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तीन साल से भगवान भरोसे चल रहा स्कूल, मंदिर में मासूम पढ़ रहे 'अ' से अनार - नीमच में स्कूल भवन का अभाव

प्राइमरी स्कूल का भवन जर्जर होकर खंडहर में तब्दील होता जा रहा है.नाली गुर्जर गांव में लगभग 3 साल से अधिक समय से भवन के अभाव में चारभुजा मंदिर परिसर में स्कूल चलाया जा रहा है.

मंदिर में मासूम पढ़ रहे 'अ' से अनार
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Published : Jul 13, 2019, 3:28 PM IST

नीमच। सब पढ़ें सब बढ़ें, स्कूल चले हम जैसे तमाम अभियान इस गांव में बेमानी साबित हो रहे हैं. मनासा तहसील की सोकड़ी पंचायत के नाली गुर्जर गांव में लगभग 3 साल से अधिक समय से भवन के अभाव में चारभुजा मंदिर परिसर में स्कूल चलाया जा रहा है. जहां बच्चों की पढ़ाई भगवान भरोसे ही चल रही है.

मंदिर में मासूम पढ़ रहे 'अ' से अनार


प्राइमरी स्कूल का भवन जर्जर होकर खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर स्कूल प्रबंधन ने भवन को खाली कर ग्रामीणों की सहमति से स्कूल का संचालन चारभुजा मंदिर में करना शुरू कर दिया. इस दौरान पंचायत से लेकर कलेक्टर तक भवन निर्माण और भवन उपलब्ध कराने के लिए तमाम आवेदन ग्रामीणों और स्कूल प्रबंधन ने दिए. मगर आज तक स्कूल भवन का निर्माण नहीं हो पाया है. बच्चे मंदिर परिसर में ही पढ़ाई कर रहे हैं.
मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं का बार-बार क्लास के करीब से गुजरने से बच्चों का ध्यान भी पढ़ाई में नहीं लग पाता, जबकि मन्दिर में कभी किसी धार्मिक आयोजन-अनुष्ठान के दौरान स्कूल का संचालन कहीं अन्य जगह करना पड़ता है. इस संबंध में ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने स्कूल के प्रधानाचार्य के साथ-साथ वरिष्ठ अधिकारियों, राजनेताओं को इस समस्या से अवगत कराया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
स्कूल में करीब 30 से 40 बच्चे हैं. स्कूल के दस्तावेजों की बात करें तो वो भी बिखरे पड़े हैं. कुछ दस्तावेज बक्सों में बंद कर स्थानीय लोगों के घरों में रखे गये हैं तो कुछ जर्जर भवन में, कई महत्वपूर्ण दस्तावेज शिक्षक अपने घर पर रखे हुए हैं. ऐसे में शिक्षकों को काम करने में भी असुविधा होती है.

नीमच। सब पढ़ें सब बढ़ें, स्कूल चले हम जैसे तमाम अभियान इस गांव में बेमानी साबित हो रहे हैं. मनासा तहसील की सोकड़ी पंचायत के नाली गुर्जर गांव में लगभग 3 साल से अधिक समय से भवन के अभाव में चारभुजा मंदिर परिसर में स्कूल चलाया जा रहा है. जहां बच्चों की पढ़ाई भगवान भरोसे ही चल रही है.

मंदिर में मासूम पढ़ रहे 'अ' से अनार


प्राइमरी स्कूल का भवन जर्जर होकर खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर स्कूल प्रबंधन ने भवन को खाली कर ग्रामीणों की सहमति से स्कूल का संचालन चारभुजा मंदिर में करना शुरू कर दिया. इस दौरान पंचायत से लेकर कलेक्टर तक भवन निर्माण और भवन उपलब्ध कराने के लिए तमाम आवेदन ग्रामीणों और स्कूल प्रबंधन ने दिए. मगर आज तक स्कूल भवन का निर्माण नहीं हो पाया है. बच्चे मंदिर परिसर में ही पढ़ाई कर रहे हैं.
मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं का बार-बार क्लास के करीब से गुजरने से बच्चों का ध्यान भी पढ़ाई में नहीं लग पाता, जबकि मन्दिर में कभी किसी धार्मिक आयोजन-अनुष्ठान के दौरान स्कूल का संचालन कहीं अन्य जगह करना पड़ता है. इस संबंध में ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने स्कूल के प्रधानाचार्य के साथ-साथ वरिष्ठ अधिकारियों, राजनेताओं को इस समस्या से अवगत कराया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
स्कूल में करीब 30 से 40 बच्चे हैं. स्कूल के दस्तावेजों की बात करें तो वो भी बिखरे पड़े हैं. कुछ दस्तावेज बक्सों में बंद कर स्थानीय लोगों के घरों में रखे गये हैं तो कुछ जर्जर भवन में, कई महत्वपूर्ण दस्तावेज शिक्षक अपने घर पर रखे हुए हैं. ऐसे में शिक्षकों को काम करने में भी असुविधा होती है.

Intro:पिछले 2 साल से भगवान भरोसे चल रहा है स्कूल
मंदिर में पड़ने को मजबूर बच्चे
Body:पिछले 3 साल से भगवान भरोसे चल रहा है स्कूल
मंदिर में पड़ने को मजबूर बच्चे




सब बढ़े सब पढ़े स्कूल चले हम जैसे तमाम नारे मध्य प्रदेश के इस गांव में बेमानी साबित हो रहे हैं नीमच जिले के मनासा तहसील की सोकड़ी पंचायत के गांव नाली गुर्जर में पिछले 2 वर्ष से अधिक समय से भवन के अभाव में यहां का स्कूल गांव के चारभुजा मंदिर पर लग रहा है

दरअसल गांव का प्राइमरी स्कूल का भवन जर्जर हो गया था जो अब खंडहर में तब्दील होता जा रहा है बच्चों की सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए स्कूल प्रबंधन ने भवन को खाली कर भोजपुरी में ग्रामीणों की सहमति से स्कूल का संचालन गांव के बीचोंबीच स्थित चारभुजा मंदिर पर करना प्रारंभ किया मगर इस दौरान पंचायत से लेकर कलेक्टर तक भवन निर्माण वह भ्रमण उपलब्ध कराने के लिए तमाम आवेदन ग्रामीणों और वह स्कूल प्रबंधन द्वारा दिए गए मगर आज तक स्कूल के लिए भवन का निर्माण नहीं हो पाया बच्चे मंदिर के परिसर में ही पढ़ाई कर रहे हैं इस दौरान बच्चों को व शिक्षकों को भी काफी परेशानी होती हैं मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं कि बार-बार क्लास से होकर गुजरने किसी धार्मिक आयोजन अनुष्ठान के दौरान स्कूल का संचालन कहीं अन्य जगह करना पड़ता है कमरे के बजाय चबूतरे पर कक्षा का संचालन होने से बच्चों का ध्यान भी गांव में होने वाली गतिविधि व आसपास से गुजरने वाले वाहन लोगों की ओर जाता है जिससे पढ़ाई भी भगवान भरोसे ही हैं इस संबंध में ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने वह स्कूल के प्राचार्य ने इस संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों राजनेताओं को अवगत कराया मगर आज तक स्कूल का भवन नहीं मिला उधर जिम्मेदार मामला संज्ञान में आने पर जल्द भवन निर्माण की बात कर रहे हैं यह तस्वीर उस जिले की है जो मध्य प्रदेश में हर साल शिक्षा के क्षेत्र में उच्च पायदान पर रहा है अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब एक शिक्षित व शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी जिले की हालात यह है तो बाकी पिछड़े क्षेत्र के हालात कैसे होंगे परेशानी यहीं खत्म नहीं होती बच्चों को शौचालय के लिए भी घर जाना पड़ता है ऐसे में बार-बार घर जाने आने में समय लगता है वह बच्चे भी कई बार घर पर ही रुक जाते हैं जिससे पढ़ाई का भी नुकसान होता है स्कूल में करीब 30 से 40 बच्चे हैं स्कूल के दस्तावेजों की बात करें तो बेबी बिखरे पड़े हैं कुछ दस्तावेज बक्सों में बंद कर स्थानीय लोगों के घरों पर कुछ जर्जर बिल्डिंग में वह कई महत्वपूर्ण दस्तावेज शिक्षक अपने घर पर रखे हुए हैं ऐसे में शिक्षकों को काम करने में भी असुविधा होती हैं


बाइट 1-पप्पू गुर्जर
बाइट-2-भगत राम गुर्जर
बाइट-3-कुशाल गुर्जर
बाइट-प्रभुलाल गुर्जर
Conclusion:वही जनशिक्षक व अधिकारियों का कहना है के स्कूल बिल्डिंग का प्रस्ताव बनाकर भेज दिया है जल्द ही बिल्डिंग भी बन जाएगी
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