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आजादी के सात दशक साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं इस गांव के लोग

नीमच जिले का एक गांव ऐसा भी है, जहां आजादी के 72 साल बाद भी विकास के नाम पर सिर्फ ठेंगा दिखाया गया है, ग्राम पंचायत बनड़ा के बर्डिया गांव के ग्रामीण आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं.

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Published : Sep 28, 2019, 10:22 PM IST

मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे ग्रामीण

नीमच। आजादी के बाद कई सरकारें आई, कई सरकारें गई, लेकिन नीमच जिले की ग्राम पंचायत बनडा के बर्डिया गांव के हाल जस के तस बने रहे. यहां आजादी के 72 साल बाद भी ग्रामीण आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए मोहताज है. इस गांव में न तो सड़क, न पानी , न बिजली, न स्वास्थ्य सुविधा और न शौचालय जैसी सुविधाएं हैं.

मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे ग्रामीण

यहां विकास सिर्फ कागजों में हुआ है, लेकिन हकीकत में विकास दूर-दूर तक नहीं है. हालात तो ये है कि यहां के ग्रामीणों ने आज तक प्रधानमंत्री आवास योजना का नाम तक नहीं सुना है.

ग्रामीणों ने सरपंच और सचिव पर लापरवाही का आरोप लगाया है, उनका कहना है कि नेता तो यहां सिर्फ वोट लेने आते हैं. विकास तो यहां कागजों तक ही सीमित है. ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार अपनी समस्याओं को लेकर सचिव और सरपंच अवगत कराया, लेकिन किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने सुध नहीं ली. ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हें विकास के नाम पर प्रशासन से सिर्फ आश्वासन का झुनझुना मिला है.

ग्रामीणों का आरोप है कि महीने में सिर्फ एक दिन राशन मिलता है, अगर उस दिन चूक गए, तो अगले दिन लेने जाओ तो राशन की दुकान से भगा दिया जाता है. गांव वालों ने ये भी आरोप लगाया कि, नेता यहां भोलीभाली जनता को पक्का मकान देने के नाम पर वोट मांगते हैं और बाद में यहां आकर भी नहीं देखते हैं.

नीमच। आजादी के बाद कई सरकारें आई, कई सरकारें गई, लेकिन नीमच जिले की ग्राम पंचायत बनडा के बर्डिया गांव के हाल जस के तस बने रहे. यहां आजादी के 72 साल बाद भी ग्रामीण आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए मोहताज है. इस गांव में न तो सड़क, न पानी , न बिजली, न स्वास्थ्य सुविधा और न शौचालय जैसी सुविधाएं हैं.

मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे ग्रामीण

यहां विकास सिर्फ कागजों में हुआ है, लेकिन हकीकत में विकास दूर-दूर तक नहीं है. हालात तो ये है कि यहां के ग्रामीणों ने आज तक प्रधानमंत्री आवास योजना का नाम तक नहीं सुना है.

ग्रामीणों ने सरपंच और सचिव पर लापरवाही का आरोप लगाया है, उनका कहना है कि नेता तो यहां सिर्फ वोट लेने आते हैं. विकास तो यहां कागजों तक ही सीमित है. ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार अपनी समस्याओं को लेकर सचिव और सरपंच अवगत कराया, लेकिन किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने सुध नहीं ली. ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हें विकास के नाम पर प्रशासन से सिर्फ आश्वासन का झुनझुना मिला है.

ग्रामीणों का आरोप है कि महीने में सिर्फ एक दिन राशन मिलता है, अगर उस दिन चूक गए, तो अगले दिन लेने जाओ तो राशन की दुकान से भगा दिया जाता है. गांव वालों ने ये भी आरोप लगाया कि, नेता यहां भोलीभाली जनता को पक्का मकान देने के नाम पर वोट मांगते हैं और बाद में यहां आकर भी नहीं देखते हैं.

Intro:विकास के दावों की पोल खोलती तस्वीरे ,आजादी के बाद भी मूलभूत सुविधा को तरस रहे है लोगBody:विकास के दावो कि खुली पोल
जिले के इस गांव में आजादी के बाद कुछ नहीं हो पाया विकास के लिए तरस रहे हैं । ग्रामीण

ग्रामीणों की मांगों पर नहीं हो रही कोई सुनवाई
जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर गाँधीसागर डूब क्षेत्र में बसा गाँव
ग्राम पंचायत बनडा के अंतर्गत आने वाला गांव बर्डिया में समस्याओं को लेकर अब तक विकास के नाम पर कोसों दूर है,विकास सिर्फ कागजों में ही नजर आ रहा है पर हकिकत कुछ ओर ही है ।
ऐसी ही कहानी इस गाँव की भी है । जो प्रधानमंत्री आवास का सिर्फ नाम ही सुना है । काम नहीं है ।
ग्रामीणों ने सरपंच सचिव पर लापरवाही का आरोप लगाया है । कि केवल वोट लेने आते हैं । जनप्रतिनिधि उसके बाद विकास तो कागाजी मे होती हैं । वही इन समस्याओं के बारे में सचिव व सरपंच को काफी बार अवगत करवा चुके पर अभी तक किसी ने आकर गाँव वालों की सुध नही ली है । ,पर अभी तक पूरा गांव मूलभत सुविधाओ से वंचित है ।

वही गाँव मे जाने वाली मुख्य सड़क कीचड़ से भरी हुई है जिसके चलते ग्रामीणों में आक्रोश है ।

गाँव मे न नल है ,रोड है ना स्ट्रीट लाइट है पूरा गाव हेण्डपम्प से पानी पीता है । वह भघ गर्मी के दिनों मे अपना दम तोड़ देता है । ओर जो गांव के मुख्य मार्ग के समीप कुईया जिसके मुंडेरघ भी नहीं है । जिससे आवरा पशु एवं छोटे छोटे बच्चों के गिरने कि संकेत दे रहे हैं।

गाँव मे ना ही स्वास्थ्य सुविधा है l जिसके चलते मरीजों को या तो रामपुरा या मनासा लाया जाता है l । वही ग्रामीणों का आरोप है । की महीने में सिर्फ एक दिन राशन मिलता है । अगर उस दिन चूक गए तो अगले दिन लेने जाओ तो राशन की दुकान से भगा दिया जाता है । मनमानी के चलते अगर जिम्मेदार अभी भी सुध नही लेते है l तो
गाँव की भोली भाली जनता को इस तरह से बेवकूफ बनाकर उचित मूल्य की दुकान वाले भी चुना लगा रहे है ।
वही सरपंच सचिव मिलकर भी भोलीभाली जनता को मकान के ओर विकास के नाम पर उकसाकर वोट मांग लेते है बाद में ठेंगा दिखाकर मामलो को रफादफा कर देते है । वही भोली जनता का कहना है । के चुनाव के बाद से अभी तक कोई भी नेता ने वापस झांककर नही देखा

जिसके चलते मुख्यमार्ग कीचड़ से भरा रहता है l श्मशान तक जाने के लिए लोगो को कीचड़ भरे रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है ।


पंचायत व शासन, प्रशासनिक अधिकारियों को गांव में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग कई बार की जा चुकी है। लेकिन जिम्मेदार सुध लेना नहीं चाह रहे है। इसी का नतीजा है l कि विकास कार्य की मांग अब वे किसी से नहीं करना चाह रहे है, क्योंकि उनकी मांगों पर कोई सुनवाई नहीं होती। पंचायत प्रशासन द्वारा प्रस्ताव बनाने की बात कहीं जाती है लेकिन यह सिर्फ कागजों में ही सिमटकर रह गई है। विकास की ओर ध्यान नहीं है।

विजुवल +बाइट- ग्रामीण

मंगल कुशवाह मनासा- etv भारत Conclusion:
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