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नहीं मिला 'आयुष्मान' का वरदान, दाक्षी को दुनिया का दीदार कराने के लिए जन-जन ने किया सहयोग - tehsil dar nikita tiwari

रायसेन कि बरेली तहसील की एक साल की दाक्षी की मदद के लिए पूरा शहर जुट गया है. दाक्षी के आंख की रेटीना जन्म से ही खराब है, जिसके चलते वो देख नहीं सकती. दाक्षी के पिता चौकीदार हैं और वे इलाज करवाने में सक्षम नहीं हैं.

दाक्षी अब जल्द देख पाएगी
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Published : Nov 24, 2019, 10:34 AM IST

Updated : Nov 24, 2019, 11:38 AM IST

रायसेन। बरेली तहसील के जनकपुर गांव के एक गरीब चौकीदार की एक साल की बेटी दाक्षी जन्म से ही अंधी है. डॉक्टरों का कहना है कि दाक्षी का रेटीना फटा हुआ है. जिसका इलाज तो संभव है, पर उसमें कम से कम 15 से 17 लाख रुपए का खर्च आएगा. दाक्षी के परिवार कि आर्थिक स्थिति को देखते हुए तहसीलदार और नगर के लोगों ने एक मुहिम शुरु की. जिसके तहत लोगों ने दाक्षी के इलाज के लिए पैसे जुटाए और 25 नवंबर को दाक्षी का हैदराबाद के एक निजी अस्पताल में इलाज शुरू हो सका.

दाक्षी अब जल्द देख पाएगी

तहसीलदार निकिता तिवारी ने बताया कि दाक्षी के लिए बरेली की समाजसेवी संस्थाओं और नागिरकों से अपील की थी. जिसके बाद दाक्षी के इलाज के लिए राशि मिल रही है. ऑनलाइन पेमेंट के माध्यम से भी राशि आ रही. अब तक लगभग ढाई लाख रुपए जुटाया जा चुका है और इलाज में लगभग 15 से 17 लाख का खर्च आएगा. आगे उन्होंने कहा कि बरेली के सभी नागिरकों ने ये विश्वास दिलाया है कि वो दाक्षी के दृष्टि अभियान में अपना सहयोग देंगे.

दाक्षी को आयुष्मान भारत योजना का लाभ मिलना चाहिए था, पर किन कारणों से उसे इस योजना का लाभ नहीं मिला, इसकी पड़ताल भी जारी है. यदि इस योजना का लाभ मिल जाता तो दाक्षी के पिता की मुश्किलें आसान हो जातीं.

रायसेन। बरेली तहसील के जनकपुर गांव के एक गरीब चौकीदार की एक साल की बेटी दाक्षी जन्म से ही अंधी है. डॉक्टरों का कहना है कि दाक्षी का रेटीना फटा हुआ है. जिसका इलाज तो संभव है, पर उसमें कम से कम 15 से 17 लाख रुपए का खर्च आएगा. दाक्षी के परिवार कि आर्थिक स्थिति को देखते हुए तहसीलदार और नगर के लोगों ने एक मुहिम शुरु की. जिसके तहत लोगों ने दाक्षी के इलाज के लिए पैसे जुटाए और 25 नवंबर को दाक्षी का हैदराबाद के एक निजी अस्पताल में इलाज शुरू हो सका.

दाक्षी अब जल्द देख पाएगी

तहसीलदार निकिता तिवारी ने बताया कि दाक्षी के लिए बरेली की समाजसेवी संस्थाओं और नागिरकों से अपील की थी. जिसके बाद दाक्षी के इलाज के लिए राशि मिल रही है. ऑनलाइन पेमेंट के माध्यम से भी राशि आ रही. अब तक लगभग ढाई लाख रुपए जुटाया जा चुका है और इलाज में लगभग 15 से 17 लाख का खर्च आएगा. आगे उन्होंने कहा कि बरेली के सभी नागिरकों ने ये विश्वास दिलाया है कि वो दाक्षी के दृष्टि अभियान में अपना सहयोग देंगे.

दाक्षी को आयुष्मान भारत योजना का लाभ मिलना चाहिए था, पर किन कारणों से उसे इस योजना का लाभ नहीं मिला, इसकी पड़ताल भी जारी है. यदि इस योजना का लाभ मिल जाता तो दाक्षी के पिता की मुश्किलें आसान हो जातीं.

Intro:रायसेन-जिले के बरेली तहसील के ग्राम जनकपुर के एक गरीब चौकीदार परिवार की 1 वर्ष की मासूम बेटी दाक्षी जिसने जन्म लेने के बाद अपने मां बाप को नहीं देखा जिसकी आंखों का रेटीना फटा हुआ है गरीब मां बाप उसका इलाज कराने में असमर्थ थे इस बच्ची को दुनिया दिखाने का संकल्प लिया बरेली तहसीलदार निकीता तिवारी ने और सहयोग में आए क्षेत्रीय संघ सारथी बने कई समाजसेवी और संस्थाएं हालांकि दाक्षी का इलाज सरल नहीं है 15 से 20 लाख रूपय का खर्च उसके ऑपरेशन में आ रहा है लेकिन कहते हैं जहां चाहे वहां राह, अभी तक दाक्षी के इलाज के लिए अलग-अलग संस्थाओं समाजसेवियों ने तीन लाख रुपए दे दिए हैं हालांकि यह नाकाफी है लेकिन उस मासूम दाक्षी को दुनिया दिखाने का संकल्प लिया है बरेली तहसीलदार निकिता तिवारी ने।


Body:रायसेन जिले के बरेली के ग्राम जनकपुर के चौकीदार की 1 वर्षीय दाक्षी जन्म से दिव्यांग है जो आवाज को महसूस कर उस और देखती तो है लेकिन क्या और को है नहीं बता पाती दरअसल दाक्षी की आंखों के रेटिना फटे हुए हैं जिसका इलाज तो संभव है वही गरीब चौकीदार 15 से 20 लाख रूपये कैसे खर्च करें ऐसे में बरेली तहसीलदार शुश्री निकिता तिवारी इस बच्ची के जीवन में नया सवेरा लेकर आई और एक मुहिम शुरू की दाक्षी के लिए जिसका परिणाम है कि 26 तारीख को दाक्षी हैदराबाद के एक निजी अस्पताल में अपनी आंखें चेक करवा रही होगी। वही आयुष्मान भारत योजना का नहीं मिल पा रहा लाभ दरअसल हैदराबाद तेलंगाना में आता है जहां आयुष्मान भारत योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा ऐसा वहां के अस्पताल प्रबंधन ने बताया जन सहयोग से हो पाएगा इलाज जिसके लिए लोग मदद कर रहे हैं।

Byte-निकिता तिवारी तहसीलदार।


Conclusion:
Last Updated : Nov 24, 2019, 11:38 AM IST
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