और रायसेन से अपडाउन करते है।अब यहां पर सवाल उठता है कि सभी टीचर मीटिंग में क्यों गए,जबकि सरकार का ऐसा कोई नियम नही है कि मीटिंग में जाने के लिये आप स्कूल खुला छोड़कर जाए।Body:Vo2- स्कूल के रियलिटी चेक में इस स्कूल में पढ़ रहे बच्चों ने बताया कि स्कूल के शिक्षक नही आये शंकर सर ने ही उन्हें पढ़ाया।स्कूल में गंदगी के सबाल पर बच्चो ने बताया कि सफाई नही होती और शिक्षक नही आते।


Vo3-ग्राम सरपंच प्रकाश राजोरिया का कहना है कि स्कूल में शिक्षकों की काफी कमी है। स्कूल समय पर न खुलने और शिक्षकों के न आने की हमने पिछले शिक्षा सत्र में शिकायत की थी।कोई कार्यवाही नही हुई और न ही इस स्कूल को चेक करने बरसो से शिक्षा विभाग का कोई अधिकारी आया।

Vo4-इसके बाद हमारी टीम आदिवासी बाहुल्य ग्राम भीलों का टोला में जो ग्राम पंचायत बर्रुखार में आता है, के प्राइमरी स्कूल में भी रियलिटी चेक किया।पहली से पांचवी तक यहां 2 शिक्षक है।स्कूल में एक शिक्षिका ही मौजूद थी।दूसरे आये नही थे।उपस्थित शिक्षिका ने बताया कि वह मीटिंग में गई है।आश्चर्य जनक बात तो यह है कि इस स्कूल में 25 से अधिक बच्चो के एडमिशन है लेकिन स्कूल एक भी नही आया।स्कूल में जो शौचालय बनाया है उस पर छत नही है और ताले लगे है।जिसकी चाबी भी स्कूल में नही थी।तो फिर यहाँ के शिक्षक,शिक्षिका ने बच्चों को क्यों बुलाकर लाने की कोशिश तक नही की,जबकि सरकार का सीधा रवैया है कि "नो वर्क नो पेमेंट" तो इन शिक्षिका की बेतन शिक्षा विभाग को रोकना चाहिये ताकि ये महोदया आगे आने बाले समय मे बच्चों को बुलाकर लाये और पढ़ाई कराये।
सरकार इनको मोटा बेतन बच्चों को पढ़ाने की देती है न कि स्कूल में बैठकर टाइमपास करने का।
बही इन शिक्षिक ने बच्चों के लिये बाथरूम तक कि वयवस्था नही की है।

बाइट1 शंकर जाटव 15 सो रुपए महीने में पढ़ाने रखा शिक्षक

बाइट 2 रोहित छात्र

3बाइट-दीपा गोयल
शिक्षिका।Conclusion:Vo5-रायसेन जिले के जिला शिक्षा अधिकारी से जब इन स्कूलों के हालात पर चर्चा की तो उन्होंने कहा कि उन्हें कोई शिकायत नही मिली है। शिकायत मिलने पर जांच कराकर कारवाही करेंगे।अब देखना ये होगा कि खबर दिखाने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी क्या कार्यबाही करेंगे।

4बाइट-आलोक श्रीवास्तव
जिला शिक्षा
अधिकारी रायसेन।
Last Updated : Jul 5, 2019, 5:24 PM IST
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