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जब पंडित नेहरू ने 200 लोगों को विस्थापित कर बसाया, गांव की बदली तस्वीर

तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने केरल से लगभग 200 लोगों केरल में लाकर बसाया था. आज यहां मलयाली समाज के 60 परिवार हैं. इन परिवारों के अधिकतर युवा फौज से रिटायर होने के बाद खेती-किसानी में जुट जाते हैं. शुरूआती दौर में संघर्षों का सामना करने का बाद आज यह परिवार खुशहाल जीवन जी रहे हैं.

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रायसेन स्पेशल न्यूज
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Published : Jun 15, 2021, 11:23 AM IST

Updated : Jun 15, 2021, 11:33 AM IST

रायसेन। तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 200 लोगों को केरल से यहां विस्थापित कर बसाया था. कुछ परिवार यहां का वातावरण नहीं समझ पाए और परेशानी के कारण चले गए, जो परिवार ईंटखेड़ी पंचायत में बसे थे. उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. कभी खाने को नहीं था, तो कभी सोने और पहनने के लिए कपड़े नहीं थे. इन परिवारों ने हर मुश्किल का सामना करते हुए अपने बच्चों को पढ़ा लिखा कर आर्मी और स्वास्थ विभाग में भेजा.

केरल से विस्थापित लोग

70 प्रतिशत लोग सरकारी जॉब में
बता दें कि जब इन परिवारों पर कर्ज बड़ा, तो एमपी गवर्नमेंट ने वसूली के नोटिस दिए. राहत की आस लिए यह परिवार इंदिरा गांधी के पास पहुंचे. उसके बाद केंद्र सरकार ने इनका कर्ज अपने ऊपर ले लिया और जमीन का भी मालिकाना हक दिलाया. जिसके बाद कुछ परिवार जमीन बेचकर, भोपाल, मंडीदीप, रायसेन और विदिशा में जाकर बस गए. बता दें कि यहां के 70 प्रतिशत लोग सरकारी जॉब में हैं. इन लोगों ने वर्षो के बाद यहां के वातावरण को समझा और धीरे-धीरे खेती करना शुरू किया. अब आलम ये है कि आर्मी से रिटायर्ड होने के बाद लोग खेती कर रहे हैं. साथ ही खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं.


गांव के अधिकतर युवा आर्मी में

देश में जब किसी परिवार का कोई युवा आर्मी में भर्ती होकर देश सेवा का संकल्प लेता है तो, न सिर्फ जवान बल्कि उसके परिवार के साथ उसका पूरा गांव गर्व महसूस करता है, ऐसा ही एक गांव ईंटखेड़ी है, जहां एक या दो नहीं बल्कि लगभग हर परिवार के सदस्य ने फौज में रहकर देश की सेवा की है.

महिलाएं भी समाज सेवा में आगे
बता दें कि आज भी इस गांव में बसे कैरेलियन परिवारों के लगभग आधा दर्जन युवा फौज में हैं. और देश की सीमा पर दुश्मन के दांत खट्टे कर रहे हैं. यह परंपरा आज की नहीं, बल्कि आजादी के बाद से ही शुरू हुई थी. जब केरल के कुछ परिवारों को यहां लाकर बसाया गया था, तब से पुरुष ही नहीं इस गांव की अधिकतर युवतियों ने भी नर्स बनकर समाज सेवा का धर्म निभाया है. आज रायसेन के जिला अस्पताल सहित भोपाल के हमीदिया अस्पताल, सुल्तानिया अस्पताल जैसे अन्य अस्पतालों में ईंटखेड़ी की युवतियां और महिलाएं नर्स के रूप में सेवा कर रही हैं.

तत्कालीन पीएम ने बसाया
दरअसल, सन 1955 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने केरल से लगभग 200 लोगो को यहां विस्थापित कर बसाया था. बाद में परिवारों की संख्या बढ़ती गई, आज यहां मलयाली समाज के 60 परिवार हैं. हालांकि, अन्य समाजों के परिवार भी यहां हैं. यहां फौज से रिटायर होने के बाद खेती-किसानी में जाकर देश की सेवा करना ईटखेड़ी के युवाओं की परंपरा रही है.

रिटायर्ड सर्विसमैन सुनील कुमार नायक ने बताया कि '1995 में माता-पिता केरल से यहां लेकर आए. यहां आकर हमारे माता-पिता बहुत परेशान हुए. अभी हम कमाने लगे हैं, खेती करने लगे हैं.' फिलहाल, यहां चार गांव हैं.

हर परिवार को दी जमीन
आर्मी में सेवाएं देने बाले एक्स सर्विसमैन ने ईये थॉमस ने बताया कि पूर्व पीएम ने केरल के कमजोर लोगों को यहां बसाया था. 12 एकड़ हर परिवार को जमीन दी, लेकिन उस समय लोग यहां की खेती को नहीं जानते थे. यहां के वातावरण से भी परिचत नहीं थे. उस समय इन लोगों को कुछ समझ नहीं आ रहा था. कुछ परिवार वापस चले गए.

एक समय जब बढ़ा कर्ज का बोझ
उन्होंने बताया कि 150 परिवार को चार गांव में बसाया गया था. खेती में सफल न होने के कारण लोग भुखमरी समेत अन्य परेशानियों से जूझते रहे. परेशानियों में बड़े हुए. थॉमस ने बताया कि उनकी उम्र के 25% आर्मी में चले गए, जबकि लड़कियां 25% नर्स बन गई. उन्होंने बताया कि मप्र सरकार का कर्ज बहुत हो गया था. उस जमाने में 5 लाख कर्ज था. पैसे जमा ने करने पर जमीन की कुर्की करने के नोटिस दिए गए.

केंद्र सरकार ने अपने ऊपर लिया कर्ज
एक्स सर्विसमैन थॉमस ने बताया कि उस टाइम 5 लाख बहुत थे. अगर सब परिवार अपना सामान बेच देते तब भी, पैसे जमा नहीं हो सकते थे. जब सभी परिवारों ने इंदिरा गांधी से से इस संबंध में मदद की मांग कि तब केंद्र सरकार ने सारा कर्ज अपने ऊपर ले लिया. साथ ही जमीन का मालिकाना हक भी दे दिया. हक मिलने से 50% लोग जमीन बेचकर चले गए. पढ़ाई की व्यवस्था न होने पर कुछ परिवार बच्चों को लेकर भोपाल, मंडीदीप, रायसेन और विदिशा जैसी जगह बस गए. फिलहाल, यहां 60 परिवार बचे है, जोकि खुशहाल जीवन जी रहे हैं.

सरपंच ने बताया
इस पंचायत में चार गांव आते हैं. उन्होंने बताया कि कुछ केरल चले गए. कुछ आस पास शहरों में रह रहे हैं, यह लोग लड़ाई झगड़ा करने वाले नहीं है. यह लोग जॉब और अपना बिजनेस करते हैं. दूसरों को समझते हैं, उन्हें अच्छी शिक्षा देते हैं.

रायसेन। तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 200 लोगों को केरल से यहां विस्थापित कर बसाया था. कुछ परिवार यहां का वातावरण नहीं समझ पाए और परेशानी के कारण चले गए, जो परिवार ईंटखेड़ी पंचायत में बसे थे. उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. कभी खाने को नहीं था, तो कभी सोने और पहनने के लिए कपड़े नहीं थे. इन परिवारों ने हर मुश्किल का सामना करते हुए अपने बच्चों को पढ़ा लिखा कर आर्मी और स्वास्थ विभाग में भेजा.

केरल से विस्थापित लोग

70 प्रतिशत लोग सरकारी जॉब में
बता दें कि जब इन परिवारों पर कर्ज बड़ा, तो एमपी गवर्नमेंट ने वसूली के नोटिस दिए. राहत की आस लिए यह परिवार इंदिरा गांधी के पास पहुंचे. उसके बाद केंद्र सरकार ने इनका कर्ज अपने ऊपर ले लिया और जमीन का भी मालिकाना हक दिलाया. जिसके बाद कुछ परिवार जमीन बेचकर, भोपाल, मंडीदीप, रायसेन और विदिशा में जाकर बस गए. बता दें कि यहां के 70 प्रतिशत लोग सरकारी जॉब में हैं. इन लोगों ने वर्षो के बाद यहां के वातावरण को समझा और धीरे-धीरे खेती करना शुरू किया. अब आलम ये है कि आर्मी से रिटायर्ड होने के बाद लोग खेती कर रहे हैं. साथ ही खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं.


गांव के अधिकतर युवा आर्मी में

देश में जब किसी परिवार का कोई युवा आर्मी में भर्ती होकर देश सेवा का संकल्प लेता है तो, न सिर्फ जवान बल्कि उसके परिवार के साथ उसका पूरा गांव गर्व महसूस करता है, ऐसा ही एक गांव ईंटखेड़ी है, जहां एक या दो नहीं बल्कि लगभग हर परिवार के सदस्य ने फौज में रहकर देश की सेवा की है.

महिलाएं भी समाज सेवा में आगे
बता दें कि आज भी इस गांव में बसे कैरेलियन परिवारों के लगभग आधा दर्जन युवा फौज में हैं. और देश की सीमा पर दुश्मन के दांत खट्टे कर रहे हैं. यह परंपरा आज की नहीं, बल्कि आजादी के बाद से ही शुरू हुई थी. जब केरल के कुछ परिवारों को यहां लाकर बसाया गया था, तब से पुरुष ही नहीं इस गांव की अधिकतर युवतियों ने भी नर्स बनकर समाज सेवा का धर्म निभाया है. आज रायसेन के जिला अस्पताल सहित भोपाल के हमीदिया अस्पताल, सुल्तानिया अस्पताल जैसे अन्य अस्पतालों में ईंटखेड़ी की युवतियां और महिलाएं नर्स के रूप में सेवा कर रही हैं.

तत्कालीन पीएम ने बसाया
दरअसल, सन 1955 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने केरल से लगभग 200 लोगो को यहां विस्थापित कर बसाया था. बाद में परिवारों की संख्या बढ़ती गई, आज यहां मलयाली समाज के 60 परिवार हैं. हालांकि, अन्य समाजों के परिवार भी यहां हैं. यहां फौज से रिटायर होने के बाद खेती-किसानी में जाकर देश की सेवा करना ईटखेड़ी के युवाओं की परंपरा रही है.

रिटायर्ड सर्विसमैन सुनील कुमार नायक ने बताया कि '1995 में माता-पिता केरल से यहां लेकर आए. यहां आकर हमारे माता-पिता बहुत परेशान हुए. अभी हम कमाने लगे हैं, खेती करने लगे हैं.' फिलहाल, यहां चार गांव हैं.

हर परिवार को दी जमीन
आर्मी में सेवाएं देने बाले एक्स सर्विसमैन ने ईये थॉमस ने बताया कि पूर्व पीएम ने केरल के कमजोर लोगों को यहां बसाया था. 12 एकड़ हर परिवार को जमीन दी, लेकिन उस समय लोग यहां की खेती को नहीं जानते थे. यहां के वातावरण से भी परिचत नहीं थे. उस समय इन लोगों को कुछ समझ नहीं आ रहा था. कुछ परिवार वापस चले गए.

एक समय जब बढ़ा कर्ज का बोझ
उन्होंने बताया कि 150 परिवार को चार गांव में बसाया गया था. खेती में सफल न होने के कारण लोग भुखमरी समेत अन्य परेशानियों से जूझते रहे. परेशानियों में बड़े हुए. थॉमस ने बताया कि उनकी उम्र के 25% आर्मी में चले गए, जबकि लड़कियां 25% नर्स बन गई. उन्होंने बताया कि मप्र सरकार का कर्ज बहुत हो गया था. उस जमाने में 5 लाख कर्ज था. पैसे जमा ने करने पर जमीन की कुर्की करने के नोटिस दिए गए.

केंद्र सरकार ने अपने ऊपर लिया कर्ज
एक्स सर्विसमैन थॉमस ने बताया कि उस टाइम 5 लाख बहुत थे. अगर सब परिवार अपना सामान बेच देते तब भी, पैसे जमा नहीं हो सकते थे. जब सभी परिवारों ने इंदिरा गांधी से से इस संबंध में मदद की मांग कि तब केंद्र सरकार ने सारा कर्ज अपने ऊपर ले लिया. साथ ही जमीन का मालिकाना हक भी दे दिया. हक मिलने से 50% लोग जमीन बेचकर चले गए. पढ़ाई की व्यवस्था न होने पर कुछ परिवार बच्चों को लेकर भोपाल, मंडीदीप, रायसेन और विदिशा जैसी जगह बस गए. फिलहाल, यहां 60 परिवार बचे है, जोकि खुशहाल जीवन जी रहे हैं.

सरपंच ने बताया
इस पंचायत में चार गांव आते हैं. उन्होंने बताया कि कुछ केरल चले गए. कुछ आस पास शहरों में रह रहे हैं, यह लोग लड़ाई झगड़ा करने वाले नहीं है. यह लोग जॉब और अपना बिजनेस करते हैं. दूसरों को समझते हैं, उन्हें अच्छी शिक्षा देते हैं.

Last Updated : Jun 15, 2021, 11:33 AM IST
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