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ब्रह्मकुंड में प्रभु राम ने किया था स्नान, राम वनपथ गमन की कहानी - panna news

पन्ना जिला भी कहता है प्रभु श्री राम के वन पथ गमन की कहानी. जिले में स्थित ब्रह्मकुंड में भगवान राम ने एक असुर का विनाश करके स्नान किया था.

ब्रह्मकुंड में प्रभु राम ने किया था स्नान
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Published : Oct 21, 2019, 12:00 AM IST

Updated : Oct 21, 2019, 11:14 AM IST

पन्ना। 'रखते जहां वहीं रचते हैं स्वर्ण कमल सुर दिव्य ललाम
अभिनंदन के योग्य चरण तब भक्ति रहे उनमें श्री राम'


कहते हैं कि प्रभु श्री राम के कदमों ने जिन-जिन स्थानों से गमन किया, वह स्थान इतने पवित्र और पावन हो गए कि लोग उसकी धूलि को माथे पर लगाने दूर-दूर से पहुंचते हैं. ऐसा ही एक पवित्र स्थल पन्ना शहर से 32 किमी की दूरी पर स्थित बृहस्पति कुंड है, जहां प्रभु श्रीराम वनवास के वक्त लंबे समय तक रहे. देखते हैं कि क्या कहती है जिले में प्रभु श्री राम की कहानी.


विराध असुर का किया संहार

श्रीराम सांस्कृतिक शोध संस्थान द्वारा की गई खोज एवं पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्रभु जब चित्रकूट से दक्षिण की तरफ प्रस्थान कर रहे थे, तब उन्हें विराध नाम का असुर मिला, जो ऋषियों की तपस्या को भंग कर उन्हें मार देता था. तब प्रभु श्री राम ने उस असुर विराध का संहार किया था.

ब्रम्हकुण्ड में प्रभु राम ने किया था स्नान

ब्रह्मकुंड में किया स्नान

प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर ब्रह्मकुण्ड में असुर के संहार के बाद प्रभु श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण ने स्नान कर कुछ दिन विश्राम किया. आज ब्रह्मकुण्ड का नाम बदलकर बृहस्पति कुण्ड हो गया है, लेकिन इसके आसपास का वातावरण आज भी त्रेतायुग की याद दिलाता है. श्रीराम सांस्कृतिक शोध संस्थान द्वारा किये गये राम वन गमन पथ के 51 नंबर पर बृहस्पति कुण्ड का उल्लेख किया गया है.

नैसर्गिक वातावरण करता है आकर्षित

पौराणिक कहानियों में वर्णित बृहस्पति कुण्ड (ब्रह्मकुण्ड) सबको सहज ही अपनी ओर खींच लेता है. यहां आने वाले दर्शनार्थियों को अब भी आभास होता है कि यहां की विशाल चट्टानें प्रभु श्री राम की विशालता का वर्णन करती हैं, तो वहीं झरने से निकलती ध्वनि मानों प्रभु श्री राम के नाम का उच्चारण करती हो.

पन्ना। 'रखते जहां वहीं रचते हैं स्वर्ण कमल सुर दिव्य ललाम
अभिनंदन के योग्य चरण तब भक्ति रहे उनमें श्री राम'


कहते हैं कि प्रभु श्री राम के कदमों ने जिन-जिन स्थानों से गमन किया, वह स्थान इतने पवित्र और पावन हो गए कि लोग उसकी धूलि को माथे पर लगाने दूर-दूर से पहुंचते हैं. ऐसा ही एक पवित्र स्थल पन्ना शहर से 32 किमी की दूरी पर स्थित बृहस्पति कुंड है, जहां प्रभु श्रीराम वनवास के वक्त लंबे समय तक रहे. देखते हैं कि क्या कहती है जिले में प्रभु श्री राम की कहानी.


विराध असुर का किया संहार

श्रीराम सांस्कृतिक शोध संस्थान द्वारा की गई खोज एवं पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्रभु जब चित्रकूट से दक्षिण की तरफ प्रस्थान कर रहे थे, तब उन्हें विराध नाम का असुर मिला, जो ऋषियों की तपस्या को भंग कर उन्हें मार देता था. तब प्रभु श्री राम ने उस असुर विराध का संहार किया था.

ब्रम्हकुण्ड में प्रभु राम ने किया था स्नान

ब्रह्मकुंड में किया स्नान

प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर ब्रह्मकुण्ड में असुर के संहार के बाद प्रभु श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण ने स्नान कर कुछ दिन विश्राम किया. आज ब्रह्मकुण्ड का नाम बदलकर बृहस्पति कुण्ड हो गया है, लेकिन इसके आसपास का वातावरण आज भी त्रेतायुग की याद दिलाता है. श्रीराम सांस्कृतिक शोध संस्थान द्वारा किये गये राम वन गमन पथ के 51 नंबर पर बृहस्पति कुण्ड का उल्लेख किया गया है.

नैसर्गिक वातावरण करता है आकर्षित

पौराणिक कहानियों में वर्णित बृहस्पति कुण्ड (ब्रह्मकुण्ड) सबको सहज ही अपनी ओर खींच लेता है. यहां आने वाले दर्शनार्थियों को अब भी आभास होता है कि यहां की विशाल चट्टानें प्रभु श्री राम की विशालता का वर्णन करती हैं, तो वहीं झरने से निकलती ध्वनि मानों प्रभु श्री राम के नाम का उच्चारण करती हो.

Intro:पन्ना।
एंकर :- जहाँ किया प्रभु श्रीराम ने विराध अशुर का वद और जहाँ से ऋषि मुनियों, तपस्वियों को की सुरक्षा प्रदान। ऐसा स्थान है पन्ना से 32 किलोमीटर दूर स्थान बृहस्पति कुंड जहाँ किया विराध का वद करने के बाद स्नान, ऐसे अनछुये स्थान से कराते है हम आपको रूबरू।


Body:श्रीराम सांस्कृतिक शोध संस्थान द्वारा किये गये खोज एवं पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्रभु जब चित्रकूट से दक्षिण की तरफ प्रस्थान कर रहे थे तब रास्ते मे विराध नामक एक अत्याचारी अशुर था जो ऋषि मुनियों की तपस्या को भंग कर उन्हें मार देता था। जब यह बात प्रभु श्रीराम को पता लगी तब उन्होंने अशुर विराध का एक ही वाण में उसका संहार कर दिया। संहार करने के उपरांत प्रभु श्रीराम ने ब्रम्हकुण्ड में सीता माता व भ्राता लक्ष्मण जी के साथ ब्रम्हकुण्ड मे स्नान किया जिसे आज बृहस्पति कुंड के नाम से जाना जाता है। बृहस्पति कुण्ड में पहचाने के बाद ऐसा प्रतीत होता है मानो वहां की विशाल चट्टाने, गुफाएँ व जलप्रपात मानो त्रिता युग की कहानी कह रहे हो।


Conclusion:श्रीराम वन गमन पथ में उल्लेखित बृहस्पति कुण्ड (ब्रम्हकुण्ड) का वर्णन पौराणिक कथाओं में भी मिलता है। इस ब्रम्हकुण्ड को देखने के लिए आज हजारो श्रद्धालु पहुँचते है। इतना ही नही प्रभु श्रीराम के चरण जिस धरती पर पड़े उसे बड़े ही आदर भाव से पूजते है। श्रीराम सांकृतिक शोध संस्थान द्वारा किये गये राम वन गमन पथ के 51 नंबर पर बृहस्पति कुण्ड का उल्लेख किया गया है।
पीटीसी
वन टू वैन
Last Updated : Oct 21, 2019, 11:14 AM IST
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