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जमुनिया घाटी में सड़क की हालत खस्ता, प्रशासन नहीं ले रहा सुध

रायसेन जिले की सिलवानी तहसील के अंतर्गत आने वाली जमुनिया घाटी में सड़क ही हालत खस्ता है. बावजूद इसके प्रशासन इस पर ध्यान नहीं दे रहा है.

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जमुनिया घाटी में सड़क की हालत खस्ता
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Published : Nov 26, 2019, 11:57 PM IST

रायसेन। सिलवानी तहसील की जमुनिया घाटी में गंभीर हादसे होने के बावजूद भी प्रशासन की नींद नहीं टूट रही हैं. सड़कों की हालत बेहद खस्ता हो चुकी है. जिसके चलते आए दिन लोग दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं. अधिकारी पहले बारिश का हवाल देते रहे, अब बारिश का मौसम खत्म हो जाने बाद भी सड़क की हालत जस की तस बनी हुई है.

जमुनिया घाटी में सड़क की हालत खस्ता

हादसों की घाटी बनी जमुनिया

गैरतगंज- गाडरवारा रोड पर स्थित जमुनिया घाटी जहां प्राकृतिक सुंदरता और घने जंगलों के लिए जानी जाती है, वहीं अब ये हादसों की घाटी बन गई है. बारिश के चलते सड़कें बह गई हैं. पहाड़ी इलाका होने के चलते सड़क पर पत्थर गिरने का खतरा भी बना रहता है. तहसीलदार छोटे गिरी गोस्वामी ने बताया कि कई बार संबंधित विभागों को सड़क की मरम्मत के लिए कहा गया. लेकिन अभी तक निर्माण कार्य शुरु नहीं हो पाया है.

रायसेन। सिलवानी तहसील की जमुनिया घाटी में गंभीर हादसे होने के बावजूद भी प्रशासन की नींद नहीं टूट रही हैं. सड़कों की हालत बेहद खस्ता हो चुकी है. जिसके चलते आए दिन लोग दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं. अधिकारी पहले बारिश का हवाल देते रहे, अब बारिश का मौसम खत्म हो जाने बाद भी सड़क की हालत जस की तस बनी हुई है.

जमुनिया घाटी में सड़क की हालत खस्ता

हादसों की घाटी बनी जमुनिया

गैरतगंज- गाडरवारा रोड पर स्थित जमुनिया घाटी जहां प्राकृतिक सुंदरता और घने जंगलों के लिए जानी जाती है, वहीं अब ये हादसों की घाटी बन गई है. बारिश के चलते सड़कें बह गई हैं. पहाड़ी इलाका होने के चलते सड़क पर पत्थर गिरने का खतरा भी बना रहता है. तहसीलदार छोटे गिरी गोस्वामी ने बताया कि कई बार संबंधित विभागों को सड़क की मरम्मत के लिए कहा गया. लेकिन अभी तक निर्माण कार्य शुरु नहीं हो पाया है.

Intro:स्लग -हादसों की घाटी बन गई जमुनिया घाटी
आए दिन हो रही दुर्घटना,प्रशासन को बड़ी दुर्घटना का इंतजार
Vo =रायसेन के रीछन पुल हादसे से नहीं लिया प्रशासन ने सबक
2 अक्टूबर को रीछन नदी में बस गिरने से हुई थी 6 लोगों की मौत
इतने बड़े हादसे के बाद भी नहीं जाग रहा प्रशासन
सिलवानी। रायसेन की रीछन नदी पर हुए बस हादसे में छह लोगों की मौत दहला देने वाली घटना थी। इस हादसे के बाद एक बार फिर सरकार की लापरवाही को उजागर किया है। छह लोगों की मौत के बाद बता रहा है कि राज्य सरकार के लिए लोगों की जान की कोई कीमत नहीं है। सड़क सुरक्षा को लेकर सरकार ने आंखें मूंद रखी है।
हकीकत तो यह है कि सरकार ने पिछले हादसों से कोई सबक नहीं सीखा और सड़क यात्रा को सुरक्षित बनाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। इसी का नतीजा है कि आए दिन जिले में सड़क हादसे हो रहे हैं और लोग मर रहे हैं। जब-जब ऐसे बड़े हादसे होते हैं,मृतकों को मुआवजा देकर मामला खत्म कर दिया जाता है,लेकिन पिछले हादसों से कोई सबक नहीं लिया जाता है। इसलिए सड़क हादसों का ग्राफ ऊपर जा रहा है।

राजमार्ग 44 गैरतगंज गाडरवारा की जमुनिया घाटी जहां प्राकृतिक सुंदरता और घने जंगलों के लिए जानी जाती है परंतु अब यू कहा जाए कि इन दिनों ये हादसों की घाटी के रूप में पहचान बना रही है। इस वर्ष हुई बारिश से जमुनिया घाटी में एक ओर आधे से ज्यादा रोड का कटाव हो चुका है वहीं दूसरी ओर पहाड़ी से पत्थर गिरने का भी खतरा बना रहता है। इस मार्ग से यात्रा करने वाले वाहन चालक अपनी जान हथेली पर रख कर इस रोड पर यात्रा कर रहे है। बीते दिनों जमुनिया घाटी पर एक हादसा होते-होते बचा ट्रक चालक की सूझबूझ से बस को बचाने के लिए ट्रक को पहाड़ी से टकरा दिया। बरना बस खाई में गिर जाती तो बहुत बड़ा हादसा हो सकता है। सीधे शब्दों में बात कही जाए तो इस मार्ग पर मात्र 8 फिट से भी कम रास्ता बचा है निकलने के लिए। एक तरफ पहाड़ और दूसरी तरफ खाई?
मीडिया द्वारा इस मार्ग के भयानक कटाव की खबर को प्रमुखता से उजागर किया था तब प्रशासन द्वारा यह अवगत कराया गया था कि अभी पानी गिर रहा है इसलिए कोई कार्य नहीं हो सकता है और उसी समय उन कटाव वाली जगहों पर एक तरफ मिट्टी से भरी बोरियां रखकर अपने काम की इति श्री कर ली गई लेकिन अब एक माह से ज्यादा समय गुजर चुका है पानी नहीं गिर रहा है और हालात जस के तस हैं। अभी तक प्रशासन ने इस मार्ग पर कोई कार्य प्रारंभ नहीं किया है और ऐसा लगता है कि जब तक किसी आम आदमी को हानि नहीं पहुंचेगी तब तक प्रशासन की आंखें नहीं खुलेगी। एक तरफ तो अपनी जान जोखिम में डाल कर यात्री इस रोड पर यात्रा कर रहे है वहीं दूसरी ओर परिवहन विभाग की लापरवाही के चलते सड़क पर बगैर बीमा,फिटनेट के ट्रक,डंपर सहित बस बेखौफ फ़र्राटे भर रहे है। ट्रक क्रमांक एमपी 15 जी 1450 जो बस को बचाने में दुर्घटना ग्रस्त हुआ था वह बिना फिटनिस के ही सरकारी बीज भरकर जा रहा था इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर परिवहन विभाग अपना काम इमानदारी से कर रहा होता तो इस तरह से बिना फिटनिस के यह वाहन बेखौफ रोडों पर फर्राटे नहीं भर रहे होते।
बाइट = छोटे गिरी गोस्वामी सिलवानी तहसील सिलवानी
बाइट =संदीप शर्मा ब्लाक अध्यक्ष काग्रेस सिलवानी Body:SLUG-हादसों की घाटी बन गई जमुनिया घाटी
आए दिन हो रही दुर्घटना,प्रशासन को बड़ी दुर्घटना का इंतजार
रायसेन के रीछन पुल हादसे से नहीं लिया प्रशासन ने सबक
2 अक्टूबर को रीछन नदी में बस गिरने से हुई थी 6 लोगों की मौत
इतने बड़े हादसे के बाद भी नहीं जाग रहा प्रशासन
सिलवानी। रायसेन की रीछन नदी पर हुए बस हादसे में छह लोगों की मौत दहला देने वाली घटना थी। इस हादसे के बाद एक बार फिर सरकार की लापरवाही को उजागर किया है। छह लोगों की मौत के बाद बता रहा है कि राज्य सरकार के लिए लोगों की जान की कोई कीमत नहीं है। सड़क सुरक्षा को लेकर सरकार ने आंखें मूंद रखी है।
हकीकत तो यह है कि सरकार ने पिछले हादसों से कोई सबक नहीं सीखा और सड़क यात्रा को सुरक्षित बनाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। इसी का नतीजा है कि आए दिन जिले में सड़क हादसे हो रहे हैं और लोग मर रहे हैं। जब-जब ऐसे बड़े हादसे होते हैं,मृतकों को मुआवजा देकर मामला खत्म कर दिया जाता है,लेकिन पिछले हादसों से कोई सबक नहीं लिया जाता है। इसलिए सड़क हादसों का ग्राफ ऊपर जा रहा है।

राजमार्ग 44 गैरतगंज गाडरवारा की जमुनिया घाटी जहां प्राकृतिक सुंदरता और घने जंगलों के लिए जानी जाती है परंतु अब यू कहा जाए कि इन दिनों ये हादसों की घाटी के रूप में पहचान बना रही है। इस वर्ष हुई बारिश से जमुनिया घाटी में एक ओर आधे से ज्यादा रोड का कटाव हो चुका है वहीं दूसरी ओर पहाड़ी से पत्थर गिरने का भी खतरा बना रहता है। इस मार्ग से यात्रा करने वाले वाहन चालक अपनी जान हथेली पर रख कर इस रोड पर यात्रा कर रहे है। बीते दिनों जमुनिया घाटी पर एक हादसा होते-होते बचा ट्रक चालक की सूझबूझ से बस को बचाने के लिए ट्रक को पहाड़ी से टकरा दिया। बरना बस खाई में गिर जाती तो बहुत बड़ा हादसा हो सकता है। सीधे शब्दों में बात कही जाए तो इस मार्ग पर मात्र 8 फिट से भी कम रास्ता बचा है निकलने के लिए। एक तरफ पहाड़ और दूसरी तरफ खाई?
मीडिया द्वारा इस मार्ग के भयानक कटाव की खबर को प्रमुखता से उजागर किया था तब प्रशासन द्वारा यह अवगत कराया गया था कि अभी पानी गिर रहा है इसलिए कोई कार्य नहीं हो सकता है और उसी समय उन कटाव वाली जगहों पर एक तरफ मिट्टी से भरी बोरियां रखकर अपने काम की इति श्री कर ली गई लेकिन अब एक माह से ज्यादा समय गुजर चुका है पानी नहीं गिर रहा है और हालात जस के तस हैं। अभी तक प्रशासन ने इस मार्ग पर कोई कार्य प्रारंभ नहीं किया है और ऐसा लगता है कि जब तक किसी आम आदमी को हानि नहीं पहुंचेगी तब तक प्रशासन की आंखें नहीं खुलेगी। एक तरफ तो अपनी जान जोखिम में डाल कर यात्री इस रोड पर यात्रा कर रहे है वहीं दूसरी ओर परिवहन विभाग की लापरवाही के चलते सड़क पर बगैर बीमा,फिटनेट के ट्रक,डंपर सहित बस बेखौफ फ़र्राटे भर रहे है। ट्रक क्रमांक एमपी 15 जी 1450 जो बस को बचाने में दुर्घटना ग्रस्त हुआ था वह बिना फिटनिस के ही सरकारी बीज भरकर जा रहा था इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर परिवहन विभाग अपना काम इमानदारी से कर रहा होता तो इस तरह से बिना फिटनिस के यह वाहन बेखौफ रोडों पर फर्राटे नहीं भर रहे होते।Conclusion:
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