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पन्ना: तेंदूपत्ता तोड़ते वक्त पेड़ से गिरी आदिवासी महिला, प्रशासन ने नहीं की कोई मदद

पन्ना वनक्षेत्र में तेंदूपत्ता तोड़ते वक्त एक महिला पेड़ से गिर गई जिससे उसकी कमर में काफी चोट आ गई है. वहीं प्रशासन से मदद मांगने के बाद भी उसे प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली है और ना ही पुलिस थाने में महिला का आवेदन लिया गया.

injured woman
घायल महिला
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Published : May 28, 2020, 12:46 AM IST

पन्ना। दक्षिण वन मंडल पन्ना के वन क्षेत्र पवई के अंतर्गत आने वाले ग्राम बेहरखेरा की महिला सरोज बाई आदिवासी जो बीते दिनों तेंदूपत्ता तोड़ने के लिए पेड़ पर चढ़ी थी. पैर फिसलने के कारण पेड़ से नीचे गिर गई. जिससे महिला को कमर और पेट में गंभीर चोटें आई हैं. वहीं महिला का आरोप है कि पुलिस थाने या जिम्मेदारों ने भी उसकी कोई मदद नहीं की.

तेंदूपेड़ से गिरी महिला

महिला ने बताया कि घटना की सूचना महिला ने तेंदूपत्ता फड़मुंशी से लेकर एसडीओ वन से भी की, लेकिन किसी ने उसकी कोई मदद नहीं की. साथ ही उसके द्वारा पवई पुलिस थाने में भी आवेदन दिया गया. लेकिन महिला का आवेदन नहीं लिया गया, बल्कि यह कहा गया कि एसडीएम को आवेदन दीजिए. जिससे थक हारकर महिला पवई अस्पताल से कुछ दवाई लेकर अपने पेट और कमर की पीड़ा सहते हुए वापस अपने घर चली गई.

महिला का कहना है कि उसकी किसी ने मदद नहीं की. वो अशिक्षित गरीब पीड़ित आदिवासी मजदूर महिला है. यदि शासन से आर्थिक सहायता राशि मिल जाती तो वो अपना इलाज करा पाती. तेंदूपत्ता मजदूरों के काम करते वक्त घायल होने पर कोई आर्थिक सहायता राशि की योजना नहीं है. यदि है तो महिला को उस योजना का लाभ दिलाने में वन विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों द्वारा सहयोग क्यों नहीं किया जा रहा है.

पन्ना। दक्षिण वन मंडल पन्ना के वन क्षेत्र पवई के अंतर्गत आने वाले ग्राम बेहरखेरा की महिला सरोज बाई आदिवासी जो बीते दिनों तेंदूपत्ता तोड़ने के लिए पेड़ पर चढ़ी थी. पैर फिसलने के कारण पेड़ से नीचे गिर गई. जिससे महिला को कमर और पेट में गंभीर चोटें आई हैं. वहीं महिला का आरोप है कि पुलिस थाने या जिम्मेदारों ने भी उसकी कोई मदद नहीं की.

तेंदूपेड़ से गिरी महिला

महिला ने बताया कि घटना की सूचना महिला ने तेंदूपत्ता फड़मुंशी से लेकर एसडीओ वन से भी की, लेकिन किसी ने उसकी कोई मदद नहीं की. साथ ही उसके द्वारा पवई पुलिस थाने में भी आवेदन दिया गया. लेकिन महिला का आवेदन नहीं लिया गया, बल्कि यह कहा गया कि एसडीएम को आवेदन दीजिए. जिससे थक हारकर महिला पवई अस्पताल से कुछ दवाई लेकर अपने पेट और कमर की पीड़ा सहते हुए वापस अपने घर चली गई.

महिला का कहना है कि उसकी किसी ने मदद नहीं की. वो अशिक्षित गरीब पीड़ित आदिवासी मजदूर महिला है. यदि शासन से आर्थिक सहायता राशि मिल जाती तो वो अपना इलाज करा पाती. तेंदूपत्ता मजदूरों के काम करते वक्त घायल होने पर कोई आर्थिक सहायता राशि की योजना नहीं है. यदि है तो महिला को उस योजना का लाभ दिलाने में वन विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों द्वारा सहयोग क्यों नहीं किया जा रहा है.

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