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डिजिटल इंडिया के दौरा में एक गांव ऐसा भी.... जहां न बिजली न पानी, बाघों के साये में रहते हैं ग्रामीण

पन्ना जिले में एक ऐसी आदिवासी बाहुल्य पंचायत है, जो पानी बिजली और स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए तरस रही है. यहां आजादी के बाद से ही ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही है, जिसके चलते ग्रामीण काफी परेशान हैं. पढ़िए पूरी खबर..

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बदहाल पंचायत परेशान ग्रामीण
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Published : Nov 7, 2020, 2:17 AM IST

पन्ना। एक ओर जहां केंद्र और राज्य सरकार गांव-गांव तक सौभाग्य योजना के तहत बिजली कनेक्शन, नलजल योजना के तहत पानी, प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत मार्ग प्रदान करने का दावा करती है, लेकिन बुंदेलखंड क्षेत्र का सबसे पिछड़ा जिला पन्ना एक ऐसी आदिवासी बाहुल्य पंचायत है, जहां चार गांवों के 2 हजार ग्रामीण इन सभी योजनाओं के लिए आज भी तरस रहे हैं. एक-एक बूंद पानी के लिए जान जोखिम में डालकर अपनी और अपने परिवार की प्यास बुझा रहे हैं.

बदहाल पंचायत परेशान ग्रामीण

इन गांवों में आलम इस कदर है कि, यहां के निवासी ऐसे घाट से पानी भरते हैं, जहां पर पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघों सहित अन्य जंगली जानवरों का खतरा मंडराता है. सिर्फ इतना ही नहीं इस आदिवासी बाहुल्य पंचायत के ग्रामीणों ने पानी के अलावा आज तक बिजली और सड़क के दर्शन भी नहीं किए हैं.

डर के साए में ग्रामीण

यूं तो आज लोग चांद पर पहुंच गए है. देश के प्रधानमंत्री डिजिटल इंडिया बनाने की बात कर रहे हैं. सरकार द्वारा आदिवासी समुदायों के लिए अनगिनत योजनाएं भी संचालित की जा रही है, लेकिन यह सब बातें राजनीतिक गलियारों तक ही सीमित रह जाती है, क्योंकि जिले में आदिवासी बाहुल्य कटहरी बिल्हटा पंचायत है, जहां पर लगभग चार गांवों के लोग आज भी बिजली, पानी और सड़क से वंचित है. यह पंचायत चारों तरफ से पन्ना टाइगर रिजर्व से घिरी हुई है, लेकिन इस पंचायत में आजादी के बाद आज तक सरकार द्वारा बनाई गई विकास योजनाएं नहीं पहुंच पाई है. परिस्थिति ऐसी है कि, ग्रामीण चट्टानों और पहाड़ियों से गुजर कर पानी भरने जाते है. हालांकि ये केवल एक समस्या नहीं है, बल्कि यहां पर इंसान के अलावा जानवर भी पानी पीने के लिए आते है, जिससे लगातार खतरा बना रहता है.

स्वास्थ्य और बिजली की व्यवस्था भी शून्य

हैरत की बात यह है कि, आजादी के बाद आज तक आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में ग्रामीणों के लिए पानी की कोई व्यवस्था शासन-प्रशासन द्वारा नहीं की गई है. ग्रामीण महिलाएं गांव से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर टाइगर रिजर्व के अंदर बने चौपड़ा से पानी भरने जाती हैं, लेकिन यहां पर लगातार जानवरों का खौफ बना रहता है, जिसको लेकर अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है. वहीं अगर 4 गांवों में सरकार द्वारा संचालित योजनाओं की बात करें, तो क्षेत्र भर में आज तक मार्ग का निर्माण नहीं किया गया है, जिसकी वजह से मजबूरन गांववासियों को जंगल का रास्ता तय करना पड़ता है. इसके अलावा स्वास्थ्य व्यवस्थाएं भी इन गांवों में शून्य पड़ी हुई है, जहां प्रसूताओं को एम्बुलेंस की व्यवस्था भी मुहैया नहीं हो पाती है. इसी प्रकार कटहरी बिल्हटा पंचायत में आजादी के बाद आज तक ग्रामीणों को बिजली के दर्शन तक नसीब नहीं हो पाए हैं. हालांकि, कलेक्टर ने गांवों में जल्द पानी बिजली की व्यवस्था प्रदान करने की बात कही है.

सरकार की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल

भले ही सरकार घर-घर तक जल पहुंचाने के लिए नल जल योजना संचालित कर रही हो, बिजली कनेक्शन पहुंचाने के लिए सौभाग्य योजना चला रही हो, पहुंच मार्ग के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना जैसी योजना बनाई हो, लेकिन कटहरी बिल्हटा पंचायत में आज तक इन सभी योजनाओं का नहीं पहुंचना कही न कही सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है.

पन्ना। एक ओर जहां केंद्र और राज्य सरकार गांव-गांव तक सौभाग्य योजना के तहत बिजली कनेक्शन, नलजल योजना के तहत पानी, प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत मार्ग प्रदान करने का दावा करती है, लेकिन बुंदेलखंड क्षेत्र का सबसे पिछड़ा जिला पन्ना एक ऐसी आदिवासी बाहुल्य पंचायत है, जहां चार गांवों के 2 हजार ग्रामीण इन सभी योजनाओं के लिए आज भी तरस रहे हैं. एक-एक बूंद पानी के लिए जान जोखिम में डालकर अपनी और अपने परिवार की प्यास बुझा रहे हैं.

बदहाल पंचायत परेशान ग्रामीण

इन गांवों में आलम इस कदर है कि, यहां के निवासी ऐसे घाट से पानी भरते हैं, जहां पर पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघों सहित अन्य जंगली जानवरों का खतरा मंडराता है. सिर्फ इतना ही नहीं इस आदिवासी बाहुल्य पंचायत के ग्रामीणों ने पानी के अलावा आज तक बिजली और सड़क के दर्शन भी नहीं किए हैं.

डर के साए में ग्रामीण

यूं तो आज लोग चांद पर पहुंच गए है. देश के प्रधानमंत्री डिजिटल इंडिया बनाने की बात कर रहे हैं. सरकार द्वारा आदिवासी समुदायों के लिए अनगिनत योजनाएं भी संचालित की जा रही है, लेकिन यह सब बातें राजनीतिक गलियारों तक ही सीमित रह जाती है, क्योंकि जिले में आदिवासी बाहुल्य कटहरी बिल्हटा पंचायत है, जहां पर लगभग चार गांवों के लोग आज भी बिजली, पानी और सड़क से वंचित है. यह पंचायत चारों तरफ से पन्ना टाइगर रिजर्व से घिरी हुई है, लेकिन इस पंचायत में आजादी के बाद आज तक सरकार द्वारा बनाई गई विकास योजनाएं नहीं पहुंच पाई है. परिस्थिति ऐसी है कि, ग्रामीण चट्टानों और पहाड़ियों से गुजर कर पानी भरने जाते है. हालांकि ये केवल एक समस्या नहीं है, बल्कि यहां पर इंसान के अलावा जानवर भी पानी पीने के लिए आते है, जिससे लगातार खतरा बना रहता है.

स्वास्थ्य और बिजली की व्यवस्था भी शून्य

हैरत की बात यह है कि, आजादी के बाद आज तक आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में ग्रामीणों के लिए पानी की कोई व्यवस्था शासन-प्रशासन द्वारा नहीं की गई है. ग्रामीण महिलाएं गांव से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर टाइगर रिजर्व के अंदर बने चौपड़ा से पानी भरने जाती हैं, लेकिन यहां पर लगातार जानवरों का खौफ बना रहता है, जिसको लेकर अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है. वहीं अगर 4 गांवों में सरकार द्वारा संचालित योजनाओं की बात करें, तो क्षेत्र भर में आज तक मार्ग का निर्माण नहीं किया गया है, जिसकी वजह से मजबूरन गांववासियों को जंगल का रास्ता तय करना पड़ता है. इसके अलावा स्वास्थ्य व्यवस्थाएं भी इन गांवों में शून्य पड़ी हुई है, जहां प्रसूताओं को एम्बुलेंस की व्यवस्था भी मुहैया नहीं हो पाती है. इसी प्रकार कटहरी बिल्हटा पंचायत में आजादी के बाद आज तक ग्रामीणों को बिजली के दर्शन तक नसीब नहीं हो पाए हैं. हालांकि, कलेक्टर ने गांवों में जल्द पानी बिजली की व्यवस्था प्रदान करने की बात कही है.

सरकार की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल

भले ही सरकार घर-घर तक जल पहुंचाने के लिए नल जल योजना संचालित कर रही हो, बिजली कनेक्शन पहुंचाने के लिए सौभाग्य योजना चला रही हो, पहुंच मार्ग के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना जैसी योजना बनाई हो, लेकिन कटहरी बिल्हटा पंचायत में आज तक इन सभी योजनाओं का नहीं पहुंचना कही न कही सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है.

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