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Raisen Sanchi Fair भगवान बुद्ध के शिष्यों के अस्थियों की हुई पूजा, दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

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Published : Nov 26, 2022, 8:44 PM IST

रायसेन में दो दिवसीय सांची महोत्सव का आयोजन किया गया था, जहां भारत समेत श्रीलंका, जापान, वियतनाम सहित अन्य देशों के हजारों श्रद्धालु पहुंचे थे(Raisen sanchi fair).सांची मेले में पर्यटक की एंट्री निशुल्क कर दी गई है. सुरक्षा को को देखते हुए पुलिस जवानों की भी तैनाती की गई है.

lord buddha student asthi worship in raisen
सांची महोत्सव में लाखों श्रद्धालुओं ने किया दर्शन

रायसेन। एमपी के विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सांची में कोरोना काल के बाद पहली बार बौद्ध वार्षिक महोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है. हर साल आयोजित होने वाले दो दिवसीय महाबोधि महोत्सव का शुक्रवार सुबह आठ बजे शुभारंभ हुआ था. (Raisen sanchi fair), जिसका शनिवार को समापन हो गया है. इस महोत्सव में शामिल होने के लिए भारत समेत श्रीलंका, जापान, वियतनाम सहित अन्य देशों के हजारों श्रद्धालु पहुंचे.

रायसेन सांची महोत्सव

सांची मेले का आयोजन: सांची में हर साल की तरह इस साल भी सांची महोत्सव का आयोजन हुआ था. साल में 2 दिन के लिए लगने वाले इस मेले के अंतिम दिन सैकड़ों की संख्या में विदेशी पर्यटक शामिल हुए. पर्यटन विभाग ने आने वाले पर्यटक को और विदेशी सैलानियों के लिए अलग से व्यवस्था की थी(lord buddha student asthi worship in Raisen). सांची मेले में भगवान बुद्ध के दो परम शिष्यों सारिपुत्र और महामोग्गलायन की पवित्र अस्थियों को स्तूप से निकालकर सार्वजनिक दर्शनार्थ चैत्यगिरी विहार मंदिर में रखा गया था. इसके बाद यहां इन अस्थियों के दर्शन का सिलसिला शुरू हुआ था.

सांची महाबोधि महोत्सव में पहुंचे मंत्री, कहा- बुद्ध ने दुनिया को शांति-कल्याण का मार्ग दिखाया

धार्मिक आस्था का केंद्र सांची: विश्व पर्यटन स्थल सांची को विश्व शांति और धार्मिक स्थल के रूप में देखा जाता है. यहां पर मुख्यता बौद्ध अनुयायियों को देखा जाता है. पर्यटन की दृष्टि से भी सांची अपने आप में एक अमूल्य धरोहर है, जो विश्व हेरिटेज साइट की सूची में शामिल है. यहां पर प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में सैलानी आते रहते हैं, जो धार्मिक आस्था के साथ पर्यटन और सांची में उत्कृष्ट अद्भुत कला और यहां के इतिहास को जानकर अचंभित होते हैं.

रायसेन। एमपी के विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सांची में कोरोना काल के बाद पहली बार बौद्ध वार्षिक महोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है. हर साल आयोजित होने वाले दो दिवसीय महाबोधि महोत्सव का शुक्रवार सुबह आठ बजे शुभारंभ हुआ था. (Raisen sanchi fair), जिसका शनिवार को समापन हो गया है. इस महोत्सव में शामिल होने के लिए भारत समेत श्रीलंका, जापान, वियतनाम सहित अन्य देशों के हजारों श्रद्धालु पहुंचे.

रायसेन सांची महोत्सव

सांची मेले का आयोजन: सांची में हर साल की तरह इस साल भी सांची महोत्सव का आयोजन हुआ था. साल में 2 दिन के लिए लगने वाले इस मेले के अंतिम दिन सैकड़ों की संख्या में विदेशी पर्यटक शामिल हुए. पर्यटन विभाग ने आने वाले पर्यटक को और विदेशी सैलानियों के लिए अलग से व्यवस्था की थी(lord buddha student asthi worship in Raisen). सांची मेले में भगवान बुद्ध के दो परम शिष्यों सारिपुत्र और महामोग्गलायन की पवित्र अस्थियों को स्तूप से निकालकर सार्वजनिक दर्शनार्थ चैत्यगिरी विहार मंदिर में रखा गया था. इसके बाद यहां इन अस्थियों के दर्शन का सिलसिला शुरू हुआ था.

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धार्मिक आस्था का केंद्र सांची: विश्व पर्यटन स्थल सांची को विश्व शांति और धार्मिक स्थल के रूप में देखा जाता है. यहां पर मुख्यता बौद्ध अनुयायियों को देखा जाता है. पर्यटन की दृष्टि से भी सांची अपने आप में एक अमूल्य धरोहर है, जो विश्व हेरिटेज साइट की सूची में शामिल है. यहां पर प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में सैलानी आते रहते हैं, जो धार्मिक आस्था के साथ पर्यटन और सांची में उत्कृष्ट अद्भुत कला और यहां के इतिहास को जानकर अचंभित होते हैं.

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