नीमच। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के साथ ही ऑक्सीजन और बेड की किल्लत भी देखने को मिल रही हैं. इसके अभाव में लगातार रोगियों की तड़प-तड़प कर मौत हो रही है, लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. कोविड सेंटर से भी ऐसा ही एक मामला सामने आया हैं, जहां प्रवेश द्वार पर एक घंटे तक ऑक्सीजन नहीं मिलने के चलते 40 वर्षीय युवक तड़पता रहा, लेकिन किसी डॉक्टर या नर्स ने यहां आकर उसकी सुध नहीं ली. परिजन इधर से उधर दौड़ते रहे, विनती करते रहे, लेकिन किसी एक ने भी परिजनों की मदद नहीं की. इसके बाद मरीज ने वहीं दम तोड़ दिया.
उपचार के लिए रामपुरा से नीमच आया युवक जिंदगी की जंग हार गया. बेजान सिस्टम और व्यवस्थाओं की वजह से युवक को अपनी जान गंवानी पड़ी. गुरुवार दोपहर ट्रामा सेंटर में बने कोविड सेंटर के बाहर घटित हुई ये घटना मानवता को शर्मसार कर देने वाली है, जहां भदाना निवासी महेश मजावदिया को उसका भतीजा विमल मजावदिया जिला चिकित्सालय लाया था, लेकिन मौजूद स्टॉफ ने ऑक्सीजन बेड उपलब्ध नहीं होने का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़ लिया.
सिस्टम की अर्थी! हाथ ठेले पर 'मानवता का शव' रख धक्का लगाता गरीब परिवार
भतीजा अपने चाचा को प्रवेश द्वार पर लेटाकर वार्ड में भर्ती कराने के लिए प्रयास करता रहा, लेकिन किसी ने उसकी एक न सुनी. प्रयास करते-करते एक घंटा बीत गया. इस बीच महेश की सांसे थम गई.
करीब आधे घंटे बाद डॉक्टर्स और कर्मचारी गांधी वार्ड में अन्य मरीजों को देखने आए. उसी दौरान महेश को वहां पड़ा हुआ देखा, लेकिन तब तक उसने दम तोड़ दिया था.
मंत्री के दौरे से दो घंटे पहले हुई मौत
जिला अस्पताल में रोज मरीज ऑक्सीजन के लिए परेशान हो रहे हैं. अस्पताल के अंदर रोगियों को भर्ती नहीं किया जा रहा है. मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा के दौरे से दो घंटे पहले ही महेश तड़प-तड़प कर मर गया, लेकिन ओमप्रकाश सकलेचा का कहना है कि ट्रामा सेंटर में किसी भी प्रकार की अव्यवस्था नहीं है. यहां पर अच्छे से सभी मरीजों का इलाज हो रहा है. जिस युवक की मौत हुई है, यह उसी की लापरवाही है कि वह समय पर अस्पताल नहीं पहुंचा.
अस्पताल के बाहर खड़ी रही तहसीलदार
जब युवक अस्पताल के बाहर तड़प रहा था, उस दौरान तहसीलदार पिंकी साठे अस्पताल के बाहरी खड़ी थी. कुछ लोगों ने उनसे कहा कि एक युवक तड़प रहा है, मगर पिंकी ने कोई व्यवस्था नहीं करवाई. वहीं तहसीलदार का कहना था कि मैं अभी आई हूं.