पन्ना। 'रखते जहां वहीं रचते हैं स्वर्ण कमल सुर दिव्य ललाम
अभिनंदन के योग्य चरण तब भक्ति रहे उनमें श्री राम'
कहते हैं कि प्रभु श्री राम के कदमों ने जिन-जिन स्थानों से गमन किया, वह स्थान इतने पवित्र और पावन हो गए कि लोग उसकी धूलि को माथे पर लगाने दूर-दूर से पहुंचते हैं. ऐसा ही एक पवित्र स्थल पन्ना शहर से 32 किमी की दूरी पर स्थित बृहस्पति कुंड है, जहां प्रभु श्रीराम वनवास के वक्त लंबे समय तक रहे. देखते हैं कि क्या कहती है जिले में प्रभु श्री राम की कहानी.
विराध असुर का किया संहार
श्रीराम सांस्कृतिक शोध संस्थान द्वारा की गई खोज एवं पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्रभु जब चित्रकूट से दक्षिण की तरफ प्रस्थान कर रहे थे, तब उन्हें विराध नाम का असुर मिला, जो ऋषियों की तपस्या को भंग कर उन्हें मार देता था. तब प्रभु श्री राम ने उस असुर विराध का संहार किया था.
ब्रह्मकुंड में किया स्नान
प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर ब्रह्मकुण्ड में असुर के संहार के बाद प्रभु श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण ने स्नान कर कुछ दिन विश्राम किया. आज ब्रह्मकुण्ड का नाम बदलकर बृहस्पति कुण्ड हो गया है, लेकिन इसके आसपास का वातावरण आज भी त्रेतायुग की याद दिलाता है. श्रीराम सांस्कृतिक शोध संस्थान द्वारा किये गये राम वन गमन पथ के 51 नंबर पर बृहस्पति कुण्ड का उल्लेख किया गया है.
नैसर्गिक वातावरण करता है आकर्षित
पौराणिक कहानियों में वर्णित बृहस्पति कुण्ड (ब्रह्मकुण्ड) सबको सहज ही अपनी ओर खींच लेता है. यहां आने वाले दर्शनार्थियों को अब भी आभास होता है कि यहां की विशाल चट्टानें प्रभु श्री राम की विशालता का वर्णन करती हैं, तो वहीं झरने से निकलती ध्वनि मानों प्रभु श्री राम के नाम का उच्चारण करती हो.