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बारिश थमते ही दिखा तबाही का मंजर, गृहस्थी-खेती सब चौपट, पांव पसारने लगी बीमारी

बारिश के पानी में जहां आवाम के सपने बह गये, वहीं गृहस्थी से लेकर खेती-बाड़ी तक सब चौपट हो चुकी है, बाढ़ का पानी कम होने के बाद अब संक्रामक बीमारियों का डर सताने लगा है.

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Published : Sep 19, 2019, 9:45 PM IST

बारिश थमते ही दिखा तबाही का मंजर

नीमच। मध्यप्रदेश में बारिश के बाद आई तबाही का मंजर अब साफ दिखने लगा है क्योंकि बारिश बंद होने के चलते धीरे-धीरे पानी कम होने लगा है, जिससे लोगों के जान में जान आ रही है. रामपुरा सहित कई गांवों के लोग बर्बादी का दंश झेल रहे हैं. जिधर नजर घुमाओ, तबाही का मंजर ही नजर आता है, लोगो के पास कपड़े-खाने के लिए कुछ भी नहीं बचा है, जो कुछ बचा था, उस पर चोर हाथ साफ कर गये. इसके बावजूद लोग जिंदगी को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश में जुटे हैं.

बारिश थमते ही दिखा तबाही का मंजर


घर का बचा-खुचा सामान धूप में सुखाकर सहेजने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि प्रशासन लोगों की समस्याओं का समाधान करने में सुस्ती दिखा रहा है. किसान फसलों के नुकसान को लेकर बेहद चिंतित हैं. यहां तक कि सड़े हुए माल को फेंकवाने तक के लिए 15 से लेकर 40 हजार रुपए भाड़ा व्यापारियों को चुकाना पड़ रहा है. पानी भरने से नगर में महामारी फैलने की आशंका के चलते तरह-तरह के उपाय किये जा रहे हैं.
बाढ़ प्रभावित गावों के लोग धार्मिक संस्थाओं, स्कूलों, पंचायतों व स्थानीय मांगलिक भवनों में रह रहे हैं, जबकि प्रशासन और समाज सेवी संस्थाओं से मिली खाद्य सामग्री से ही अपनी भूख मिटा रहे हैं. दान के कपड़े पहनने को मजबूर हैं. धार्मिक संस्थाएं दवाइयों से लेकर कॉपी-किताब, खाने-पीने और कपड़ों का इंतजाम कर रही हैं.


सरकार ने मदद का भरोसा तो दिया है, लेकिन अभी तक इन वादों पर सरकार खरी नहीं उतरी है. लोग अपनी जिंदगी को दोबारा पटरी पर लाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं.

नीमच। मध्यप्रदेश में बारिश के बाद आई तबाही का मंजर अब साफ दिखने लगा है क्योंकि बारिश बंद होने के चलते धीरे-धीरे पानी कम होने लगा है, जिससे लोगों के जान में जान आ रही है. रामपुरा सहित कई गांवों के लोग बर्बादी का दंश झेल रहे हैं. जिधर नजर घुमाओ, तबाही का मंजर ही नजर आता है, लोगो के पास कपड़े-खाने के लिए कुछ भी नहीं बचा है, जो कुछ बचा था, उस पर चोर हाथ साफ कर गये. इसके बावजूद लोग जिंदगी को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश में जुटे हैं.

बारिश थमते ही दिखा तबाही का मंजर


घर का बचा-खुचा सामान धूप में सुखाकर सहेजने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि प्रशासन लोगों की समस्याओं का समाधान करने में सुस्ती दिखा रहा है. किसान फसलों के नुकसान को लेकर बेहद चिंतित हैं. यहां तक कि सड़े हुए माल को फेंकवाने तक के लिए 15 से लेकर 40 हजार रुपए भाड़ा व्यापारियों को चुकाना पड़ रहा है. पानी भरने से नगर में महामारी फैलने की आशंका के चलते तरह-तरह के उपाय किये जा रहे हैं.
बाढ़ प्रभावित गावों के लोग धार्मिक संस्थाओं, स्कूलों, पंचायतों व स्थानीय मांगलिक भवनों में रह रहे हैं, जबकि प्रशासन और समाज सेवी संस्थाओं से मिली खाद्य सामग्री से ही अपनी भूख मिटा रहे हैं. दान के कपड़े पहनने को मजबूर हैं. धार्मिक संस्थाएं दवाइयों से लेकर कॉपी-किताब, खाने-पीने और कपड़ों का इंतजाम कर रही हैं.


सरकार ने मदद का भरोसा तो दिया है, लेकिन अभी तक इन वादों पर सरकार खरी नहीं उतरी है. लोग अपनी जिंदगी को दोबारा पटरी पर लाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं.

Intro:
बाड़ का पानी तो उतरा पर पर पीछे छोड़ गया बर्बादी की कहानी-Body:इस वक्त मध्यप्रदेश कई जिले बाढ़ के हालत से झुज रहे है वही नीमच जिले के अंतर्गत आने वाले रामपुरा व कई अन्य गांव बाढ का कहर झेल रहा है. गांव में जहां भी नजरें दौडाएं, चारों तरफ बर्बादी का मंजर नजर आता है. यही नहीं गांव का मंदिर, दुकानें, सड़क, पानी का कुआं, पुलिया सब कुछ बाढ़ की भेंट चढ़ चुका है. इसके बावजूद लोग जिंदगी को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश में जुटे हैं. वे बचा-खुचा सामान धूप में रखकर बचाने की कोशिश कर रहे हैं.

घरों में लाखों की चोरियां हो चुकी है लोगो के जरूरी कागजात सब खराब हो चुके है वही लाखो के नुकसान को लेकर किसान तक चिंतित है यहां तक सड़े हुए माल को फिकवाने के लिए तक 15 से लेकर 40 हजार तक का भाड़ा व्यापारीयो को देना पड़ रहा है पानी भरने से नगर में महामारी फैलने की संभावना के चलते तरह तरह के उपाय किये जा रहे है

लोगो का पेट भरने वाला किसान आज बुरे दौर से गुजर रहा है. बाढ़ के पानी ने हर घर के कीमती सामान को बर्बाद कर दिया है. यहां तक कि पहनने के लिए कपड़े और खाने के लिए कुछ नहीं बचा है. यहा कई लोग सिर्फ धार्मिक संस्थाओं,स्कूलों ,पंचायतों व स्थानीय मांगलिक भवनों में रह रहे है व प्रशासन व अन्य समाज सेवी व संस्थाओं द्वारा आने वाले खाने पर जिंदा हैं. यहां तक कि उनको कपड़े भी दान में लेने पर मजबूर होना पड़ा है.हालांकि गांव में धार्मिक संस्थाएं दवाइयों से लेकर स्कूलों की कॉपी किताबों, खाने-पीने और कपड़ों का इंतजाम कर रही है. सरकार ने मदद का भरोसा तो जरूर दिया है, लेकिन अभी तक इन वादों पर सरकार कितना खरा उतरी है प्रभावित इलाकों तक सरकार की मदद पहुंची है या नही किस लोगो की जिंदगी पहले की तरह वापस दौड़ पाएगी पटरी या जो नुकसान हुवा है उस का भरपाई कर पायेगी सरकार

बाड़ ने तबाही मचाई वो तो अलग बात है पर तबाही के दौरान गरीबो के घरों का सामना चोरी हो गए जिसके चलते गरीबो को मजदूरी कर घर फिर से बसाना किसी बड़े खाव्स से कम नही है

विजुवल+पीड़ित व्यापारी
बाइट-1 धापू बाई -पीड़ित महिला
बाइट -2 नगुलाल -पीड़ित
बाइट-3 सुनील मुजावदिया व्यापारी
बाइट-4 शबील दास माणिक व्यापारी

Etv भारत मनासा से मंगल कुशवाह की रिपोर्टConclusion:
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