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रायसेन में है अनोखी परंपरा, तोप चलाकर दी जाती है सूचना - मुस्लिम समाज

रायसेन में रमजान के पाक महीने में सुह तोप चलाकर मुस्लिम समुदाय के लोग अपना रोजा खोलते हैं. कहा जा रहा है कि यह प्रथा नवाबी शासनकाल से चली आ रही है.

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Published : May 7, 2019, 3:27 PM IST

रायसेन। मध्य प्रदेश का एक ऐसा जिला जहां रमजान के महीने में मुस्लिम समाज के लोग तोप की आवाज सुनकर रोजा खोलते हैं. किले की पहाड़ी से ये तोप चलाया जाता है, जिसकी परंपरा करीब 200 साल से चली आ रही है. कहते हैं इस तोप की आवाज करीब 30 गांवों तक सुनाई देती है.


ख़ास बात यह भी है कि इस तोप को सालों से एक ही परिवार चलाता आ रहा है. इस जिले में रमजान के दौरान सेहरी और अफ्तारी की सूचना देने के लिए तोप चलाए जाने की परंपरा सालों से चली आ रही है. इस काम को दो लोगों ने अपने जिम्मे ले रखा है. जिसमें से एक पप्पू भाई और दूसरे सईद खां रोजाना तोप चलाकर रोजा खोलने की सूचना देते हैं.

रायसेन में अनोखी परंपरा


सुबह-शाम लगता है 1 किलोग्राम बारूद
पप्पू के मुताबिक एक बार गोला दागने में करीब 500 ग्राम बारूद लगता है. इस तरह सुबह-शाम मिलाकर एक किलो बारूद खर्च होता है. उनका कहना है कि उन्हें इस काम में काफी सावधानी बरतनी पड़ती है. इसके लिए उन्हें टीन वाली मस्जिद से तय वक़्त पर लाइट का इशारा मिलता है और वे तोप से गोला दाग देते हैं.


प्रशासन देता है एक महीने का लाइसेंस
इस काम के लिए प्रशासन की ओर से एक महीने का लाइसेंस भी जारी किया जाता है. जब रमजान खत्म हो जाता है तो ईद के बाद तोप की साफ-सफाई की जाती है. उसे सरकारी गोदाम में जमा कर दिया जाता है. पप्पू खां का कहना है कि उनका परिवार ही सालों से तोप चलाता आ रहा है, वह खुद 15 साल से तोप चला रहे हैं. इसके लिए आधे घंटे पहले तैयारी करना पड़ती है. तब सही वक़्त पर तोप चल पाती है.

रायसेन। मध्य प्रदेश का एक ऐसा जिला जहां रमजान के महीने में मुस्लिम समाज के लोग तोप की आवाज सुनकर रोजा खोलते हैं. किले की पहाड़ी से ये तोप चलाया जाता है, जिसकी परंपरा करीब 200 साल से चली आ रही है. कहते हैं इस तोप की आवाज करीब 30 गांवों तक सुनाई देती है.


ख़ास बात यह भी है कि इस तोप को सालों से एक ही परिवार चलाता आ रहा है. इस जिले में रमजान के दौरान सेहरी और अफ्तारी की सूचना देने के लिए तोप चलाए जाने की परंपरा सालों से चली आ रही है. इस काम को दो लोगों ने अपने जिम्मे ले रखा है. जिसमें से एक पप्पू भाई और दूसरे सईद खां रोजाना तोप चलाकर रोजा खोलने की सूचना देते हैं.

रायसेन में अनोखी परंपरा


सुबह-शाम लगता है 1 किलोग्राम बारूद
पप्पू के मुताबिक एक बार गोला दागने में करीब 500 ग्राम बारूद लगता है. इस तरह सुबह-शाम मिलाकर एक किलो बारूद खर्च होता है. उनका कहना है कि उन्हें इस काम में काफी सावधानी बरतनी पड़ती है. इसके लिए उन्हें टीन वाली मस्जिद से तय वक़्त पर लाइट का इशारा मिलता है और वे तोप से गोला दाग देते हैं.


प्रशासन देता है एक महीने का लाइसेंस
इस काम के लिए प्रशासन की ओर से एक महीने का लाइसेंस भी जारी किया जाता है. जब रमजान खत्म हो जाता है तो ईद के बाद तोप की साफ-सफाई की जाती है. उसे सरकारी गोदाम में जमा कर दिया जाता है. पप्पू खां का कहना है कि उनका परिवार ही सालों से तोप चलाता आ रहा है, वह खुद 15 साल से तोप चला रहे हैं. इसके लिए आधे घंटे पहले तैयारी करना पड़ती है. तब सही वक़्त पर तोप चल पाती है.

Intro:एंकर रायसेन, मध्य प्रदेश का एक ऐसा जिला जहां रमजान के महीने में मुस्लिम समाज के लोग तोप की आवाज सुनकर रोजा खोलते हैं। किले की पहाड़ी से ये तोप चलाया जाता है जिसकी परंपरा करीब 200 साल से चली आ रही है। कहते हैं इस तोप आवाज करीब 30 गावों तक सुनाई देती है। ख़ास बात यह भी है कि इस तोप को सालों से एक ही परिवार चलाता आ रहा है।Body:इस जिले में रमजान के दौरान सेहरी और अफ्तारी की सूचना देने के लिए तोप चलाए जाने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। इस काम को दो लोगों ने अपने जिम्मे ले रखा है जिनमें से एक पप्पू भाई और दूसरे सईद खां हैं जो रोजाना तोप चलाकर रोजे खोलने की सूचना देते हैं।



सुबह-शाम लगता है 1 किग्रा बारूद
पप्पू के अनुसार एक बार गोला दागने में करीब 500 ग्राम बारूद लगता है इस तरह सुबह शाम मिलाकर एक किलो बारूद खर्च होता है। पप्पू बताते हैं उन्हें इस काम में काफी सावधानी बरतनी पड़ती है। इसके लिए उन्हें टीन वाली मस्जिद से तय वक़्त पर लाइट का इशारा मिलता है और वे तोप से गोला दाग देते हैं।

प्रशासन देता है एक महीने का लाइसेंस
इस काम के लिए प्रशासन की ओर से एक महीने का लाइसेंस भी जारी किया जाता है। जब रमजान समाप्त हो जाता है तो ईद के बाद तोप की साफ-सफाई की जाती है और उसे सरकारी गोदाम में जमा कर दिया जाता है। इस काम को लेकर पप्पू खां का कहना है कि उनका परिवार ही सालों से तोप चलाता आ रहा है। वह खुद 15 साल से तोप चला रहे हैं। इसके लिए आधे घंटे पहले तैयारी करना पड़ती है, तब सही वक़्त पर तोप चल पाती है। चुकी रमजान में समय का बड़ा महत्व है, इसलिए इस चीज की तयारी पहले से ही की जाती है।Conclusion:
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