रायसेन। विश्व के अजूबों में शामिल चीन की दीवार 'द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना', जो 6400 किमी क्षेत्र तक फैली है. मिट्टी और पत्थरों से बनी किलानुमा ये दीवार चीन के विभिन्न शासकों के द्वारा उत्तरी हमलावरों से रक्षा के लिए 5वीं शाताब्दी ईसा पूर्व से लेकर 16वीं शताब्दी तक बनवाया गया. कुछ ऐसी ही भारत में भी एक दीवार है. हालांकि चाइना वॉल के आगे ये बहुत छोटी है, लेकिन इसे भारत देश की सबसे बड़ी दीवार माना जाता है. 90 किलोमीटर लंबी यह दीवार मध्य प्रदेश के रायसेन में है जो 15-18 फीट ऊँची और 10-24 फीट तक चौड़ी है. परमारकालीन इस दीवार को 'द ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया' का नाम दिया गया है. इतनी प्राचीन और भारत की सबसे लंबी दीवार संरक्षण के अभाव में अपने अस्तित्व को बचाने के लिए जूझ रही है.
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सुरक्षा के लिहाज से परमार शासकों ने बनवाई थी दीवार
10-11 वीं शताब्दी में कल्चुरी शासकों के हमले से बचने के लिए परमार वंश के राजाओं द्वारा इंटरलॉकिंग सिस्टम से बनवाई गई. उदयपुरा के पास देवरी कस्बे से लगे गोरखपुर गांव से सटे जंगल से शुरू होकर यह दीवार बरेली बाड़ी क्षेत्र में आने वाले चौकीगढ़ किले तक जाती है. दीवार को, 'द ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया' का नाम दिया गया है. 90 किलोमीटर लंबी ऊंची ये दीवार कुछ जगह पर 24 फीट तक चौड़ी है. दीवार को बनाने में लाल बलुआ पत्थर की बड़ी चट्टानों का इस्तेमाल किया है. इसके दोनों ओर विशाल चोकोर पत्थर लगाए गए हैं. इसके आसपास कई जमींदोज मंदिरों के अवशेष भी मिले हैं.
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संरक्षण के अभाव में हो रही ध्वस्त
सदियों पुरानी इस दीवार को केंद्र और राज्य सरकार के कई प्रतिनिधि मंडल यूं तो देखने को आए और इसके महत्व को लेकर बड़ी-बड़ी बातें हुई है. लेकिन इसके संरक्षण और पर्यटन विस्तार को लेकर कोई ठोस पहल नहीं हुई. अब यह ऐतिहासिक दीवार दिनों-दिन जीर्ण-शीर्ण होती जा रही है. दीवार के संरक्षण पर रायसेन के कलेक्टर अरविंद कुमार दुबे ने कहा कि हम राज्य शासन को इसके संरक्षण के लिए पत्र लिखेंगे. जब तक वहां से कार्यवाही होगी हम अपने पंचायत जनपद पंचायत के माध्यम से इसे बचाने की कोशिश करेंगे.