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शौचालय तो बना पर स्कूल की बिल्डिंग है गायब, खुले में बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं छात्र - शौचालय में पढ़ने को मजबूर छात्र

रामपुरा के पास गांव माता का खेड़ा में कक्षा पहली से लेकर पांचवी तक स्कूल है जिसमें करीब 50 से 60 बच्चे पढ़ने आते हैं. शासन ने स्कूल में शौचालय तो बना दिया पर बिल्डिंग बनाना भूल गई.

खुले में बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं छात्र
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Published : Jul 20, 2019, 3:41 AM IST

नीमच। प्रशासन ने स्कूल चले हम, सब पढ़ें सब बढ़ें जैसे कई अभियान लागू तो कर दिए हैं मगर सुविधाएं नदारद हैं. ऐसा ही एक मामला मनासा क्षेत्र के रामपुरा के पास गांव माता का खेड़ा में देखने को मिला. जहां कक्षा पहली से लेकर पांचवी तक स्कूल है जिसमें करीब 50 से 60 बच्चे पढ़ने आते हैं. शासन ने स्कूल में शौचालय तो बना दिया पर बिल्डिंग बनाना भूल गई. पहली से पांचवी तक पढ़ने वाले सभी बच्चे खुले में बैठने को मजबूर है.

खुले में बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं छात्र

पिछले दस सालों से यह सिलसिला चलता आ रहा है. बच्चों के भविष्य को शौचलायों में बनाया जा रहा है. गांव वालों का कहना है कि बच्चों को झोपड़ी बनाकर पढ़ने के लिए बिठाया जाता है. सबसे ज्यादा जरूरी स्कूल की बिल्डिंग थी पर शासन ने आंगनबाड़ी भवन बना दिया. बच्चों को पढ़ाई में काफी समस्याएं आती हैं. बारिश के समय में बच्चों को शौचालयों में बिठा दिया जाता है. इसकी शिकायत गांव वालों ने शिक्षा अधिकारी से लेकर कलेक्टर तक को की लेकिन कोई भी जिम्मेदार अधिकारी इसकी सुनवाई नहीं कर रहा है.
वहीं नीमच डीपीसी पीएस गोयल ने बताया कि चार लाख सोलह हजार की मान से एक कक्ष और एक बरामदा बनाने की राशि स्वीकृत कर दी है. बहुत जल्द काम शुरू करवाने का आस्वासन दिया है.

नीमच। प्रशासन ने स्कूल चले हम, सब पढ़ें सब बढ़ें जैसे कई अभियान लागू तो कर दिए हैं मगर सुविधाएं नदारद हैं. ऐसा ही एक मामला मनासा क्षेत्र के रामपुरा के पास गांव माता का खेड़ा में देखने को मिला. जहां कक्षा पहली से लेकर पांचवी तक स्कूल है जिसमें करीब 50 से 60 बच्चे पढ़ने आते हैं. शासन ने स्कूल में शौचालय तो बना दिया पर बिल्डिंग बनाना भूल गई. पहली से पांचवी तक पढ़ने वाले सभी बच्चे खुले में बैठने को मजबूर है.

खुले में बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं छात्र

पिछले दस सालों से यह सिलसिला चलता आ रहा है. बच्चों के भविष्य को शौचलायों में बनाया जा रहा है. गांव वालों का कहना है कि बच्चों को झोपड़ी बनाकर पढ़ने के लिए बिठाया जाता है. सबसे ज्यादा जरूरी स्कूल की बिल्डिंग थी पर शासन ने आंगनबाड़ी भवन बना दिया. बच्चों को पढ़ाई में काफी समस्याएं आती हैं. बारिश के समय में बच्चों को शौचालयों में बिठा दिया जाता है. इसकी शिकायत गांव वालों ने शिक्षा अधिकारी से लेकर कलेक्टर तक को की लेकिन कोई भी जिम्मेदार अधिकारी इसकी सुनवाई नहीं कर रहा है.
वहीं नीमच डीपीसी पीएस गोयल ने बताया कि चार लाख सोलह हजार की मान से एक कक्ष और एक बरामदा बनाने की राशि स्वीकृत कर दी है. बहुत जल्द काम शुरू करवाने का आस्वासन दिया है.

Intro:शोचालय तो बना दिया पर स्कूल बिल्डिंग गायब -खुले में बैठकर पढ़ने को मजबूर है बच्चेBody:शासन ने स्कूल चले हम सब पढ़े सब बढ़े जैसे कई अभियान लागू कर रखे हैं पर ऐसा ही एक मामला मनासा क्षेत्र के रामपुरा के पास गांव माता का खेड़ा में देखने को मिला कक्षा पहली से लेकर पांचवी तक स्कूल है जिसमें करीब 50 बच्चे पढ़ते हैं शासन ने स्कूल में शौचालय तो बना दिया पर बिल्डिंग बनाना भूल गया पहली से पांचवी तक पढ़ने वाले सभी बच्चे खुले में बैठने को मजबूर है बरसात के दिनों में पानी आता है तो बच्चों को शौचालय में बिठा दिया जाता है पिछले 10 वर्षों से यही होता आ रहा है वही गांव वालों का कहना है बच्चों को झोपड़ी बनाकर पढ़ने के लिए बिठाया जाता है गांव वालों का कहना है के सबसे ज्यादा जरूरी स्कूल की बिल्डिंग थी पर शासन ने आंगनवाड़ी भवन बना दिया बच्चों को पढ़ाई में काफी समस्या आती है बरसात में थोड़ा सा पानी गिरा के बच्चों की छुट्टी कर दी जाती है वहीं कई दिनों तक बरसात होती रहती है तो स्कूल नहीं लगता है जिसकी शिकायत गांव वालों ने शिक्षा अधिकारी से लेकर कलेक्टर तक को करी पर अभी तक किसी ने सुनवाई नहीं करी

बाइट -ग्रामीण

बाइट -पीएस गोयल, डीपीसी नीमचConclusion:null
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