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हीरों की नगरी में मां पद्मावती करती हैं भक्तों की मुराद पूरी, जानिए क्यों भगवान शिव यहां हुए थे क्रोधित

पन्ना जिले के प्राचीन पद्मावती देवी मंदिर में नवरात्रि में भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है. कहा जाता है कि इस मंदिर में जो भी माता के दर्शन करने आता है उसकी सभी मनोकामना पूरी होती है. इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि जब मां सती के शरीर के टुकड़े हुए थे तो उनका दाहिना पैर पन्ना में गिरा था, इस कारण इस स्थान पर शक्तिपीठ स्थापित हुआ था.

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हीरों की नगरी में मां पद्मावती करती हैं भक्तों की मुराद पूरी
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Published : Oct 25, 2020, 4:10 PM IST

पन्ना। हीरों की नगरी पन्ना में प्राचीन मंदिर शक्तिपीठ मां पद्मावती देवी का स्थान है. बुंदेलखंड के लोग पन्ना की पद्मावती देवी को बड़ी देवन के नाम से जानते हैं और इनका स्थान मैहर की शारदा माता के समान है. इस मंदिर में आने वाले सभी श्रद्धालुओं की मुराद पूरी होती है. मंदिर को लेकर तरह-तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं. कहा जाता है कि मां पद्मावती शक्तिपीठ की कृपा से ही पन्ना इतना समृद्ध है.

शक्तिपीठ को लेकर मान्यता है कि प्राचीन काल में इस क्षेत्र में पद्मावत नाम के राजा हुए थे जो शक्ति के उपासक थे. उन्होंने अपनी आराध्य देवी मां दुर्गा को पद्मावती नाम से इस प्राचीन मंदिर में स्थापित किया. कालांतर में इस क्षेत्र का नाम इसी मंदिर के कारण पद्मावतीपुरी हुआ, जो बाद में परना और वर्तमान में पन्ना के नाम से पहचाना जाता है. पद्मावती देवी का उल्लेख भविष्य पुराण और विष्णु धर्मोत्तर पुराण में भी है. ये मंदिर गौण नरेशों का आराध्यस्थल भी था.

यह है शक्तिपीठ की कहानी

मां सती भगवान शिव की पहली पत्नी थी. वह राजा दक्ष की बेटी थी जिसने भगवान शिव को अपनी पुत्री से शादी के लिए मना कर दिया था. उनके इनकार के बाद भी मां सती ने भगवान शिव से शादी की. एक दिन दक्ष राजा ने बड़े यज्ञ का आयोजन किया.

उन्होंने सभी ऋषियों और देवताओ को बुलाया लेकिन भगवान शिव को नहीं आमंत्रित किया. क्योंकि वे भगवान शिव को पसंद नहीं करते थे. मां सती ये अपमान नहीं सहन नहीं कर पाई. जब वे पिता से इसका उत्तर जानने यज्ञ स्थल पहुंची तो पिता ने उनका अपमान किया. भगवान शिव को भला बुरा कहा. जिसके बाद मां सती ने अपने आप को यज्ञ की अग्नि में भस्म कर दिया.

जब भगवान शिव हुए क्रोधित

जब भगवान शिव को इस बारे में पता चला तो क्रोधित शिव ने यज्ञ को नष्ट कर दिया और राजा दक्ष को मार डाला. इसके बाद भगवान शिव मां सती को अपने कंधे पर बिठाकर सम्पूर्ण भूमंडल पर विचरण करने लगे. भूमंडल को स्थिर रखने के लिए भगवान विष्णु ने पीछे से अपने सुदर्शन चक्र से मां सती के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए. जिस-जिस स्थान पर मां भगवती के शरीर के टुकड़े गिरे, उन स्थानों पर शक्तिपीठ स्थापित हुए. पन्ना में मां के दाहिना पैर गिरा था, इस कारण इस शक्तिपीठ का नाम पद्मावती शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है.

पन्ना, मैहर और कलेही का चमत्कारिक त्रिकोण

मैहर की शारदा माता मंदिर और पन्ना की मां पद्मावती देवी मंदिर और कलेही शक्तिधाम आपस में विशेष कोण बनाते हैं. इस मंदिर से प्रदेश के तीनों शक्ति पीठों की आपस में दूरी एक बराबर है. लोक मान्यताओं के अनुसार मां शारदा (मैहर), मां पद्मावती (पन्ना) और मां कलेही (पवई) की प्रतिमाएं हवा में 90 अंश का कोण बनाती है, और हवा में भी इन सभी मंदिरों की आपस में दूरियां लगभग 60 किलोमीटर है.

पन्ना। हीरों की नगरी पन्ना में प्राचीन मंदिर शक्तिपीठ मां पद्मावती देवी का स्थान है. बुंदेलखंड के लोग पन्ना की पद्मावती देवी को बड़ी देवन के नाम से जानते हैं और इनका स्थान मैहर की शारदा माता के समान है. इस मंदिर में आने वाले सभी श्रद्धालुओं की मुराद पूरी होती है. मंदिर को लेकर तरह-तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं. कहा जाता है कि मां पद्मावती शक्तिपीठ की कृपा से ही पन्ना इतना समृद्ध है.

शक्तिपीठ को लेकर मान्यता है कि प्राचीन काल में इस क्षेत्र में पद्मावत नाम के राजा हुए थे जो शक्ति के उपासक थे. उन्होंने अपनी आराध्य देवी मां दुर्गा को पद्मावती नाम से इस प्राचीन मंदिर में स्थापित किया. कालांतर में इस क्षेत्र का नाम इसी मंदिर के कारण पद्मावतीपुरी हुआ, जो बाद में परना और वर्तमान में पन्ना के नाम से पहचाना जाता है. पद्मावती देवी का उल्लेख भविष्य पुराण और विष्णु धर्मोत्तर पुराण में भी है. ये मंदिर गौण नरेशों का आराध्यस्थल भी था.

यह है शक्तिपीठ की कहानी

मां सती भगवान शिव की पहली पत्नी थी. वह राजा दक्ष की बेटी थी जिसने भगवान शिव को अपनी पुत्री से शादी के लिए मना कर दिया था. उनके इनकार के बाद भी मां सती ने भगवान शिव से शादी की. एक दिन दक्ष राजा ने बड़े यज्ञ का आयोजन किया.

उन्होंने सभी ऋषियों और देवताओ को बुलाया लेकिन भगवान शिव को नहीं आमंत्रित किया. क्योंकि वे भगवान शिव को पसंद नहीं करते थे. मां सती ये अपमान नहीं सहन नहीं कर पाई. जब वे पिता से इसका उत्तर जानने यज्ञ स्थल पहुंची तो पिता ने उनका अपमान किया. भगवान शिव को भला बुरा कहा. जिसके बाद मां सती ने अपने आप को यज्ञ की अग्नि में भस्म कर दिया.

जब भगवान शिव हुए क्रोधित

जब भगवान शिव को इस बारे में पता चला तो क्रोधित शिव ने यज्ञ को नष्ट कर दिया और राजा दक्ष को मार डाला. इसके बाद भगवान शिव मां सती को अपने कंधे पर बिठाकर सम्पूर्ण भूमंडल पर विचरण करने लगे. भूमंडल को स्थिर रखने के लिए भगवान विष्णु ने पीछे से अपने सुदर्शन चक्र से मां सती के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए. जिस-जिस स्थान पर मां भगवती के शरीर के टुकड़े गिरे, उन स्थानों पर शक्तिपीठ स्थापित हुए. पन्ना में मां के दाहिना पैर गिरा था, इस कारण इस शक्तिपीठ का नाम पद्मावती शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है.

पन्ना, मैहर और कलेही का चमत्कारिक त्रिकोण

मैहर की शारदा माता मंदिर और पन्ना की मां पद्मावती देवी मंदिर और कलेही शक्तिधाम आपस में विशेष कोण बनाते हैं. इस मंदिर से प्रदेश के तीनों शक्ति पीठों की आपस में दूरी एक बराबर है. लोक मान्यताओं के अनुसार मां शारदा (मैहर), मां पद्मावती (पन्ना) और मां कलेही (पवई) की प्रतिमाएं हवा में 90 अंश का कोण बनाती है, और हवा में भी इन सभी मंदिरों की आपस में दूरियां लगभग 60 किलोमीटर है.

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