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कचरा बीनने वाले बच्चों के लिए बना 100 सीटर हॉस्टल, तालीम का भी किया गया इंतजाम - हॉस्टल

नीमच में कचरा बीनने वाले बच्चों को लिए जिला पंचायत सीईओ भव्या मित्तल ने जिला मुख्यालय पर 100 सीटर हॉस्टल बनवाया है, जहां बच्चे सकारात्मक और साफ-सुथरे परिवेश में रहकर अपनी पढ़ाई करते हैं.

जिला प्रशासन ने जिला मुख्यालय पर बनाया 100 सीटर हॉस्टल
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Published : Nov 19, 2019, 2:18 PM IST

Updated : Nov 19, 2019, 3:22 PM IST

नीमच। शहर में कचरा बीनने वाले बच्चों के उज्वल भविष्य के लिए प्रशासनिक अधिकारियों ने एक सकारात्मक कोशिश की है. इनके लिए जिला मुख्यालय पर 100 सीटर हॉस्टल बनाया गया है, जिसमें सामान्य जरुरतमंद बच्चों के साथ कचरा बीनने वाले बच्चों को भी जोड़ा गया है, जहां वह सकारात्मक और साफ-सुथरे परिवेश में रहकर अपनी पढ़ाई में ध्यान दे पाते हैं.

कचरा बीनने वाले बच्चों के लिए बना 100 सीटर हॉस्टल

सरकारी सर्वे के मुताबिक नीमच में कचरा बीनने वाले बच्चों की तादाद करीब 150 है. कचरा बीनने वाले बच्चे अपने परिवार के लिए आर्थिक रुप से मददगार बन जाते हैं और धीरे-धीरे यही उनका रोजगार भी बन जाता है. इस बार वीआर सर्वे में 30 ऐसे बच्चों को चिह्नित किया गया है, जो कचरा तो बीनते ही थे, साथ ही पढ़ाई में भी रुचि रखते थे.

जिला पंचायत सीईओ भव्या मित्तल ने इन बच्चों के लिए अनूठी योजना तैयार की है. जिला मुख्यालय पर बने 100 सीटर हॉस्टल में 25 बच्चों का दाखिला करवाया गया है. जहां उन्हें सुबह ब्रश करने से लेकर रात को सोने के लिए गद्देदार बिस्तर तक मुहैया कराया गया है. इसी परिसर में चल रहे प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को प्रवेश दिलाया गया है, जहां वे 11 से शाम 4 बजे तक पढ़ाई करते हैं.

नीमच। शहर में कचरा बीनने वाले बच्चों के उज्वल भविष्य के लिए प्रशासनिक अधिकारियों ने एक सकारात्मक कोशिश की है. इनके लिए जिला मुख्यालय पर 100 सीटर हॉस्टल बनाया गया है, जिसमें सामान्य जरुरतमंद बच्चों के साथ कचरा बीनने वाले बच्चों को भी जोड़ा गया है, जहां वह सकारात्मक और साफ-सुथरे परिवेश में रहकर अपनी पढ़ाई में ध्यान दे पाते हैं.

कचरा बीनने वाले बच्चों के लिए बना 100 सीटर हॉस्टल

सरकारी सर्वे के मुताबिक नीमच में कचरा बीनने वाले बच्चों की तादाद करीब 150 है. कचरा बीनने वाले बच्चे अपने परिवार के लिए आर्थिक रुप से मददगार बन जाते हैं और धीरे-धीरे यही उनका रोजगार भी बन जाता है. इस बार वीआर सर्वे में 30 ऐसे बच्चों को चिह्नित किया गया है, जो कचरा तो बीनते ही थे, साथ ही पढ़ाई में भी रुचि रखते थे.

जिला पंचायत सीईओ भव्या मित्तल ने इन बच्चों के लिए अनूठी योजना तैयार की है. जिला मुख्यालय पर बने 100 सीटर हॉस्टल में 25 बच्चों का दाखिला करवाया गया है. जहां उन्हें सुबह ब्रश करने से लेकर रात को सोने के लिए गद्देदार बिस्तर तक मुहैया कराया गया है. इसी परिसर में चल रहे प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को प्रवेश दिलाया गया है, जहां वे 11 से शाम 4 बजे तक पढ़ाई करते हैं.

Intro:- सुपर 30 की तर्ज पर तैयार हो रहा बच्चों का भविष्य, एक ही परिसर में हाॅस्टल और स्कूल
नीमच। कचरा बीनने वाले बच्चे आमतौर पर सरकारी रिकार्ड में शाला त्यागी बच्चों के रुप में दर्ज होकर रह जाते हैं। उनको पढाने और आगे बढाने की न परिवार को चिंता रहती है और न ही जिम्मेदारों को। लेकिन इस बार नीमच में प्रशासनिक अधिकारियों की सकारात्मक सोच ने कुछ नया करने की कोशिश की है। प्रयास ऐसा हुआ है कि पन्नी, कचरा बीनने वाले बच्चे आम बच्चों के साथ रहकर अपना सुनहरा भविष्य तराशने में जुट गए हैं।Body:नीमच शहर में कचरा बीनने वाले बच्चों की तादाद सरकारी सर्वे के मुताबिक करीब डेढ सौ है। कचरा बीनने वाले बच्चे अपने परिवार के लिए आर्थिक रुप से मददगार बन जाते हैं। धीरे-धीरे यही उनका रोजगार भी बन जाता है। लेकिन इस बार वीआर सर्वे में 30 ऐसे बच्चों को चिन्हित किया गया जो कचरा तो बीनते ही थे साथ ही पढाई में भी रुचि रखते थे। जिला पंचायत सीईओ भव्या मित्तल ने इन बच्चों के लिए अनूठी योजना तैयार की। जिला मुख्यालय पर 100 सीटर हाॅस्टल बनाया गया है। जिसमें सामान्य जरुरतमंद बच्चों के साथ कचरा बीनने वाले बच्चों को भी जोडा गया। 25 बच्चों का दाखिला हाॅस्टल में करवा दिया गया। यहां पर उन्हें सुबह उठकर ब्रश करने से लगाकर रात को सोने के लिए गद्देदार बिस्तर मिलते है। इसी परिसर में चल रहे प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को प्रवेश दिला दिया गया। जहां वे 11 से शाम 4 बजे तक पढते हैं। पहले जो बच्चे कचरा बीनकर मटरगश्ती किया करते थे अब उन्हें कचरे के ढेरों के आसपास जाना भी पसंद नहीं हैं। खास बात यह है कि इनमें से अधिकांश बच्चे हाॅस्टल में ठहरने लगे हैं। Conclusion:BITE 01लक्की
BITE 02 लक्की
BITE 03 कृष्णा - इन बच्चों का कहना है की पहले पन्नी बीनते थे, अब हाॅस्टल में रहना ज्यादा अच्छा लगता है। वे आगे पढना चाहते हैं।

BITE 04 इंद्रा सुमन, सहायक अध्यापक, - शुरु में इन बच्चों की मस्ती से दूसरे बच्चे भी परेशान होते थे, लेकिन अब इन बच्चों में काफी सुधार है। आचार विचार से लगाकर दूसरे बच्चों और बडों के साथ व्यवहार भी उनका काफी सकारात्मक होता जा रहा है।

BITE 05 एमएल दामोदर, हाॅस्टल वार्डन, 100 सीटर हाॅस्टल का शुभारंभ हाल ही में हुआ है। हमने जो सर्वे किया था, उसके आधार पर लगभग 22 बच्चे पन्नी, कचरा बीनने वाले थे। उनके माता पिता को प्रोत्साहित किया। बच्चों को हाॅस्टल में एडमिशन दिया गया। सुबह उठने से लगाकर रात्रि सोने तक इन बच्चांे की दिनचर्या में पहले की तुलना में काफी परिवर्तन है। आम बच्चों के साथ इन्हें पढाई का माहौल दिया जा रहा है। शासन की योजना के तहत हाॅस्टल में सभी सुविधाएं इन्हें दी जा रही है। बच्चे खुद में भी बदलाव महसूस कर रहे हैं।

BITE 06 अजयसिंह गंगवार, कलेक्टर नीमच, हमने एक कोशिश की है। पन्नी, कचरा बीनने वाले परिवारों के बच्चों के अलावा भी अन्य शिक्षा से वंचित बच्चों के लिए हाॅस्टल प्रारंभ किया है। बच्चों को बेहतर सुविधाएं और शिक्षा देने का उद्देश्य है।
Last Updated : Nov 19, 2019, 3:22 PM IST
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